Vat Savitri Puja 2025:  बिना बरगद के पेड़ के घर पर वट सावित्री पूजा कैसे करें?

हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत विवाहित महिलाओं के लिए सबसे खास माना जाता है। वह अपने पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती हैं। वहीं वट सावित्री के दिन बरगद के पेड़ का विधान है। अब ऐसे में अगर बरगद का पेड़ न तो कैसे पूजा करें। आइए इस लेख में इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
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हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत अखोड सौभाग्य प्राप्ति का व्रत है। यह व्रत विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं के लिए होता है। वह अपने पति की लंबी आयु, स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए रखती है। ऐसी मान्यता है कि वट सावित्री के दिन व्रत रखने से आरोग्य का वरदान भी मिलता है। आपको बता दें, वट सावित्री व्रत की कथा देवी सावित्री और उनके पति सत्यवान से जुड़ी है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सावित्री ने अपने तप, व्रत और दृढ़ संकल्प से मृत्यु के देवता यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस पा लिए थे। इसी कारण यह व्रत पतिव्रता धर्म और नारी शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इस व्रत को करने से पति को लंबी आयु मिलती है और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति व समृद्धि बनी रहती है। महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं और अपने पति की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं।

अब ऐसे में सवाल है कि अगर किसी के घर के आसपास बरगद का पेड़ न तो वह वट सावित्री व्रत के दिन कैसे पूजा करें। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

बिना बरगद के वट सावित्री की पूजा कैसे करें?

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  • अगर संभव हो तो वट सावित्री व्रत से एक दिन पहले किसी से बरगद के पेड़ की एक छोटी टहनी या डाली मंगवा लें। इस डाली को साफ कपड़े में लपेटकर अपने पूजा स्थान पर रखें और इसे ही बरगद का प्रतीक मानकर पूजा कर सकती हैं। इस डाली पर कच्चा सूत बांधकर परिक्रमा भी कर सकते हैं। इससे पूजा का पूर्ण फल मिलता है।

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  • आप अगर बरगद की टहनी या डाली भी न मिल पाए, तो आप तुलसी के पौधे के पास बैठकर वट सावित्री की पूजा कर सकती हैं। हिंदू धर्म में तुलसी को बेहद पवित्र और सौभाग्य प्रतीक माना गया है। आप तुलसी को ही वट वृक्ष का प्रतीक मानकर पूजा करें और माता सावित्री से अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करें।

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  • आप बरगद के पेड़ की तस्वीर बाजार से लाकर भी पूजा कर सकती हैं। तस्वीर देखकर विधिवत रूप से पूजा करें।
  • इसके अलावा आप अपने पूजा स्थान को पहले गोबर, गंगाजल या हल्दी वाले जल से पवित्र कर लें। फिर उस स्थान पर आटे से चौक बनाएं और उस पर कलश स्थापित करें। पूजा के लिए आप मिट्टी से वहां गौरी-गणेश और नवग्रह के प्रतीक बनाएं और एक नारियल स्थापित करें। इसके बाद व्रत की पूजा विधिवत रूप से करें।

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नोट - अगर आप वट सावित्री व्रत की पूजा कर रही हैं तो आप अपने पंडित जी से भी जान लें और उनके नियमानुसार पूजा-पाठ करें।

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Image Credit- HerZindagi

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