हिंदू धर्म में माना जाता है कि जब सूर्य देव, जो ग्रहों के राजा हैं, गुरु ग्रह की राशि धनु या मीन में प्रवेश करते हैं, तो उस समय ब्रह्मांड में एक विशेष प्रकार की ऊर्जा उत्पन्न होती है। इस ऊर्जा को शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है। आपको बता दें, खरमास साल में दो बार आता है। जिसमें पहला खरमास मार्च से अप्रैल और दूसरा खरमास दिसंबर से जनवरी के बीच पड़ता है। इस साल खरमास का आरंभ 15 दिसंबर से होने जा रहा है। अगर आप कोई शुभ काम करना चाहते हैं, तो खरमास से पहले ही कर लें। अब ऐसे में खरमास में सूर्यदेव और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने का विधान है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
खरमास में सूर्यदेव की पूजा का विशेष महत्व है। अगर आप सूर्यदेव की पूजा कर रहे हैं, तो इससे कुंडली में स्थित सूर्य की स्थिति मजबूत हो सकती है और मान-सम्मान के साथ-साथ आरोग्य में भी वृद्धि हो सकती है। इसलिए इस दिन सूर्यदेव की पूजा विधिवत रूप से करें।
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खरमास में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने का विधान है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु की पूजा विधिवत रूप से किया जाए, तो व्यक्ति के विवाह में आ रही परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है और कुंडली में गुरु की स्थिति मजबूत हो सकती है।
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Image Credit- HerZindagi
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