चातुर्मास में भगवान शिव को क्या नहीं चढ़ाना चाहिए? जान लें सही नियम

हिंदू धर्म में चातुर्मास को शुभ नहीं माना जाता है। इस दौरान भगवान शिव की पूजा में उन्हें क्या चढ़ाने से बचना चाहिए। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
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जब भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हैं, तब भगवान शिव सृष्टि के पालक और संहारक दोनों रूपों में सक्रिय रहते हैं. यही कारण है कि चातुर्मास में भगवान शिव की आराधना से भक्तों को विशेष फल प्राप्त होते हैं. इस काल में शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है और 'हर हर महादेव' के जयकारे गूंजते रहते हैं। सावन का महीना, जो चातुर्मास के भीतर ही आता है, तो विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित है। इस माह में पड़ने वाले सोमवार का महत्व और भी बढ़ जाता है, और भक्त शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, धतूरा, भांग, दूध और चंदन अर्पित कर भगवान शिव को प्रसन्न करते हैं। अब ऐसे में चातुर्मास में भगवान शिव की पूजा में उन्हें क्या नहीं चढ़ाना चाहिए। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

चातुर्मास में भगवान शिव को न चढ़ाएं केतकी के फूल

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चातुर्मास का समय भगवान शिव की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है, लेकिन इस दौरान भगवान को केतकी का फूल अर्पित करना वर्जित है. इसके पीछे एक पौराणिक कथा है. ब्रह्मा जी और विष्णु जी में श्रेष्ठता को लेकर एक बार विवाद हुआ. भगवान शिव एक ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए और दोनों से उसका आदि और अंत खोजने को कहा.
ब्रह्मा जी ने अंत खोजने के लिए केतकी के फूल को झूठ बोलने के लिए राजी कर लिया कि उन्होंने शिवजी के ज्योतिर्लिंग का अंत देख लिया है. जब यह बात शिवजी को पता चली, तो वे क्रोधित हो गए और उन्होंने केतकी के फूल को श्राप दिया कि उसे कभी भी उनकी पूजा में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. इसी कारण से चातुर्मास ही नहीं, किसी भी समय शिवजी पर केतकी का फूल नहीं चढ़ाया जाता है।

चातुर्मास में भगवान शिव को न चढ़ाएं नारियल पानी

शास्त्रों और मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव को नारियल पानी चढ़ाना वर्जित माना गया है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि नारियल को देवी लक्ष्मी का रूप माना जाता है और इसे शुभता व समृद्धि का प्रतीक समझा जाता है। शिव पुराण में उल्लेख है कि भगवान शिव पर अर्पित की जाने वाली सभी वस्तुएं निर्मल और पवित्र होनी चाहिए। नारियल का संबंध प्रजनन और उत्पत्ति से भी है, जिसे शिव की वैराग्य प्रकृति के विपरीत माना जाता है। इसलिए, भगवान शिव की पूजा में नारियल पानी का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसके बजाय, आप उन्हें जल, दूध, बेलपत्र और धतूरा चढ़ा सकते हैं, जो उन्हें अत्यंत प्रिय हैं।

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चातुर्मास में भगवान शिव को न चढ़ाएं लाल चंदन

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, लाल चंदन उत्तेजना और ऊर्जा का प्रतीक है। चूंकि चातुर्मास भगवान शिव की तपस्या और ध्यान का समय होता है, ऐसे में उन्हें शांत और सौम्य वस्तुएं ही अर्पित करनी चाहिए। सफेद चंदन शांति और शीतलता का प्रतीक है, इसलिए इस दौरान भगवान शिव को सफेद चंदन चढ़ाना अधिक उपयुक्त माना जाता है।

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Image Credit- HerZindagi

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