(kajari teej 2023) हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कजरी तीज का त्योहार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाया जाता है। ये तीज रक्षाबंधन के तीसरे दिन आता है। वहीं इस साल दिनांक 02 सितंबर दिन शनिवार को कजरी तीज का त्योहार मनाया जाएगा। यह सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत खास माना जाता हैष इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और संतान की खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं।
कजरी तीज को सातुड़ी तीज, कजली तीज और कजलिया तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान शिव, माता पार्वती और नीमड़ी माता के साथ गायों की पूजा की जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं। तीज के दिन व्रत कथा के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। ऐसे में आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से तीज के व्रत कथा के बारे में जानते हैं।
कजरी तीज व्रत कथा (Kajri Teej Vrat Katha 2023)
ऐसा कहा जाता है कि एक गांव में ब्राह्मणी रहता था। वह भाद्रपद-माह की कृष्ण (भगवान कृष्ण मंत्र) पक्ष की तृतीया तिथि के दिन कजरी तीज का व्रत रखा था। उसने ब्राह्मणों से कहा कि आज मैने तीज का व्रत रखा ह। इसलिए आप मेरे लिए चने का सत्तु ले आओ।
तब ब्राह्मण ने कहा कि मैं सत्तु कहां से ले आऊं। मेरे पास तो धन भी नहीं है। इस पर ब्राह्मणी ने कहा कि आप चाहे चोरी करो या डाका डालो, लेकिन मेरे लिए सत्तु लेकर आओ। तब रात का समय था, तो ब्राह्मण घर से निकलकर साहूकार की दुकान में घुस गया। उसने वहां से चने की दाल, घी, शक्कर लेकर सत्तु बना लिया और धीरे से लेकर जाने लगा। इतने में खिटपिट की आवाज सुनकर दुकान के नौकरों की नींद खुल गई और वह ब्राह्मणो को चोर-चोर कहकर चिल्ला ने लगे। तब शोर सुनकर साहुकार आया और वह ब्राह्मण को पकड़ लिया।
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ब्राह्मण ने कहा कि मै चोर नहीं हूं। मै एक ब्राह्मण हूं। मेरी पत्नी ने आज तीज का व्रत रखा है, इसलिए मैंने आपकी दुकान से सवा किलो सातू बनाकर लिया है। इसके अलावा मैंने कुछ भी नहीं लिया है। तब साहुकार ने ब्राह्मण की तलाशी ली और सचमुच उसकजे पास से सिर्फ सवा किलो सातू के अलावा कुछ भी नहीं मिला। वहीं चांद निकल आया था और ब्राह्मणी अपने पति का इंतजार कर रही थी।
तब साहुकार ने ब्राह्मण को कहा कि तुम्हारी पत्नी को मैं आज से अपनी बहन मानता हूं। इतना कहकर उसने ब्राह्मण को सातू के साथ कुछ गहने, रुपए, मेंहदी और धन देकर सम्मान के साथ ब्राह्मण को विदा किया। इसके बाद ब्राह्मणी ने सबके साथ मिलकर तीज माता की पूजा की।
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इसलिए तभी से कहा जाता है कि जो कजरी माता का व्रत रखता है। उसके सभी दुख दूर हो जाते हैं और शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही भगवान शिव (भगवान शिव) के आशीर्वाद की भी प्राप्ति हो सकती है।
अगर आप भी कजरी तीज के दिन व्रत रख रहे हैं, तो इस दिन व्रत कथा अवश्य सुने। इससे व्यक्ति की सभी मुरादें पूरी हो सकती है और अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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