Chaitra Navratri Day 6 Vrat Katha: चैत्र नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी की आराधना के लिए बेहद खास होता है। मां कात्यायनी को शक्ति और साहस की देवी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इनकी उपासना करने से भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इससे जीवन में सुख-समृद्धि और विजय का आशीर्वाद प्राप्त होता है। देवी कात्यायनी को दुर्गा का महा स्वरूप भी कहा जाता है, जो असुरों का संहार कर धर्म और न्याय की स्थापना करती हैं। माता के आशीर्वाद से सभी संकटों का नाश होता है और भक्तों के जीवन में शांति और खुशहाली आती है।
मां कात्यायनी का स्वरूप तेजस्वी और बेहद दिव्य है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कात्यायनी की आराधना करने से मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है और वैवाहिक जीवन में आने वाली समस्त बाधाएं दूर होती हैं। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य अरविंद त्रिपाठी से मां कात्यायनी की पूजा विधि, भोग और उनकी व्रत कथा के बारे में जान लेते हैं।
मां कात्यायनी की कथा(6th Day of Navratri Vrat Katha)
मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और दिव्य है। उनका वर्ण गोल्डन आभा युक्त है और वे चार भुजाओं वाली हैं। उनके दो हाथों में कमल और तलवार है, जबकि अन्य दो हाथों से वे भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करने की मुद्रा में हैं। सिंह पर सवार मां कात्यायनी की उपासना करने से सभी प्रकार के भय और संकट दूर हो जाते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय महर्षि कात्यायन ने कठोर तपस्या कर माता पार्वती से एक विशेष रूप में जन्म लेने का वरदान मांगा। उनकी घोर तपस्या से प्रसन्न होकर मां दुर्गा ने कात्यायन ऋषि के घर पुत्री रूप में जन्म लिया। चूंकि वे कात्यायन ऋषि की पुत्री बनीं, इसलिए उनका नाम कात्यायनी पड़ा।
इसी समय राक्षस महिषासुर ने देवताओं पर अत्याचार बढ़ा दिए थे। तब त्रिदेवों यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेशकी शक्ति से उत्पन्न हुई मां कात्यायनी ने महिषासुर का वध कर देवताओं को भयमुक्त किया। तभी से इनकी पूजा असुरों का संहार करने वाली शक्ति के रूप में की जाती है।
इसे भी पढ़ें-चैत्र माह में रोजाना करें इन विशेष मंत्रों का जाप, दूर होंगी सभी परेशानियां
मां कात्यायनी का स्वरूप (Maa Katyayni Swaroop)
मां कात्यायनी देवी दुर्गा के छहवें स्वरूप के रूप में पूजी जाती हैं। उनका स्वरूप अत्यंत दिव्य, तेजस्वी और सौम्य होता है। वे शक्ति और पराक्रम की प्रतीक हैं। शास्त्रों में मां कात्यायनी का रंग स्वर्ण के समान चमकता हुआ बताया गया है। उनका तेज सूर्य के समान दैदीप्यमान है और उनके सिर पर स्वर्ण मुकुट सुशोभित रहता है, जो उनकी दिव्यता को और बढ़ाता है। मां कात्यायनी के चार हाथ हैं। उनके ऊपरी दाहिने हाथ में अभय मुद्रा होती है, जो भक्तों को निर्भयता प्रदान करती है। नीचे दाहिना हाथ वरदान मुद्रा में है, जिससे भक्तों को आशीर्वाद मिलता है। ऊपरी बाएं हाथ में तलवार और नीचले बाएं हाथ में कमल का फूल है, जो शुद्धता और ज्ञान का प्रतीक है। मां कात्यायनी का वाहन सिंह है।
इसे भी पढ़ें-Chaitra Navratri 2025 Upay: नवरात्रि में नौ लौंग और कपूर जलाने से क्या होता है? पंडित जी से जानें
मां कात्यायनी का प्रिय भोग (Chaitra Navratri Day 6 Bhog)
मां कात्यायनी को शहद और गुड़ अति प्रिय होते हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त उन्हें गुड़ व शहद का भोग लगाकर पूजा करता है, उसकी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं।
इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय भी आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। साथ ही,अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें। इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हर जिन्दगी के साथ
Image credit- Herzindagi
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों