रोहिणी व्रत हर महीने में एक बार आता है। यह चंद्रमा के नक्षत्रों पर आधारित होता है। जब चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है, तब यह व्रत किया जाता है। जैन पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में रोहिणी नक्षत्र के आने पर यह व्रत आता है। यह व्रत लगातार तीन, पांच या सात सालों तक किया जाता है। जिस तरह व्रत रखने का विधान हैय़ ठीक वैसे ही व्रत का उद्यापन भी विधि-विधान से किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि रोहिणी व्रत रखने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। अब ऐसे में इस दिन चंद्रमा की पूजा किस विधि से करने से लाभ हो सकता है। पूजा के नियम और महत्व क्या है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
रोहिणी व्रत के दिन चंद्रमा की पूजा किस विधि से करें?
- रोहिणी व्रत के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
- घर में एक साफ-सुथरा स्थान चुनें, जहां आप पूजा कर सकें। आप अपने घर के पूजा स्थान पर भी यह पूजा कर सकते हैं।
- आप चंद्र देव की कोई छोटी मूर्ति या चित्र स्थापित करें। यदि नहीं है, तो मन में चंद्र देव का ध्यान कर सकते हैं।
- स्नान आदि के बाद पूजा स्थान पर बैठें।
- हाथ में थोड़ा जल लेकर रोहिणी व्रत और चंद्र देव की पूजा का संकल्प लें। रोहिणी व्रत के अवसर पर चंद्र देव की कृपा प्राप्त करने और अपने जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और आरोग्य की कामना के लिए यह पूजा आरंभ कर रहे हैं।
- एक पात्र में जल और थोड़ा दूध मिलाकर रखें। संध्या के समय जब चंद्रमा दिखाई दे, तो चंद्र देव को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय निम्न मंत्र का जाप करें।
- ऊं श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्राय नमः
- ऊं सोमाय नमः
- ऊं चंद्रमसे नमः
- चंद्र देव की मूर्ति या चित्र पर सफेद चंदन और अक्षत अर्पित करें।
- चंद्र देव के बीज मंत्र ऊं श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्राय नमः का 108 बार जाप करें। आप अपनी सुविधानुसार 'ऊं सोमाय नमः' या 'ऊं चंद्रमसे नमः' का भी जाप कर सकते हैं।
- चंद्र देव की आरती करें। आप कपूर जलाकर आरती कर सकते हैं।
- यदि संभव हो तो पूजा स्थान पर ही चंद्र देव का ध्यान करते हुए 3 या 7 बार परिक्रमा करें।
- आप इस दिन चंद यंत्र की पूजा भी कर सकते हैं।
रोहिणी व्रत के दिन चंद्रमा की पूजा करने का नियम
रोहिणी व्रत में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
रोहिणी व्रत विधिवत रूप से पूजा करने का विधान है।
इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने का महत्व है।
रोहिणी व्रत के दिन चंद्रमा की पूजा में सफेद चीजों का उपयोग विशेष रूप से करें।
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रोहिणी व्रत के दिन चंद्रमा की पूजा करने का महत्व
ज्योतिष के अनुसार, चंद्रमा को मन, शांति और भावनाओं का कारक माना जाता है। रोहिणी नक्षत्र चंद्रमा का सबसे प्रिय नक्षत्र है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्रमा की 27 पत्नियों में से रोहिणी उनकी सबसे प्रिय थीं। यही कारण है कि जब चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, तो यह एक विशेष योग बनता है। चंद्रमा शीतलता और शांति का प्रतीक है। रोहिणी व्रत के दिन चंद्रमा की पूजा करने से मन में शांति आती है और मानसिक तनाव कम होता है।
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Image Credit- HerZindagi
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