ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ जाता है। यही कारण है कि इस समय ज्यादा से ज्यादा मंत्र जाप या नाम जाप करने के लिए कहा जाता है, ताकि ग्रहण के पड़ने वाले अशुभ प्रभावों से बचा जा सके, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ग्रहण का सिर्फ बुरा असर ही नहीं पड़ता है। कभी-कभी ग्रहण शुभता भी लेकर आता है। कुछ विशेष स्थितियों और कार्यों के लिए यह समय बहुत ही शुभ और लाभकारी भी माना जाता है। आइये जानते हैं इस बारे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।
कब ग्रहण शुभ होता है?
जब भी ग्रहण लगे फिर चाहे वो सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण, उसी दिन पूर्णिमा या अमावस्या तिथि के साथ-साथ पितृपक्ष पड़ रहा हो तो ऐसा ग्रहण बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के दौरान किए गए तर्पण या श्राद्ध से पितरों को सीधे शांति और मोक्ष मिलता है।
इस समय पितरों के लिए किए गए कर्मकांड बहुत ही प्रभावशाली होते हैं और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है। इस तरह के दुर्लभ संयोग को बहुत ही सौभाग्यशाली माना जाता है। पितृ पक्ष के दौरान पड़ने वाला ग्रहण पितरों की मुक्ति के साथ ही परिवार की समृद्धि लाता है।
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इसके अलावा, जब भी ग्रहण पड़े तब उसकी अवधि दिन के एक प्रहर से कम की हो तो ऐसा ग्रह भी बहुत शुभ होता है। ऐसे ग्रहण के दौरान किया गया मंत्र या नाम जाप जीवन में उन्नति लेकर आता है, सफलता के मार्ग खोलता है और अपार सुख एवं सौभाग्य प्रदान करता है।
साथ ही, अगर किसी राशि में राहु की स्थिति उच्च हो यानी कि राहु मजबूत हो तो ऐसे में उस राशि के लिए भी ग्रां की अवधि बहुत शुभ होती है। ऐसी स्थिति में पड़ने वाला ग्रहण राहु की शुभता को बढ़ाता है जिससे दान, वैभव, संपदा और संपन्नता की प्राप्ति होती है।
ग्रहण में कौन सा कार्य करें?
ग्रहण का समय मंत्रों की सिद्धि के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान मंत्रों का जप करने से उनका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। जो लोग आध्यात्मिक साधना करते हैं, वे इस समय का विशेष उपयोग कर सकते हैं।
ग्रहण के दौरान किए गए जप से आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ती है और व्यक्ति को अपने इष्ट देव से गहरा जुड़ाव महसूस होता है। इस समय किए गए जप से मन शांत होता है और ध्यान लगाने में भी मदद मिलती है।
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ग्रहण के बाद दान करने का बहुत महत्व है। इस समय किया गया दान कई गुना पुण्य प्रदान करता है। ग्रहण के बाद गरीबों, ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को अनाज, कपड़े, धन या अन्य वस्तुएं दान करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और जीवन में समृद्धि आती है।
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