
सफला एकादशी का व्रत और पूजा जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और सौभाग्य प्रदान करने के लिए की जाती है। यह पौष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी है और इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की विधिवत पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन और श्रद्धा से यह व्रत रखता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसके सभी कार्य बिना किसी रुकावट के सफल होते हैं। सफला एकादशी की पूजा में कुछ विशेष सामग्रियों और नियमों का पालन करना आवश्यक है ताकि पूजा का पूर्ण फल प्राप्त हो सके। पूजा की तैयारी एक दिन पहले से ही शुरू हो जाती है और व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर किया जाता है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि सफला एकादशी की पूजा कैसे करें और क्या है संपूर्ण पूजन सामग्री?
सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा और व्रत करने के लिए कुछ आवश्यक सामग्री की जरूरत होती है। इन सामग्रियों को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा जा सकता है: पूजा और शुद्धि सामग्री, भोग सामग्री और सजावट सामग्री।

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सफला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें, हो सके तो पीले रंग के वस्त्र धारण करें। घर के मंदिर को अच्छी तरह साफ करें और एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें। अब हाथ में जल और चावल लेकर व्रत और पूजा का संकल्प लें कि आप विधि-विधान से यह व्रत करेंगे। भगवान को धूप और दीपक जलाकर प्रणाम करें।

इसके बाद, सबसे पहले भगवान विष्णु को पंचामृत जैसे दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल आदि से स्नान कराएं और फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें चंदन या रोली का तिलक लगाएं, अक्षत और पीले फूल अर्पित करें, और पीले वस्त्र पहनाएं। भोग में फल, मिठाई और विशेष रूप से तुलसी दल अवश्य चढ़ाएं, क्योंकि तुलसी के बिना भगवान विष्णु का भोग स्वीकार नहीं होता है।
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भोग लगाने के बाद, तुलसी की माला से भगवान विष्णु के मंत्र 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का कम से कम 108 बार जाप करें। इसके बाद सफला एकादशी की कथा पढ़ें या सुनें। दिनभर फलाहार लेते हुए व्रत का पालन करें। अगले दिन द्वादशी तिथि की सुबह पूजा करने के बाद ब्राह्मण को दान दें और शुभ मुहूर्त में अन्न ग्रहण करके व्रत का पारण करें।
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