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Papankusha Ekadashi Date 2025: 3 या 4 अक्टूबर, कब है पापांकुशा एकादशी? जानें शुभ मुहूर्त से लेकर पूजा विधि तक सब कुछ

Papankusha Ekadashi Kab Hai 2025: 'पापांकुशा' का अर्थ है पापों को नियंत्रित करने वाला अंकुश। माना जाता है कि इस व्रत को विधि-विधान से करने पर व्यक्ति के सभी संचित पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Editorial
Updated:- 2025-10-01, 16:06 IST

पापांकुशा एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है और यह भगवान विष्णु को समर्पित है। 'पापांकुशा' का अर्थ है पापों को नियंत्रित करने वाला अंकुश। माना जाता है कि इस व्रत को विधि-विधान से करने पर व्यक्ति के सभी संचित पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइए जानते हैं कि इस कब पड़ रही है अक्टूबर की पहली एकादशी और क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि एवं महत्व?

पापांकुशा एकादशी 2025 कब है?

पापांकुशा एकादशी अश्विन माह के शुक्ल पक्ष में आती है, ऐसे में तिथि का आरंभ 02 अक्टूबर 2025, गुरुवार के दिन, शाम 07 बजकर 10 मिनट पर होगा। वहीं, इसका समापन 03 अक्टूबर 2025, शुक्रवार के दिन, शाम 06 बजकर 32 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, पापांकुशा एकादशी का व्रत 3 अक्टूबर को रखा जाएगा।

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पापांकुशा एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त

पापांकुशा एकादशी के दिन यानी कि 3 अक्टूबर को भगवान विष्णु की पूजा का समय सुबह 11 बजकर 46 मिनट से शुरू होगा और दोपहर 12 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगा। इस मुहूर्त में भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और पुण्यों में वृद्धि होती है। साथ ही, भगवान विष्णु की असीम कृपा भी मिलती है।

papankusha ekadashi 2025 ki puja vidhi

पापांकुशा एकादशी 2025 पूजा विधि

एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें और हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करें। पूजा घर में भगवान विष्णु या श्री कृष्ण की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। उन्हें पंचामृत से अभिषेक कराएं। भगवान को पीले रंग के फूल, विशेष रूप से गेंदे, अपराजिता और हरसिंगार के फूल अर्पित करें। तुलसी दल अवश्य चढ़ाएं। इसके बाद धूप, दीप, चंदन और नैवेद्य चढ़ाएं।

भगवान विष्णु के 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। पापांकुशा एकादशी की व्रत कथा पढ़ें या सुनें। संभव हो तो रात में जागरण करें और भजन-कीर्तन करते हुए भगवान विष्णु का ध्यान करें। अगले दिन द्वादशी तिथि को शुभ मुहूर्त में ब्राह्मणों को भोजन कराने और दान देने के बाद ही व्रत का पारण करें।

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पापांकुशा एकादशी 2025 महत्व

इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने वाले भक्त को स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है और वह जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक लाभ देता है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि लाता है और उसे उत्तम स्वास्थ्य तथा दीर्घायु का आशीर्वाद भी प्रदान करता है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से बिछड़े हुए लोग भी आपस में मिल जाते हैं और संबंधों में प्रेम और मधुरता बढ़ती है।

papankusha ekadashi 2025 ka mahatva

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FAQ
पापांकुशा एकादशी के दिन क्या दान करना चाहिए?
पापांकुशा एकादशी के दिन अपने दोषों का दान करना चाहिए जिनके माध्यम से आपके पाप कर्म बनते हैं।
पापांकुशा एकादशी के दिन कौन्स अ दीया जलाना चाहिए?
पापांकुशा एकादशी के दिन दोमुखी दीया जलाना बहुत शुभ माना जाता है।
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