(how many times should parikrama be done around navagraha) सनातन धर्म में देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करने के साथ-साथ उनकी परिक्रमा करने की भी मान्यता है। वहीं नवग्रहों की पूजा करने महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि अगर नवग्रहों की पूजा कर रहें हैं, तो सबसे पहले सूर्यदेव देव की पूजा अवश्य करनी चाहिए। इसके अलावा अगर आप नौ ग्रहों की परिक्रमा कर रहे हैं, तो उनकी परिक्रमा करने के दौरान कई बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि नौ ग्रहों की परिक्रमा कितनी बार करनी चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना जरूरी माना जाता है।
सूर्यदेव को ग्रहों का राजा कहा जाता है। इसलिए अगर आपकी इनकी पूजा कर रहे हैं, तो ब्रह्म मुहूर्त (ब्रह्म मुहूर्त मंत्र) में जल अर्पित करने के साथ-साथ 11 बार परिक्रमा जरूर लगानी चाहिए। इससे लाभ हो सकता है।
अगर आप चंद्रदेव की पूजा कर रहे हैं और उनकी परिक्रमा कर रहे हैं, तो 5 बार लगाएं। इससे चंद्र दोष से छुटकारा मिल सकता है और जीवन में चल रही परेशानियां भी दूर हो सकती है।
मंगल ग्रह को लाल ग्रह भी कहा जाता है। क्योंकि इनका रंग लाल होता है। इन्हें भूमि का पुत्र भी कहा जाता है। वहीं अगर आपकी कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति कमजोर है, तो मंगल देव की 12 परिक्रमा लगाएं।
बुध देव को संदेशवाहक के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें व्यापार का देवता भी कहा जाता है। अब ऐसे में अगर किसी जातक के व्यापार में किसी प्रकार की कोई परेशानी आ रही है, तो बुध देव की पूजा करनी चाहिए और 6 परिक्रमा लगानी चाहिए।
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देव गुरु बृहस्पति की परिक्रमा 4 बार लगाएं। इससे आपकी अगर आपके शुभ कार्य में किसी प्रकार की कोई बाधा उत्पन्न हो रही है, तो उससे छुटकारा मिल सकता है।
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शुक्रदेव की पूजा करें और उनकी 3 परिक्रमा लगाएं। शुक्रदेव की पूजा करने से व्यक्ति की उम्र लंबी होती है और भौतिक सुखों की भी प्राप्ति हो सकती है।
शनि देव की 11 परिक्रमा लगाएं। इससे मानसिक शांति, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति के जीवन में चल रही परेशानियां भी दूर हो सकती है।
अगर आपकी कुंडली में राहु (राहु दोष उपाय) की स्थिति कमजोर है, तो राहु की परिक्रमा 4 बार लगाएं। इससे दीर्घायु का वरदान मिलता है और समाज में मान-सम्मान की भी प्राप्ति हो सकती है।
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केतु को स्वास्थ्य, धन, भाग्य और घरेलू सुखों का कारक माना जाता है। इसलिए अगर आपकी कुंडली में केतु की स्थिति कमजोर है, तो 2 बार परिक्रमा लगाएं। इससे लाभ हो सकता है।
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