चातुर्मास मास में लड्डू गोपाल की पूजा करने के दौरान किन नियमों का करें पालन, पंडित जी से जानें

हिंदू धर्म में चातुर्मास के साथ ही भगवान विष्णु को शयन के लिए चले जाते हैं। अब ऐसे में जिस भी भक्त के घर में लड्डू गोपाल जी हैं, वह इस दौरान पूजा में किन नियमों का पालन करें। इसके बारे में जानना बेहद जरूरी है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
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हिंदू पंचांग के अनुसार चातुर्मास आषाढ़ शुक्ल एकादशी से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है। इन चार महीनों में भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप, लड्डू गोपाल की सेवा और पूजा का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दौरान उनकी सेवा करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही अगर किसी व्यक्ति को किसी तरह की कोई समस्या झेलनी पड़ रही है तो चातुर्मास में लड्डू गोपाल की पूजा करने से लाभ हो सकता है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि चातुर्मास में लड्डू गोपाल की पूजा के नियम क्या हैं?

चातुर्मास मास में लड्डू गोपाल की पूजा नियम विस्तार से जान लें

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लड्डू गोपाल भगवान कृष्ण के बाल रूप हैं, जिन्हें घर में पुत्र के समान माना जाता है। उनकी सेवा में साक्षात भगवान की सेवा का फल मिलता है। चातुर्मास में जब भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हैं, तब भी उनके बाल स्वरूप की पूजा-अर्चना का क्रम जारी रहता है। इस समय की गई सेवा अधिक फलदायी मानी जाती है।
चातुर्मास में लड्डू गोपाल को नित्य स्नान कराना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्हें शुद्ध जल, गंगाजल, पंचामृत से स्नान कराएं। स्नान के बाद उन्हें स्वच्छ वस्त्र पहनाएं। इस अवधि में उन्हें सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनाना शुभ माना जाता है। चंदन का तिलक लगाएं और तुलसी की माला अर्पित करें।
लड्डू गोपाल को चातुर्मास में विशेष रूप से सात्विक भोग अर्पित करें। इस दौरान तामसिक भोजन खाने से बचें।
ध्यान रहे कि तुलसी दल के बिना लड्डू गोपाल का भोग अधूरा माना जाता है।
सुबह की पूजा से लेकर शाम की पूजा के बाद लड्डू गोपाल की आरती जरूर करें।
चातुर्मास में चूंकि भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हैं, इसलिए इस दौरान लड्डू गोपाल को दोपहर में और रात में विश्राम देना चाहिए। उन्हें निद्रासन पर आराम कराएं।
चातुर्मास में लड्डू गोपाल को अधिक यात्रा न कराएं। यदि बहुत आवश्यक हो तो उन्हें अपने साथ सावधानीपूर्वक ले जाएं।
चातुर्मास में तुलसी की पूजा का भी विशेष महत्व है। लड्डू गोपाल की पूजा के साथ-साथ तुलसी की भी सेवा करें। उन्हें जल चढ़ाएं और दीपक जलाएं।

चातुर्मास में लड्डू गोपाल की पूजा का महत्व

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भगवान कृष्ण का बाल स्वरूप अत्यंत दिव्य और पवित्र माना जाता है। चातुर्मास में इस स्वरूप की पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। चातुर्मास में तुलसी पूजन करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती है और उत्तम फलों की प्राप्ति हो सकती है।

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Image Credit- HerZindagi

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FAQ

  • चातुर्मास के दौरान क्या नहीं करना चाहिए?

    चातुर्मास में तामिक भोजन, बाल और नाखून काटने से बचना चाहिए।
  • चातुर्मास में क्या दान करना चाहिए?

    चार महीने की इस अवधि में अन्न, वस्त्र, गौ, छतरी, जलपात्र, दीपक, और धार्मिक ग्रंथों का दान विशेष शुभ माना गया है। साथ ही, ब्राह्मणों, साधु-संतों, जरूरतमंदों और गायों की सेवा भी चातुर्मास में अक्षय पुण्य देने वाली कही गई है।