auspicious dates for naming ceremony june 2025

Namkaran Muhurat 2025: जून 2025 में नामकरण के लिए कौन-कौन सी शुभ तिथियां हैं? यहां देखें लिस्ट

नामकरण मुहूर्त 2025: नाम का व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है, इसलिए इसे बहुत सोच-समझकर और शुभ मुहूर्त देखकर रखा जाता है। अगर आपके घर में भी जल्द ही नन्हा मेहमान आने वाला है तो आइये जानते हैं जून 2025 के शुभ मुहूर्तों के बारे में। 
Editorial
Updated:- 2025-05-30, 12:48 IST

सनातन धर्म में व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक 16 संस्कार बताए गए हैं, जिनमें से नामकरण संस्कार पांचवां और बहुत महत्वपूर्ण है। यह वह खास मौका होता है जब नवजात शिशु को उसका पहला नाम दिया जाता है। चूंकि नाम का व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है, इसलिए इसे बहुत सोच-समझकर और शुभ मुहूर्त देखकर रखा जाता है। अगर आपके घर में भी जल्द ही नन्हा मेहमान आने वाला है, तो ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से जान लें कि जून 2025 में नामकरण के लिए कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं ताकि आप अपने बच्चे के लिए सही समय पर सही नाम चुन सकें।

नामकरण मुहूर्त जून 2025

naming ceremony in june 2025

तिथि दिन मुहूर्त आरंभ मुहूर्त समाप्ति (अगले दिन सुबह तक, या उसी दिन) मुख्य नक्षत्र
 5 जून  गुरुवार  03:35 बजे सुबह  06 जून सुबह 06:33 बजे  हस्त
 9 जून  सोमवार  15:31 बजे दोपहर  10 जून सुबह 05:26 बजे  अनुराधा
 13 जून  गुरुवार  23:20 बजे रात  14 जून सुबह 05:27 बजे  उत्तराषाढ़ा
 15 जून  रविवार  05:27 बजेसुबह                 17 जून सुबह 01:13 बजे  श्रवण
 19 जून  गुरुवार  00:23 बजे देररात  21 जून सुबह 05:28 बजे  उत्तर भाद्रपद
 23 जून  सोमवार  15:16 बजे दोपहर  24 जून सुबह 05:28 बजे  रोहिणी
 25 जून  बुधवार  05:29 बजे सुबह  25 जून रात 10:40 बजे  मृगशीर्ष

 27 जून

 शुक्रवार  07:21 बजेसुबह  28 जून सुबह 05:30 बजे

 पुष्य 

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अन्य शुभ मुहूर्त जून 2025

  • 2 जून (सोमवार): सुबह 8:21 बजे से रात 8:34 बजे तक (मघा नक्षत्र)
  • 4 जून (बुधवार): सुबह 8:29 बजे से 5 जून सुबह 5:23 बजे तक (उत्तराफाल्गुनी और हस्त नक्षत्र)
  • 6 जून (शुक्रवार): सुबह 06:34 बजे से 7 जून सुबह 04:50 बजे तक
  • 7 जून (शनिवार): सुबह 9:40 बजे से सुबह 11:18 बजे तक
  • 8 जून (रविवार): दोपहर 12:18 बजे से दोपहर 12:42 बजे तक
  • 11 जून (बुधवार): सुबह 05:22 बजे से दोपहर 01:15 बजे तक
  • 16 जून (सोमवार): सुबह 05:22 बजे से दोपहर 03:34 बजे तक (धनिष्ठा)
  • 20 जून (शुक्रवार): दोपहर 12:25 बजे से शाम 5:00 बजे तक (रेवती)
  • 26 जून (गुरुवार): दोपहर 01:27 बजे से 27 जून सुबह 05:24 बजे तक (पुनर्वसु)

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नामकरण संस्कार के नियम

naming ceremony dates in june 2025

नामकरण संस्कार से पहले घर और पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ किया जाता है। गंगाजल या पवित्र जल छिड़ककर स्थान को शुद्ध किया जाता है। बच्चे के जन्म के कारण लगने वाले सूतक या पातक की समाप्ति के बाद ही यह संस्कार किया जाता है। सूतक आमतौर पर 10 दिनों का होता है, जिसके बाद घर की शुद्धि की जाती है।

पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे कि धूप, दीप, अगरबत्ती, फूल, फल, मिठाई, अक्षत (चावल), रोली, चंदन, गंगाजल, पंचामृत में दूध, दही, घी, शहद, चीनी का मिश्रण, हवन सामग्री, बच्चे के लिए नए वस्त्र और एक थाली जिसमें चावल या अनाज आदि तैयार रखे जाते हैं। संस्कार की शुरुआत गणेश पूजा से होती है, क्योंकि गणेश जी को विघ्नहर्ता माना जाता है।

इसके बाद कुलदेवता और अन्य देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है। पंडित जी नवजात शिशु के माता-पिता से संकल्प करवाते हैं, जिसमें वे पूजा का उद्देश्य और अपनी मनोकामना बताते हैं। इसके बाद अग्नि प्रज्वलित कर हवन किया जाता है जिसमें देवताओं को आहुतियां दी जाती हैं। यह नामकरण संस्कार का मुख्य हिस्सा होता है।

पंडित जी या परिवार का कोई बुजुर्ग सदस्य, बच्चे के जन्म नक्षत्र और राशि के अनुसार एक या दो अक्षर का सुझाव देते हैं, जिस पर आधारित नाम का चयन किया जाता है। कभी-कभी बच्चे के कुलदेवता या पूर्वजों के नाम से भी प्रेरणा ली जाती है। बच्चे के कान में धीरे से चुने गए नाम को बोला जाता है। इसके बाद, चावल या अनाज से भरी थाली में बच्चे के पिता द्वारा अपनी उंगली से नाम लिखा जाता है। कुछ जगहों पर, नाम को एक पत्ते पर लिखकर बच्चे के माथे पर रखा जाता है।

नामकरण के बाद परिवार के सभी सदस्य और उपस्थित मेहमान बच्चे को आशीर्वाद देते हैं और उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं। अंत में, पूजा का प्रसाद वितरित किया जाता है। कई जगहों पर इस अवसर पर प्रीतिभोज का आयोजन भी किया जाता है। नामकरण संस्कार बच्चे को समाज में पहचान दिलाने और उसे आध्यात्मिक व सामाजिक रूप से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण कदम है।

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image credit: herzindagi 

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FAQ
बच्चे के नामकरण का क्या महत्व है?
बच्चे के नामकरण संस्कार का बहुत महत्व है। यह संस्कार बच्चे को एक विशिष्ट पहचान देता है जो उसके जीवन भर उसके साथ रहती है।
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