
मासिक संकष्टी चतुर्थी का हिन्दू धर्म में बहुत अधिक महत्व है क्योंकि यह दिन प्रथम पूजनीय भगवान गणेश को समर्पित है। हर चंद्र मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को आने वाला यह व्रत भक्तों द्वारा जीवन के सभी संकटों और बाधाओं को दूर करने के लिए रखा जाता है। इस व्रत का पालन करने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद देते हैं तथा यह व्रत चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही पूरा माना जाता है। वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि हर माह में जब भी संकष्टी चतुर्थी आती है तो उसका एक अलग नाम और महत्व होता है। ऐसे ही दिसंबर में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी का अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के नाम से जानी जाएगी। आइये जानते हैं कि दिसंबर में कब पड़ रही है अखुरथ संकष्टी चतुर्थी, क्या है इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त और गणेश जी से जुड़े खास उपाय?
पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 7 दिसंबर, रविवार के दिन दोपहर 02:49 बजे होगा। वहीं, इसका समापन 8 दिसंबर, सोमवार के दिन शाम 04:05 बजे होगा।

ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत 8 दिसंबर को रखा जाएगा। हालांकि चंद्रमा की पूजा 7 दिसंबर को होगी क्योंकि चंद्र पूजन का मुहूर्त इसी दिन का निकल रहा है।
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संकष्टी चतुर्थी व्रत में चंद्रमा को अर्घ्य देना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत आरंभ होता है और व्रत का पूर्ण फल भी मिलता है। ऐसे में चंद्रोदय 7 दिसंबर 2025 को रात 08:00 बजे होगा।
वहीं, भगवान गणेश की पूजा के लिए 8 दिसंबर को शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 52 मिनट से आरंभ होगा और इसका समापन दोपहर 12 बजकर 54 मिनट पर होगा। पूजा के लिए कुल अवधि लगभग 1 घंटा है।
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सुबह पूजा के समय भगवान गणेश को 21 दूर्वा अर्पित करें। माना जाता है कि दूर्वा गणेश जी को बहुत प्रिय है और इसे अर्पित करने से वह जल्दी प्रसन्न होते हैं और सभी कष्ट दूर करते हैं। गणेश जी को मोदक या बेसन के लड्डू का भोग लगाएं।

अगर मोदक बनाना संभव न हो तो गुड़ और तिल का भोग भी अत्यंत शुभ होता है। प्रसाद को बच्चों में बांटना विशेष फलदायी होता है। व्रत के दिन शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने से पहले संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें।
यह स्तोत्र जीवन के हर संकट को दूर करने वाला माना जाता है। रात में चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को दूध और जल मिलाकर अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय 'ॐ गं गणपतये नमः' मंत्र का जाप करते रहें।
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