Maa Laxmi Chalisa | मां लक्ष्मी चालीसा का पाठ

Laxmi Chalisa Lyrics: हिंदू धर्म में, चालीसा पाठ को बहुत खास माना जाता है। हर देवी-देवता की अपनी एक चालीसा होती है, जिसे पढ़ने से उनकी कृपा मिलती है और जीवन में अच्छे बदलाव आते हैं। विशेष रूप से, लक्ष्मी चालीसा का पाठ धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। आइए जानते हैं लक्ष्मी चालीसा का पाठ कब और कैसे करना चाहिए।
how to do lakshmi chalisa

हिंदू धर्म में, मां लक्ष्मी को धन, समृद्धि, ऐश्वर्य और सौभाग्य की देवी के रूप में पूजा जाता है। यह माना जाता है कि जो भक्त सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ लक्ष्मी चालीसा का पाठ करते हैं, उनके जीवन में सकारात्मकता आती है। चालीसा का नियमित पाठ करने से न केवल आर्थिक बाधाएं दूर होती हैं, बल्कि सुख-शांति भी आती है। यह धन की प्राप्ति के साथ-साथ आध्यात्मिक शांति और संतोष भी प्रदान करती है।

लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने के लिए कोई बहुत कठोर नियम नहीं हैं, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इनमें सही समय का चुनाव, आसन और दिशा का महत्व, पाठ से पहले शुद्धिकरण और पाठ के बाद की कुछ क्रियाएं शामिल हैं। ये सभी बातें यह सुनिश्चित करती हैं कि पाठ का पूरा लाभ मिले।

आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से विस्तार से जानते हैं।

लक्ष्मी चालीसा पाठ (Maa Lakshmi Chalisa)

lakshmi chalisa path ka kya mahatva hai

दोहा

मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास ।
मनो कामना सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस ॥

॥ चौपाई॥

सिंधु सुता विष्णुप्रिये नत शिर बारंबार ।
ऋद्धि सिद्धि मंगलप्रदे नत शिर बारंबार ॥ टेक ॥

सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही । ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि ॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी । सब विधि पुरबहु आस हमारी ॥

जै जै जगत जननि जगदम्बा । सबके तुमही हो स्वलम्बा ॥
तुम ही हो घट घट के वासी । विनती यही हमारी खासी ॥

जग जननी जय सिन्धु कुमारी । दीनन की तुम हो हितकारी ॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी । कृपा करौ जग जननि भवानी ॥

केहि विधि स्तुति करौं तिहारी । सुधि लीजै अपराध बिसारी ॥
कृपा दृष्टि चितवो मम ओरी । जगत जननि विनती सुन मोरी ॥

ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता । संकट हरो हमारी माता ॥
क्षीर सिंधु जब विष्णु मथायो । चौदह रत्न सिंधु में पायो ॥

चौदह रत्न में तुम सुखरासी । सेवा कियो प्रभुहिं बनि दासी ॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा । रूप बदल तहं सेवा कीन्हा ॥

स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा । लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा ॥
तब तुम प्रकट जनकपुर माहीं । सेवा कियो हृदय पुलकाहीं ॥

अपनायो तोहि अन्तर्यामी । विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी ॥
तुम सब प्रबल शक्ति नहिं आनी । कहँ तक महिमा कहौं बखानी ॥

मन क्रम वचन करै सेवकाई । मन-इच्छित वांछित फल पाई ॥
तजि छल कपट और चतुराई । पूजहिं विविध भाँति मन लाई ॥

और हाल मैं कहौं बुझाई । जो यह पाठ करे मन लाई ॥
ताको कोई कष्ट न होई । मन इच्छित फल पावै फल सोई ॥

त्राहि-त्राहि जय दुःख निवारिणी । त्रिविध ताप भव बंधन हारिणि ॥
जो यह चालीसा पढ़े और पढ़ावे । इसे ध्यान लगाकर सुने सुनावै ॥

ताको कोई न रोग सतावै । पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै ॥
पुत्र हीन और सम्पत्ति हीना । अन्धा बधिर कोढ़ी अति दीना ॥

विप्र बोलाय कै पाठ करावै । शंका दिल में कभी न लावै ॥
पाठ करावै दिन चालीसा । ता पर कृपा करैं गौरीसा ॥

सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै । कमी नहीं काहू की आवै ॥
बारह मास करै जो पूजा । तेहि सम धन्य और नहिं दूजा ॥

प्रतिदिन पाठ करै मन माहीं । उन सम कोई जग में नाहिं ॥
बहु विधि क्या मैं करौं बड़ाई । लेय परीक्षा ध्यान लगाई ॥

करि विश्वास करैं व्रत नेमा । होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा ॥
जय जय जय लक्ष्मी महारानी । सब में व्यापित जो गुण खानी ॥

तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं । तुम सम कोउ दयाल कहूँ नाहीं ॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै । संकट काटि भक्ति मोहि दीजे ॥

भूल चूक करी क्षमा हमारी । दर्शन दीजै दशा निहारी ॥
बिन दरशन व्याकुल अधिकारी । तुमहिं अक्षत दुःख सहते भारी ॥

नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में । सब जानत हो अपने मन में ॥
रूप चतुर्भुज करके धारण । कष्ट मोर अब करहु निवारण ॥

कहि प्रकार मैं करौं बड़ाई । ज्ञान बुद्धि मोहिं नहिं अधिकाई ॥
रामदास अब कहै पुकारी । करो दूर तुम विपति हमारी ॥

दोहा

त्राहि त्राहि दुःख हारिणी हरो बेगि सब त्रास ।
जयति जयति जय लक्ष्मी करो शत्रुन का नाश ॥

रामदास धरि ध्यान नित विनय करत कर जोर ।
मातु लक्ष्मी दास पर करहु दया की कोर ॥

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लक्ष्मी चालीसा का पाठ कब करें? (Mata Lakshmi Chalisa)

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लक्ष्मी चालीसा का पाठ कुछ खास दिनों में करना और भी शुभ माना जाता है, क्योंकि इससे मां लक्ष्मी की कृपा जल्दी मिलती है।शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित है। इस दिन लक्ष्मी चालीसा का पाठ करना बेहद शुभ फलदायी होता है। साथ ही, शुक्रवार का संबंध शुक्र ग्रह से भी है, जिसे धन, वैभव और ऐश्वर्य का कारक माना जाता है। इसलिए, शुक्रवार को पाठ करने से इन सभी क्षेत्रों में विशेष लाभ मिलता है।

पूर्णिमा तिथि पर भी लक्ष्मी चालीसा का पाठ करना बहुत लाभदायक माना जाता है। इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं में होता है, और यह तिथि देवी-देवताओं की पूजा के लिए पवित्र मानी जाती है। अगर आप रोजाना लक्ष्मी चालीसा का पाठ करते हैं, तो संध्या काल में, यानी लक्ष्मी माता की आरती के बाद इसका पाठ करना सबसे उत्तम होता है। ऐसा करने से घर में धन-धान्य बढ़ता है और सुख-समृद्धि आती है।

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लक्ष्मी चालीसा का पाठ कैसे करें?

lakshmi chalisa path ke kya labh hain

लक्ष्मी चालीसा का पाठ करते समय कुछ खास नियमों का पालन करना चाहिए ताकि आपको इसका पूरा लाभ मिल सके। लक्ष्मी चालीसा का पाठ हमेशा आसन पर बैठकर ही करें। सीधे जमीन पर बैठकर पाठ करना उचित नहीं माना जाता है।

पाठ शुरू करने से पहले, एक दक्षिणावर्ती शंख को लाल कपड़े पर रखें और उसे कलावा (मौली) से लपेटें। पूजा में शंख रखने का यह नियम इसलिए है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि शंख की उपस्थिति से पूजा में कोई दोष नहीं आता और वह सफल होती है।

लक्ष्मी चालीसा का पाठ पूरा करने के बाद, उस शंख को अपने घर की तिजोरी में या मंदिर में रखना बहुत शुभ माना जाता है। इससे घर में धन और समृद्धि बनी रहती है।

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • लक्ष्मी चालीसा को घर की किस दिशा में रखना चाहिए?

    लक्ष्मी चालीसा को घर में उत्तर-पूर्व दिशा में रखना सबसे शुभ माना जाता है।
  • रोजाना लक्ष्मी चालीसा पढ़ने से क्या होता है?

    प्रतिदिन लक्ष्मी चालीसा पढ़ने से जीवन में सकारात्मकता के साथ आर्थिक बाधाएं दूर और सुख-शांति आती है। 
  • लक्ष्मी जी को कौन सा दीपक जलाना चाहिए?

    इस दिन लक्ष्मी पूजा में घी का दीपक जलाना बेहद शुभ माना जाता है, इससे माता लक्ष्मी की कृपा आपको प्राप्त होती है।