सनातन धर्म में पितृपक्ष एक महत्वपूर्ण अवधि है, जिसमें हिंदू धर्म के अनुयायी अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। इसे सोलह श्राद्ध, महालय पक्ष और अपर पक्ष के नाम से भी जाना जाता है।
आमतौर पर यह पक्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के अगले दिन से शुरू होता है और भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक चलता है। आपको बता दें, श्राद्ध कर्म पितृपक्ष का सबसे महत्वपूर्ण कर्मकांड है। इसमें पितरों के लिए भोजन बनाया जाता है और उन्हें पिंडदान किया जाता है।
अब ऐसे में अगर आप पितृपक्ष में श्राद्ध कर रहे हैं, तो पूजा सामग्री के बारे में विस्तार से जानना बेहद जरूरी है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
पितृपक्ष में श्राद्ध की संपूर्ण सामग्री क्या है?
पितृपक्ष में श्राद्ध के दौरान विभिन्न प्रकार की सामग्री का उपयोग किया जाता है। ये सामग्री पूजा के लिए आवश्यक होती हैं और पितरों को अर्पित की जाती हैं।
- तिल - तिल को पितृदोष निवारण और पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
- कुश - कुश एक पवित्र घास है जिसका उपयोग श्राद्ध में विशेष रूप से किया जाता है।
- जल - जल से तर्पण किया जाता है।
- गंगाजल - गंगाजल को पवित्र माना जाता है और इसे श्राद्ध में विशेष महत्व दिया जाता है।
- दूध - दूध को भी तर्पण में उपयोग किया जाता है।
- दही - दही का भी श्राद्ध में उपयोग होता है।
- घी - घी को आहुति देने के लिए उपयोग किया जाता है।
- शहद - शहद को भी श्राद्ध में शामिल किया जाता है।
- फल - विभिन्न प्रकार के फल जैसे केला, आम, सेब आदि श्राद्ध में चढ़ाए जाते हैं।
- मिठाई - विभिन्न प्रकार की मिठाई जैसे मोतीचूर लड्डू, पेड़ा आदि श्राद्ध में चढ़ाई जाती हैं।
- अन्न - चावल, गेहूं आदि अन्न को श्राद्ध में पकाकर पितरों को अर्पित किया जाता है।
- पिंड - पिंड को गेहूं के आटे से बनाया जाता है और पितरों को अर्पित किया जाता है।
- दीपक - दीपक जलाकर पितरों को प्रकाश दिया जाता है।
- धूप - धूप जलाकर पितरों को सुगंधित किया जाता है।
- नारियल - नारियल को भी श्राद्ध में चढ़ाया जाता है।
- कपूर - कपूर को भी श्राद्ध में जलाया जाता है।
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- पुष्प - फूलों को भी श्राद्ध में चढ़ाया जाता है।
- पत्तल - पत्तल पर भोजन रखकर पितरों को अर्पित किया जाता है।
- श्राद्ध करने के दौरान पितरों के नाम का स्मरण करें।
- पितरों के निमित्त तर्पण करें।
- पितृपक्ष में पिंडदान करें और श्राद्ध कर्मकांड करवाएं।
- ब्राह्मणों को भोजन कराएं। इसके अलाव दान-पुण्य जरूर करें।
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Image Credit- HerZindagi
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