भाद्रपद पूर्णिमा पर लगेगा चंद्र ग्रहण तो क्या इस दिन करना चाहिए पितरों का श्राद्ध और तर्पण

भाद्रपद पूर्णिमा तिथि पर जहां एक ओर पितरों का तर्पण और श्राद्ध होना है तो वहीं, साल के आखिरी चंद्र ग्रहण का साया भी है। ऐसे में लोगों के बीच ये दुविधा है कि क्या ग्रहण काल के दिन पितरों के निमित्त तर्पण एवं श्राद्ध करना सही है या नहीं।
should we perform pitru tarpan and shradh on bhadrapada purnima during grahan
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भाद्रपद माह की पूर्णिमा 7 सितंबर, रविवार के दिन पड़ रही है। विशेष बात यह है कि इस दिन जहां एक ओर चंद्र ग्रहण लग रहा है तो वहीं, दूसरी ओर पितृ पक्ष का आरंभ हो रहा है। पितृ पक्ष की पूर्णिमा तिथि का श्राद्ध एवं तर्पण किया जाएगा। अब बात ये है कि जब किसी एक दिन दो धार्मिक घटनाएं एक साथ घट रही हों तो लोग असमंजस में पड़ जाते हैं कि ऐसे में क्या करें और क्या नहीं।

kya bhadrapad purnima pr grahan ke dauran karna chahiye pitru tarpan

ठीक ऐसे ही पूर्णिमा तिथि पर जहां एक ओर पितरों का तर्पण और श्राद्ध होना है तो वहीं, साल के आखिरी चंद्र ग्रहण का साया भी है। ऐसे में लोगों के बीच ये दुविधा है कि क्या ग्रहण काल के दिन पितरों के निमित्त तर्पण एवं श्राद्ध करना सही है या नहीं और कहीं कोई इसका बुरा असर तो नहीं होगा। ऐसे में चलिए जानते हैं इस बारे में विस्तार से वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।

क्या भाद्रपद पूर्णिमा पर ग्रहण काल में कर सकते हैं श्राद्ध और तर्पण?

हिन्दू धर्म शास्त्र और मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण को एक अशुभ घटना माना जाता है। ग्रहण के लगने से कुछ घंटे पहले ही सूतक काल शुरू हो जाता है जिसे और भी ज्यादा अशुभ माना जाता है। इस साल चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को रात 9 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगा और रात 1 बजकर 26 मिनट पर इसका समापन हो जाएगा।

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इस ग्रहण का सूतक काल दोपहर 12 बजकर 57 मिनट से ही शुरू हो जाएगा जो ग्रहण की समाप्ति तक रहेगा। सूतक काल के दौरान पूजा-पाठ, शुभ कार्य और भोजन पकाना या खाना वर्जित होता है। वहीं, श्राद्ध और तर्पण का कार्य दिन के समय किया जाता है विशेषकर दोपहर के समय जिसे कुतुप काल कहा जाता है।

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यह समय पितरों के लिए सबसे अधिक शुभ माना जाता है। कुतुप काल का समय सुबह 11 बजकर 54 से दोपहर 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। ऐसे में इस साल भाद्रपद पूर्णिमा के दिन दोपहर 12 बजकर 57 मिनट से पहले पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना शुभ होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इस समय सूतक काल शुरू नहीं होगा।

यह भी पढ़ें:अशुभ माने जाने वाले ग्रहण का किस समय पड़ता है शुभ प्रभाव?

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • पितरों को क्यों चढ़ाए जाते हैं काले तिल?

    पितरों को काले तिल इसलिए चढ़ाए जाते हैं क्योंकि यह यमराज को प्रिय होते हैं जिससे पितरों को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।
  • पितरों को क्या चीज पसंद होती है?

    पितरों के लिए भोजन बनाते समय उनकी प्रिय चीजें जैसे दूध, दही, घी और शहद का उपयोग जरूर करना चाहिए।