सनातन धर्म में माता गायत्री को ज्ञान, बुद्धि और वेदों की जननी माना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन देवी गायत्री ज्ञान के रूप में प्रकट हुई थीं। गायत्री मंत्र को वेदों का सार माना जाता है, और इसमें सृष्टि की शक्ति निहित है। माता गायत्री के पांच मुख पृथ्वी के पांच तत्वों - जल, वायु, पृथ्वी, अग्नि और आकाश के सूचक माने जाते हैं। देवी गायत्री की पूजा करना वेदों का अध्ययन करने के बराबर माना जाता है। इस दिन गायत्री मंत्र का जाप करना विशेष रूप से फलदायी होता है। इतना ही नहीं, ऐसा माना जाता है कि गायत्री जयंती के दिन ही ऋषि विश्वामित्र ने सर्वप्रथम गायत्री मंत्र का उच्चारण कर दुनिया को साझा किया था, जिससे अज्ञानता का खात्मा हुआ। अब ऐसे में इस दिन हवन करने का विशेष विधान है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
गायत्री जयंती के दिन हवन किस विधि से करें?
गायत्री जयंती के दिन हवन करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। यह बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
- हवन करने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। हवन स्थल को गंगाजल या शुद्ध जल से पवित्र करें।
- हवन करने के लिए पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठें।
- हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर अपने नाम, गोत्र, स्थान और जिस उद्देश्य से हवन कर रहे हैं, उसका संकल्प लें।
- आप हवन करने से पहले कलश भी स्थापित कर सकते हैं। कलश में जल भरकर उसमें सिक्का, सुपारी, फूल, अक्षत डालकर उस पर आम के पत्ते और नारियल रखें।
- सबसे पहले गणेश जी का ध्यान करें और "ऊं गणेशाय नमः स्वाहा" कहकर आहुति दें।
- हवन कुंड को जल से शुद्ध करें। आटे से रंगोली बनाकर इसके ऊपर हवन कुंड रखें। हवन कुंड के चारों तरफ कलावा बांध दें।
- अब मुख्य आहुतियां देना शुरू करें। प्रत्येक आहुति के साथ "ऊं भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् स्वाहा" इस मंत्र का उच्चारण करें।
- सभी आहुतियां देने के बाद, एक बड़ा सूखा नारियल लेकर उसमें घी, शक्कर, लौंग, इलायची, कपूर आदि भरकर "ऊं पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते। ऊं शांतिः शांतिः शांतिः स्वाहा।" मंत्र के साथ अग्नि में अर्पित करें। यह पूर्णाहुति कहलाती है।
- खड़े होकर हवन कुंड की परिक्रमा करें। "यानि कानि च पापानि ज्ञाताज्ञातकृतानि च । तानि सर्वाणि नश्यन्ति प्रदक्षिणायां पदे-पदे।।" मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं।
- हवन समाप्त होने के बाद, माता गायत्री की आरती करें।
इसे जरूर पढ़ें - गायत्री मंत्र के जाप से मिल सकते हैं अनगिनत फायदे
गायत्री जयंती के दिन हवन करने का महत्व क्या है?
गायत्री मंत्र को वेदों का सार माना जाता है। इस मंत्र के साथ हवन करने से आध्यात्मिक विकास होता है, बुद्धि में वृद्धि होती है और ज्ञान की प्राप्ति होती है। मां गायत्री की पूजा और हवन करने से पापों का नाश होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गायत्री जयंती पर मां गायत्री की पूजा और हवन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता लाता है।
इसे जरूर पढ़ें - Maa Gayatri Chalisa: रोजाना करें मां गायत्री चालीसा का पाठ, पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं
अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं और अपना फीडबैक भी शेयर कर सकते हैं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
Image Credit- HerZindagi
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों