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Tripindi Shradh: त्रिपिंडी श्राद्ध करने के दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए?

पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए पिंडदान और श्राद्ध विशेष रूप से करने की मान्यता है। अब ऐसे में त्रिपिंडी श्राद्ध करने के नियम क्या है। इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
Editorial
Updated:- 2025-09-08, 13:34 IST

हिंदू धर्म में पितृपक्ष को बेहद महत्वपूर्ण और पावन माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस समय में पितर धरती पर आते हैं। इसलिए इस दौरान श्राद्ध और पिंडदान विशेष रूप से करने की मान्यता है। वहीं पितृपक्ष में श्राद्ध करने के लिए कई तरह की विधि बताई गई है। इतना ही नहीं, तिथि के हिसाब से भी श्राद्ध नियमानुसार की जाती है। बता दें, पितृ दोष होने पर व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से यह दोष दूर होता है। हमारे किए गए कर्मों का फल हमें हमारे पूर्वजों के माध्यम से मिलता है। पितृ पक्ष में उनके प्रति श्रद्धा दिखाने से यह चक्र सकारात्मक रूप से प्रभावित होता है। पितृ के दौरान परिवार के सदस्यों के अनुसार भी श्राद्ध करने की मान्यता है। अब ऐसे में त्रिपिंडी श्राद्ध क्या होता है और इस श्राद्ध को करने के दौरान किन नियमों का पालन करना जरूरी है।

इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

त्रिपिंडी श्राद्ध क्या है?

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त्रिपिंडी श्राद्ध एक हिंदू धार्मिक अनुष्ठान है जो मुख्यतः पितृ पक्ष के दौरान किया जाता है। यह श्राद्ध विशेष रूप से उन दिवंगत आत्माओं के लिए किया जाता है, जिनकी मृत्यु अल्पायु में हुई हो या जिनके लिए नियमित रूप से श्राद्ध नहीं किए गए हों। मान्यता है कि त्रिपिंडी श्राद्ध करने से पितृ दोष दूर होता है। पितृ दोष के कारण व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, आर्थिक परेशानियां आदि। इस श्राद्ध के माध्यम से दिवंगत आत्माओं को शांति मिलती है और उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है। त्रिपिंडी श्राद्ध करने से तीन पीढ़ियों तक के पूर्वजों को लाभ मिलता है।

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त्रिपिंडी श्राद्ध करने के दौरान किन नियमों का पालन करें?

  • त्रिपिंडी श्राद्ध एक पवित्र अनुष्ठान है, जिसे विधिवत तरीके से करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। इन नियमों का पालन करने से श्राद्ध का फल अधिक प्रभावशाली होता है और पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
  • त्रिपिंडी श्राद्ध करने से पहले स्नान करके शरीर को शुद्ध करना चाहिए।
  • श्राद्ध के दिन व्रत रखना चाहिए। इस दिन सात्विक भोजन करना चाहिए और मांस-मछली का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • श्राद्ध के लिए शांत और पवित्र स्थान का चुनाव करना चाहिए।

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  • श्राद्ध के समय साफ-सुथरे वस्त्र पहनने चाहिए।
  • श्राद्ध के दौरान विद्वान ब्राह्मण द्वारा बताए गए मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए।
  • पिंडदान करना श्राद्ध का सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है। पिंड को शुद्ध घी और तिल के मिश्रण से बनाया जाता है।
  • तर्पण में जल से भरे कलश में कुश घास लगाकर पितरों को जल अर्पित किया जाता है।
  • श्राद्ध के दौरान ब्राह्मणों को दान देना चाहिए।
  • श्राद्ध के दौरान मन को एकाग्र करके पितरों का स्मरण करना चाहिए।

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नोट- यदि आप त्रिपिंडी श्राद्ध करना चाहते हैं, तो किसी विद्वान ब्राह्मण से संपर्क करें और उनसे सही विधि के बारे में जानकारी लें।

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Image Credit- HerZindagi

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