कर्क संक्रांति के दिन सूर्यदेव के इन विशेष मंत्रों का करें जाप, कुंडली में ग्रहों की स्थिति हो सकती है मजबूत

हिंदू धर्म में कर्क संक्रांति के दिन सूर्यदेव की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है। इस दिन कुछ ऐसे मंत्र हैं, जिनका जाप करने से उत्तम फलों की प्राप्ति हो सकती है। आइए इस लेख में विस्तार से मंत्रों का जाप करने के बारे में जानें।
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धार्मिक दृष्टिकोण से, कर्क संक्रांति का समय देवशयनी एकादशी के साथ मिलकर देवताओं के शयनकाल की शुरुआत का प्रतीक है। यही कारण है कि इस दौरान विवाह जैसे शुभ कार्यों को टाल दिया जाता है। यह अवधि जप, तप, ध्यान और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। सूर्यदेव का यह राशि परिवर्तन जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मक बदलावों का संचार करता है। आपको बता दें, इस साल कर्क संक्रांति 16 जुलाई को है। इस दिन सूर्यदेव कर्क राशि में सुबह 05 बजकर 40 मिनट पर कर्क राशि में गोचर करेंगे। यह तिथि श्रावण मास में पड़ती है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। अब ऐसे में कर्क संक्रांति के कुछ ऐसे मंत्र हैं, जिनका जाप करने से व्यक्ति को उत्तम फलों की प्राप्ति हो सकती है। आइए इस लेख में विस्तार से ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

कर्क संक्राति के दिन करें सूर्यदेव के मंत्रों का जाप

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कर्क संक्रांति के दिन सुबह स्नान करने के बाद, लाल वस्त्र धारण करें। एक तांबे के लोटे में जल, अक्षत (चावल), लाल फूल और थोड़ी सी रोली डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। आप रुद्राक्ष की माला का उपयोग कर सकते हैं। कर्क संक्रांति को मिथुन संक्रांति के नाम से जाना जाता है। जब सूर्यदेव मिथुन राशि से कर्क राशि में प्रवेश करते हैं। तो इसे कर्क संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
ॐ घृणि सूर्याय नमः
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणाय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
ॐ भास्कराय नमः
ॐ आदित्याय नमः
ॐ एहि सूर्य सहस्रांशो तेजोराशे जगत्पते। अनुकंपय मां भक्त्या, गृहाणार्घ्यं दिवाकर:।।
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम्। तमोरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्।।

कर्क संक्रांति के दिन सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करने का महत्व

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कर्क संक्रांति का दिन सूर्य की दक्षिणायन यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है। सूर्य के मंत्रों का जाप करने से शारीरिक ऊर्जा बढ़ती है और रोगों से मुक्ति मिलती है। यह मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है। सूर्य की कृपा से व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान और करियर में उन्नति मिलती है। यदि किसी की कुंडली में सूर्य कमजोर स्थिति में हो, तो कर्क संक्रांति पर मंत्र जाप करने से सूर्य ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।

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Image Credit- HerZindagi

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FAQ

  • कुंडली में सूर्य अशुभ कब होता है?

    कुंडली के 6, 8 या 12वें में होने से सूर्य अशुभ माने गए हैं। जब सूर्य ग्रह शुक्र, शनि और राहु की राशियों यानी वृषभ, तुला, मकर और कुंभ राशि में होते हैं, तो काफी असहज होते हैं यानी बली नहीं होते हैं। वहीं सूर्य पर अशुभ ग्रहों शनि, राहु और केतु की दृष्टि होने से भी सूर्य अशुभ माने गए हैं।
  • जिसका सूर्य कमजोर हो उसको क्या करना चाहिए?

    कुंडली में सूर्य की स्थिति को मजबूत करने के लिए सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करते समय उसमें लाल फूल मिलाकर अर्घ्य दें। इसके दौरान मन-ही-मन ओम ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:' मंत्र का जाप भी करते रहें। यदि संभव हो तो इस मंत्र का जाप कम-से-कम 108 बार करें।