(dhanteras) हिंदू पंचांग में हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। धनतेरस को धन त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन प्रदोष काल में मां लक्ष्मी, भगवान गणेश, देवता कुबेर और भगवान धनवंतरि की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
इस दिन लोग अपनी क्षमता के अनुसार, सोना, चांदी का आभूषण खरीदते हैं। इसी दिन भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए धनतेरस के दिन धन्वंतरि को देवताओं का वैद्य भी कहा जाता है।
अब ऐसे में धनतरेस कब है, पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है और इस दिन का महत्व क्या है। इसके बारे में इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
जानें धनतेरस की शुभ तिथि क्या है ? (Dhanteras Shubh Tithi 2023)
हिंदू पंचांगे के अनुसार, इस साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि दिनांक 10 नवंबर दिन शुक्रवार को दोपहर 12:35 से लेकर दिनांक 11 नवंबर दिन शनिवार को दोपहर 01:57 मिनट तक है। त्रयोदशी तिथि का प्रदोष काल दिनांक 10 नवंबर को शाम 05 बजकर 30 मिनट से लेकर 08 बजकर 08 मिनट तक है।
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ऐसे में प्रदोष काल में पूजा का शुभ मुहूर्त दिनांक 10 नवंबर को है। दिनांक 11 नवंबर को त्रयोदशी तिथि में प्रदोष शुभ मुहू्र्त नहीं है। इसलिए 10 नवंबर को ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।
जानें धनतेरस का शुभ पूजा मुहूर्त (Dhanteras Puja Shubh Muhurat 2023)
दिनांक 10 नवंबर को धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:47 मिनट से लेकर शाम 07:43 मिनट तक है।
इस दिन धनतेरस की पूजा के लिए कुल 1 घंटा 56 मिनट का समय होगा इस मुहूर्त में मां लक्ष्मी, कुबेर देवता, भगवान गणेश (भगवान गणेश मंत्र) और श्रीयंत्र की पूजा करें।
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जानें धनतेरस का महत्व (Dhanteras significance 2023)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि धनतेरस या धन त्रयोदशी के दिन मां लक्ष्मी (मां लक्ष्मी मंत्र), भगवान गणेश और देवता कुबेर की पूजा करने से धन, वैभव और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा भी विधिववत की जाती है। जिससे व्यक्ति का स्वास्थ्य उत्तम रहता है।
पौराणिक कथा में जब भगवान विष्णु के अवतार भगवान धन्वंतरी प्रकट हुए थे, तब उनके हाथों में अमृत से भरा घड़ा था। इसलिए इस दिन बर्तन खरीदने के साथ-साथ सोने और चांदी के आभूषण खरीदने का विशेष महत्व है।
धनतेरस तिथि में खरीदी हुई चीजें 13 गुना ज्यादा फल देती हैं। वहीं धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी होती है, जिसे छोटी दिवाली के नाम ले भी जाना जाता है। इस दिन घर के बाहर दक्षिण दिशा में यम का दीपक जलाने की परंपरा हैं। इसके अगले दिन दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। वहीं इस साल दिवाली दिनांक 12 नवंबर दिन रविवार को है।
इस लेख में धनतेरस की शुभ तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व के बारे में विस्तार से जानें और अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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