सकट चौथ का व्रत हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत मुख्य रूप से महिलाओं के लिए पर संतान सुख की प्राप्ति, संतान की सुख-शांति और परिवार की समृद्धि के लिए किया जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है और इस व्रत को करने के कुछ नियम भी हैं। इस साल यह पर्व 17 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत का पालन करती हैं और शाम के समय चंद्रोदय के बाद व्रत खोलती हैं। कई संस्कृतियों में इस व्रत का पूजन गोधूलि बेला में भी किया जाता है। ऐसे में गोधूलि बेला के समय भगवान गणेश जी का पूजन किया जाता है और उन्हें तिल से बनी सामग्रियों का भोग लगाया जाता है। इस दिन कई महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, तो कुछ फलाहार का सेवन भी करती हैं। इसकी धार्मिक मान्यताएं बहुत ज्यादा हैं। कई लोगों के मन में यह सवाल भी उठता है कि क्या सकट चौथ का व्रत निर्जला ही करना चाहिए या इसमें फलाहार का सेवन भी किया जा सकता है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें इसके बारे में विस्तार से।
सकट चौथ व्रत का महत्व
सकट चौथ व्रत का महत्व मुख्य रूप से संतान सुख और पारिवारिक समृद्धि से जुड़ा हुआ होता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा से व्यक्ति की सभी बाधाओं का निवारण होता है और घर में सुख-शांति का वास होता है। मुख्य रूप से महिलाएं इस व्रत को संतान सुख, घर में सुख-शांति और पारिवारिक समृद्धि की प्राप्ति के लिए करती हैं। यह व्रत महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसे करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और परिवार में सौहार्द और समृद्धि बनी रहती है।
सकट चौथ व्रत से न केवल संतान सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि यह मानसिक शांति और सुखमय वातावरण का निर्माण भी करता है। इस दिन गणेश जी की पूजा विधि पूर्वक करके उनके आशीर्वाद से अपनी समस्याओं का समाधान मिलता है। इस व्रत को विधि पूर्वक करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और परिवार में खुशहाली बनी रहती है।
सकट चौथ पर क्यों रखा जाता है उपवास
सकट चौथ व्रत के दिन उपवास रखना जरूरी माना जाता है। यह उपवास पूरे दिन रखा जाता है और व्रत रखने वाली महिलाएं निर्जला व्रत का पालन करती हैं। यही नहीं कुछ महिलाएं इस दिन फलाहार का सेवन भी करती हैं। इस दिन व्रत रखने वालों को मुख्य रूप से अनाज और नमक के सेवन से बचना चाहिए। इस दिन फल, पानी, दूध, दही और नारियल का सेवन किया जा सकता। हालांकि इस दिन कुछ महिलाएं व्रत करने के साथ अन्न के साथ जल का भी त्याग करती हैं और शाम को पूजा के बाद व्रत खोलती हैं।
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क्या सकट चौथ व्रत के दिन पानी पीना ठीक है?
वैसे यदि हम ज्योतिष की मानें तो यह व्रत निर्जला रखना ही फलदायी माना जाता है, लेकिन यदि आप ऐसा उपवास नहीं कर पा रहे हैं तो आपको फलाहार का सेवन करना चाहिए और व्रत का पालन करना चाहिए। कुछ लोग पूरी तरह से पानी का सेवन नहीं करते और केवल फलाहार का सेवन करते हैं। जबकि कुछ लोग दिनभर पानी भी पी सकते हैं, लेकिन यह नियम पूरी तरह से व्यक्तिगत श्रद्धा और परंपराओं पर निर्भर करता है। आपको अपनी स्वास्थ्य परिस्थितियों को ध्यान में रखकर ही व्रत करना चाहिए। इसके साथ ही यदि आप प्रेग्नेंसी में इस व्रत का पालन कर रही हैं तो आपको निर्जला उपवास न करने की सलाह दी जाती है।
सकट व्रत पर की जाती है गणेश जी की पूजा
सकट चतुर्थी के दिन विशेष रूप से भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं दिनभर उपवास रखती हैं और संतान सुख, परिवार की समृद्धि और सुख-शांति के लिए गणेश जी से आशीर्वाद मांगती हैं। पूजा में गणेश जी को उनकी प्रिय चीजों जैसे तिल से बने लड्डू का भोग लगाया जाता है। इस दिन सबसे महत्वपूर्ण सकट चौथ की कथा का पाठ करना माना जाता है। इस दिन सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद गणेश जी की पूजा विधि पूर्वक की जाती है। सकट चौथ व्रत का एक खास नियम यह है कि इस दिन चंद्रोदय के बाद चन्द्रमा को अर्घ्य दिया जाता है और पूजन किया जाता है। रात्रि के समय श्रद्धा के अनुसार गणेश जी की पूजा की जाती है।
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सकट चौथ व्रत के दिन करें इन नियमों का पालन
- यदि आप व्रत रखती हैं तो इस दिन व्रति को कच्चे खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए। आप इस दिन फलाहार का सेवन कर सकती हैं।
- सकट चौथ व्रत के दिन ध्यान और मंत्र के जाप का विशेष महत्व होता है। इस दिन गणेश जी के 'ॐ गं गणपतये नमः' मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे मानसिक शांति प्राप्त होती है।
- यदि आप व्रत का पालन करती हैं तो आपको इस दिन दूसरों की निंदा नहीं करनी चाहिए और झूठ नहीं बोलना चाहिए। इस दिन किसी भी प्रकार के लड़ाई-झगड़े से बचना चाहिए।
सकट चौथ व्रत के बाद व्रती महिला को पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन किए गए व्रत और पूजा से भगवान गणेश का आशीर्वाद मिलता है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। साथ ही श्रद्धा से व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति भी होती है।
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