कार्तिक का महीना भगवान विष्णु को समर्पित होता है और शालिग्राम स्वयं श्री हरि विष्णु का ही साक्षात और स्वयंभू स्वरूप माने जाते हैं, इसलिए इस पूरे माह शालिग्राम जी की पूजा का विशेष महत्व है। जो भी भक्त इस महीने शालिग्राम शिला पर तुलसी दल और जल चढ़ाकर श्रद्धा से उनकी पूजा करता है उसे धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है।
यह पूजा सभी पापों का नाश करती है, घर में सुख-समृद्धि लाती है और ऐसा माना जाता है कि उस घर को सभी तीर्थों से भी श्रेष्ठ बना देती है। इस महीने तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराना भी बहुत पुण्यकारी माना जाता है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि कार्तिक माह में कैसे करें शालिग्राम की सरल पूजा और क्या हैं उनसे जुड़े अचूक एवं लाभकारी उपाय?
कार्तिक मास में शालिग्राम जी की पूजा करने के लिए सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद, पूजा स्थान पर शालिग्राम जी को एक साफ पात्र में रखें। भगवान को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।
स्नान के बाद, उन्हें चंदन का तिलक लगाएं और तुलसी के पत्ते अवश्य चढ़ाएं क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है और शालिग्राम पूजा तुलसी के बिना अधूरी मानी जाती है। इसके साथ ही, आप उन्हें फूल, फल और मिठाई भी अर्पित कर सकते हैं।
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शालिग्राम भगवान के आगे दीपक जलाएं। सबसे शुद्ध तो घी का दीपक ही माना जा है लेकिन अगर घी उपलब्ध न हो तो तुलसी की सूखी लकड़ी का दीपक जलाना बहुत शुभ और लाभकारी माना जाता है। इससे घर में सुख-समृद्धि आती है।
कार्तिक मास में शालिग्राम जी को रोजाना स्नान कराकर, उन्हें तुलसी के ग्यारह पत्ते अवश्य अर्पित करें और साथ ही उन्हें जल या दूध का भोग लगाएं। पूजा के बाद शालिग्राम जी के स्नान का जल पूरे परिवार को श्रद्धापूर्वक ग्रहण करना चाहिए। यह उपाय न केवल स्वास्थ्य और शांति देता है, बल्कि माना जाता है कि इससे शरीर और मन के सभी दोष दूर होते हैं और धन संबंधी परेशानियां भी कम होती हैं।
अगर आपके घर में शालिग्राम जी स्थापित हैं तो कार्तिक मास में उन्हें एक छोटे, साफ पात्र में जल या गंगाजल भरकर उसके अंदर स्थापित करें। जल के ऊपर तुलसी दल भी रखें। यह अचूक उपाय इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दर्शाता है कि आपके घर में साक्षात गंडकी नदी प्रवाहित हो रही है। इससे घर में तीर्थ जैसा पवित्र वातावरण बनता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर लक्ष्मी जी का वास होता है।
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कार्तिक माह की देव उठनी एकादशी के दिन या उसके आसपास शालिग्राम जी और तुलसी माता का विवाह पूरे विधि-विधान से करें। ज्योतिष शास्त्र में, तुलसी को देवी लक्ष्मी का और शालिग्राम को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। इस विवाह का आयोजन करने से कन्यादान के समान पुण्य प्राप्त होता है। यह उपाय आपके वैवाहिक जीवन के सभी कष्टों, कलह और अभावों को दूर करता है और घर में हमेशा सुख-शांति बनी रहती है।
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