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Sawan Amavasya 2025: सावन अमावस्या कब है? जानें पितृ तर्पण का शुभ मुहूर्त और महत्व

हिंदू धर्म में सावन माह की अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन पितरों का तर्पण करने का विशेष विधान है। अब ऐसे में इस साल सावन अमावस्या कब है और पितरों का तर्पण करने का शुभ मुहूर्त क्या है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
Editorial
Updated:- 2025-07-21, 15:38 IST

सावन का महीना भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष माना जाता है। यह माह जितना शिव भक्ति के लिए पवित्र है, उतना ही पितरों की शांति और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस माह में पड़ने वाली अमावस्या को 'सावन अमावस्या' या 'हरियाली अमावस्या' के नाम से जाना जाता है। यह दिन पितरों के तर्पण, श्राद्ध और दान-पुण्य के लिए अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी जानते हैं सावन अमावस्या कब है, इसका महत्व क्या है और पितृ तर्पण का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।

साल 2025 में सावन अमावस्या कब है?

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साल 2025 में सावन अमावस्या 25 जुलाई 2025 को पड़ेगी। यह तिथि सावन मास के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उनके लिए यह दिन इस दोष के निवारण के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस दिन शिवजी की पूजा और रुद्राभिषेक करने से लाभ मिलता है।

सावन अमावस्या का मुहूर्त क्या है?

सावन अमावस्या पर पितृ तर्पण सूर्योदय के बाद से लेकर दोपहर तक किया जा सकता है। इसलिए आप मुहूर्त देखकर पितृ तर्पण कर सकते हैं।
कुतुप मुहूर्त: दोपहर 12:00 बजे से 12:48 बजे तक है।
रौहिण मुहूर्त: दोपहर 12:48 बजे से 01:36 बजे तक है।

 

सावन अमावस्या की पूजा का महत्व क्या है?

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सावन अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन प्रकृति भी हरी-भरी हो जाती है, इसलिए इसे हरियाली अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन वृक्षारोपण करना अत्यंत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पितृलोक से हमारे पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए गए तर्पण और श्राद्ध को स्वीकार करते हैं। जो लोग पितृ दोष से पीड़ित होते हैं, उनके लिए यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। अमावस्या तिथि को नकारात्मक ऊर्जाओं का वास माना जाता है। इस दिन पूजा-पाठ करने से नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है और घर में सकारात्मकता आती है। इतना ही नहीं, अगर किसी जातक की कुंडली में कालसर्पदोष है तो सावन अमावस्या के दिन पूजा-पाठ करने से लाभ हो सकता है।

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Image Credit- HerZindagi

FAQ
सावन की अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए?
मां लक्ष्मी को करें प्रसन्न - सावन अमावस्या के दिन घी के दीपक में केसर और लौंग के 2 दाने डालकर जलाने से माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने और आर्थिक तंगी दूर करने में मदद मिलती है. इस तुलसी में घी का दीपक लगाकर विष्णु जी के मंत्रों का जाप करें. शिव का मिलेगा आशीर्वाद - सावन अमावस्या पर संहार के देवता शिव का रुद्राभिषेक करें.
अमावस्या के दिन पितरों की पूजा कैसे करें?
एक तांबे के लोटे में शुद्ध जल, काले तिल, जौ और थोड़ा गंगाजल मिलाएं। अपनी अनामिका उंगली में कुश की अंगूठी धारण करें या हाथ में कुश पकड़ें। तर्पण करते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें, क्योंकि यह पितरों की दिशा मानी जाती है। अपने हाथ में जल, कुश और काले तिल लेकर पितरों का तर्पण करने का संकल्प लें।
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