हिंदू धर्म में रविवार का दिन विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह मुख्य रूप से भगवान सूर्य देव को समर्पित है। सूर्य को नवग्रहों का राजा माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा-अर्चना करने और उन्हें अर्घ्य देने से व्यक्ति को अच्छी सेहत, यश, सम्मान, सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। यह दिन उन लोगों के लिए भी बहुत लाभकारी माना जाता है जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर होता है, क्योंकि सूर्य देव की कृपा से आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। इसलिए, रविवार का दिन सूर्य उपासना और दान-पुण्य के लिए बहुत श्रेष्ठ माना जाता है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं रविवार की संपूर्ण पूजा विधि के बारे में विस्तार से।
रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा विधि क्या है? (Surya Dev ki Puja Vidhi)
रविवार की पूजा के लिए सबसे पहले सुबह जल्दी उठें। संभव हो तो ब्रह्म मुहूर्त में उठें। उठने के बाद अपने नित्य कर्मों से निवृत हो जाएं। उसके बाद शुद्ध जल से स्नान करें। स्नान करते समय पानी में थोड़ा गंगाजल मिला सकते हैं, जिससे शरीर और मन दोनों शुद्ध हो सकें। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। हो सके तो लाल रंग के वस्त्र पहनें क्योंकि लाल रंग सूर्य देव को प्रिय है।
यह रविवार की पूजा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। एक तांबे के लोटे में शुद्ध जल लें। उसमें थोड़े चावल, लाल चंदन, लाल फूल जैसे गुड़हल और थोड़ी सी मिश्री या गुड़ डाल लें। अब उगते हुए सूर्य देव के सामने पूर्व दिशा की ओर मुख करके खड़े हो जाएं। लोटे को दोनों हाथों से पकड़कर सूर्य देव को धीरे-धीरे जल चढ़ाएं। पूजा के दौरान सूर्य देव के मंत्रों का जाप करना बहुत लाभकारी होता है।
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जल चढ़ाते समय 'ॐ घृणि सूर्याय नमः' या 'ॐ आदित्याय नमः' मंत्र का जाप करें। इसके अलावा, सूर्य देव के बीज मंत्र 'ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः' का जाप भी 108 बार कर सकते हैं। जल की धारा से सूर्य देव के दर्शन करने का प्रयास करें। अर्घ्य देते समय इस बात का ध्यान रखें कि जल आपके पैरों पर न पड़े। इसके लिए आप किसी पात्र या गमले का उपयोग कर सकते हैं।
अब अपने घर के पूजा स्थल पर आएं। यदि सूर्य देव की तस्वीर या मूर्ति हो तो उसे स्थापित करें। अगर नहीं है तो मन में ही सूर्य देव का ध्यान कर सकते हैं। पूजा स्थल को साफ करके गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें। अब एक आसन बिछाकर बैठ जाएं। पूजा शुरू करने से पहले हाथ में थोड़ा जल लेकर संकल्प लें। इसमें अपना नाम, गोत्र और पूजा का उद्देश्य जैसे सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य या किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए आदि बोलें।
संकल्प लेने के बाद सूर्य देव का ध्यान करें। मन ही मन उनकी महिमा का गुणगान करें और उन्हें अपनी पूजा स्वीकार करने का आवाहन करें। आप चाहें तो सूर्य चालीसा या सूर्य मंत्रों का पाठ भी कर सकते हैं। अब धूप जलाएं और सूर्य देव को अर्पित करें। उसके बाद दीपक प्रज्वलित करें। दीपक में शुद्ध घी का प्रयोग करें। दीपक जलाने के बाद सूर्य देव को पुष्प अर्पित करें। लाल रंग के फूल विशेष रूप से पसंद किए जाते हैं। इसके बाद नैवेद्य अर्पित करें। नैवेद्य में आप गुड़, चावल, गेहूं से बनी चीजें या कोई भी मीठी वस्तु चढ़ा सकते हैं। ध्यान रहे कि नैवेद्य सात्विक हो।
मंत्र जाप के बाद सूर्य चालीसा का पाठ करें। सूर्य चालीसा सूर्य देव की स्तुति है और इसका पाठ करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। चालीसा पाठ के बाद, कपूर या घी के दीपक से सूर्य देव की आरती करें। आरती करते समय सूर्य देव की महिमा का गुणगान करें और पूरे भक्ति भाव से उनकी स्तुति करें। आरती के बाद क्षमा प्रार्थना अवश्य करें जिसमें आप अपनी किसी भी गलती या भूल-चूक के लिए क्षमा मांगें।
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पूजा संपन्न होने के बाद जो नैवेद्य आपने सूर्य देव को अर्पित किया था, उसे प्रसाद के रूप में स्वयं ग्रहण करें और परिवार के सदस्यों तथा अन्य लोगों में भी वितरित करें। रविवार के दिन यथा शक्ति दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है। आप गेहूं, गुड़, लाल वस्त्र या तांबे के बर्तन दान कर सकते हैं। ऐसा करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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