Rath Saptami 2025: रथ सप्तमी के दिन जरूर करें सूर्यदेव के इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, आरोग्य के साथ मान-सम्मान में होगी वृद्धि

रथ सप्तमी के दिन सूर्यदेव की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन ऐसा कहा जाता है कि अगर सूर्यदेव की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ किया जाए तो व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य के साथ मान-सम्मान में भी वृद्धि हो सकती है। अब ऐसे में इस दिन सूर्य देव को अष्टकम स्तोत्र का पाठ करने का विशेष महत्व है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
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हर वर्ष माघ माह में रथ सप्तमी का महापर्व मनाया जाता है। यह पर्व माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर आता है। इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है, जो आत्मा के कारक हैं। सनातन धर्म के शास्त्रों में यह वर्णित है कि माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन ही सूर्य देव का प्रादुर्भाव हुआ था। इसी कारण इस शुभ अवसर पर रथ सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। अब ऐसे में अगर आप इस दिन सूर्यदेव की पूजा कर रहे हैं तो सूर्याष्टकम स्तोत्र का पाठ करने का विशेष महत्व है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

रथ सप्तमी के दिन करें सूर्याष्टकम स्तोत्र का पाठ

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अगर आप रथ सप्तमी के दिन सूर्यदेव की पूजा कर रहे हैं तो इस स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से करने से लाभ हो सकता है।
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर ।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते॥1॥
सप्ताश्व रथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम् ।
श्वेत पद्माधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥2॥
लोहितं रथमारूढं सर्वलोक पितामहम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥3॥
त्रैगुण्यश्च महाशूरं ब्रह्माविष्णु महेश्वरम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥4॥
बृहितं तेजः पुञ्ज च वायु आकाशमेव च ।
प्रभुत्वं सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥5॥
बन्धूकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम् ।
एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥6॥
तं सूर्यं लोककर्तारं महा तेजः प्रदीपनम् ।
महापाप हरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥7॥
तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानप्रकाशमोक्षदम् ।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥8॥
इति श्रीशिवप्रोक्तं सूर्याष्टकं सम्पूर्णम् ।
सूर्याष्टकं पठेन्नित्यं ग्रहपीडा प्रणाशनम् ।
अपुत्रो लभते पुत्रं दारिद्रो धनवान् भवेत् ॥
अमिषं मधुपानं च यः करोति रवेर्दिने ।
सप्तजन्मभवेत् रोगि जन्मजन्म दरिद्रता ॥
स्त्री-तैल-मधु-मांसानि ये त्यजन्ति रवेर्दिने ।
न व्याधि शोक दारिद्र्यं सूर्य लोकं च गच्छति ॥

सूर्याष्टकम स्तोत्र का पाठ करने का महत्व क्या है?

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सूर्याष्टकम भगवान सूर्य को समर्पित एक शक्तिशाली स्तोत्र है। इसका पाठ करने से व्यक्ति को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। सूर्याष्टकम का पाठ करने से कुंडली के सभी ग्रहों के दोष शांत होते हैं। इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और वह स्वस्थ रहता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को अपने कार्यों में सफलता मिलती है। सूर्याष्टकम का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में धन और समृद्धि बढ़ती है। इस स्तोत्र का पाठ करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है।

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Image Credit- HerZindagi

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