सावन का महीना जल्द ही शुरू होने जा रहा है और इस दौरान कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व होता है। इस साल 11 जुलाई से सावन महीने की शुरुआत के साथ ही कांवड़ यात्रा की भी शुरुआत हो जाएगी। इस दौरान लाखों श्रद्धालु गंगा नदी का पवित्र जल लेकर शिवलिंग पर चढ़ाते हैं और कांवड़ यात्रा को शिव भक्ति का सरल रूप माना जाता है। कांवड़ यात्रा भगवान भोलेनाथ के प्रति भक्ति और समर्पण दिखाने का प्रतीक मानी जाती है। मान्यता है कि प्राचीन काल में रावण ने भी हिमालय से गंगा जल लाकर भोलेनाथ का अभिषेक किया था। यभी से कांवड़ यात्रा की शुरूआत हुई। कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालु हरिद्वार, गंगोत्री, गौमुख, काशी, गढ़मुक्तेश्वर आदि स्थानों से जल भकरकर लाते हैं और शिवलिंग पर चढ़ाते हैं।
यह यात्रा सावन के पहले दिन से शुरू होकर सावन शिवरात्रि तक चलती है। आमतौर पर घर के पुरुष ही कांवड़ यात्रा में शामिल होती हैं, लेकिन एक बड़ा सवाल यह भी है कि क्या महिलाएं भी कांवड़ यात्रा में शामिल हो सकती हैं। ऐसे में इस सवाल का सही जवाब जानने के लिए हमने ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से बात की। आइए आपको बताते हैं इसके बारे में कुछ बातें विस्तार से।
क्या महिलाएं भी कांवड़ यात्रा में हिस्सा ले सकती हैं?
अगर हम ज्योतिष मान्यताओं की बात करें तो किसी भी शास्त्र में महिलाओं के भोलेनाथ की भक्ति करने की मनाही नहीं है। यही नहीं भगवान शिव को अर्धनारीश्वर भी कहा गया है, उनकी भक्ति कोई भी कर सकता है। इसीलिए धार्मिक दृष्टि से महिलाओं को कांवड़ यात्रा पर जाने की मनाही नहीं होती है। यही नहीं कई जगहों पर महिलाएं समूह के साथ कांवड़ यात्रा भी करती हैं।
ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई महिला कांवड़ यात्रा करने में सक्षम होती है, तो वह कांवड़ यात्रा कर सकती है। कोई भी शास्त्र यह नहीं कहता कि महिलाएं कांवड़ यात्रा पर नहीं जा सकती हैं। हालांकि महिलाएं पारिवारिक जिम्मेदारियों में बंधी होने की वजह से कांवड़ यात्रा पर नहीं जा पाती हैं और घर के पुरुष ही इस यात्रा का हिस्सा बनते हैं।
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कांवड़ यात्रा के कठोर नियमों की वजह से महिलाएं नहीं लेती हैं हिस्सा
ऐसा कहा जाता है कि कांवड़ यात्रा के नियम बहुत कठोर होते हैं और यदि लंबे समय तक महिलाएं अपनी क्षमता के अनुसार नंगे पैर चल सकती चल सकती हैं, जप, तप, यात्रा आदि सभी कार्य कर सकती हैं तो कांवड़ यात्रा पर जाने की कोई मनाही नहीं होती है। हर साल कई शिव भक्त कांवड़ यात्रा करते हैं। लंबे समय से महिलाओं के लिए महिला कांवड़ और शक्ति कांवड़ के रूप में कांवड़ के अलग-अलग दल बनाए गए हैं, जो महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा को देखते हुए बनाए गए हैं।
महिला कांवड़ यात्रियों के लिए कई जगहों पर अलग से शिविर, चिकित्सा सहायता आदि की भी सुविधा उपलब्ध रहती है। लेकिन कांवड़ यात्रा पर जाते समय महिलाओं को कुछ बातों का ध्यान रखने और अपनी सुरक्षा बनाए रखने की सलाह दी जाती है।
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कांवड़ यात्रा पर जा रही हैं तो रखें इन बातों का ध्यान
यदि आप किसी शारीरिक समस्या से जूझ रही हैं या मासिक धर्म में हैं तो आपको कांवड़ यात्रा पर न जाने की सलाह दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इतनी लंबी यात्रा के बाद थकान हो सकती है और यदि आप पहले से अस्वस्थ हैं तो यात्रा से और ज्यादा परेशान हो सकती हैं। इसी वजह से आपको सलाह दी जाती है कि आप अपने स्वास्थ्य और सुविधा का ख्याल रखते हुए ही यात्रा करें। यदि आप यात्रा करने का निर्णय लेती हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप यात्रा के कुछ दिन पहले से ही पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, शरीर को आराम दें, अपनी स्वच्छता का ध्यान रखें और पौष्टिक आहार लें। यही नहीं यात्रा के दौरान आप अपने साथ आवश्यक दवाएं जरूर रखें।
अगर आप भी कांवड़ यात्रा की योजना बना रही हैं तो आपको यहां बताई बातों को ध्यान में रखना चाहिए, जिससे यात्रा को आसानी से किया जा सके।
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