Pithori Amavasya Date 2025: आज है पिठोरी अमावस्या, यहां जानें स्नान-दान का शुभ मुहूर्त और महत्व

Pithori Amavasya Kab Hai 2025: पिठोरी अमावस्या पर पूजा करने से संतान के जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि आती है। इसके अलावा, इस दिन स्नान, दान और तर्पण करने से पितृ दोष समाप्त होता है और पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
pithori amavasya 2025
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पिठोरी अमावस्या का सबसे खास महत्व देवी दुर्गा के 64 योगिनियों की पूजा से जुड़ा हुआ है। देवी दुर्गा के स्वरूप की पूजा के दौरान लोग सभी विधी विधान का खास ध्यान रखते हैं। इस दिन व्रत संतान के लिए रखा जाता है। इस दिन माताएं पूरे श्रद्धा भाव से उपवास रखकर संतान की कुशलता के लिए पूजा करती हैं। इसके साथ ही इस दिन स्नान, दान और तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। घर-परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जीवन की बाधाएं धीरे-धीरे समाप्त हो जाती हैं। पिठोरी अमावस्या हिंदू धर्म में भाद्रपद मास की अमावस्या को मनाई जाती है। पिठोरी अमावस्या के अवसर पर आइये जानते हैं वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से कि आज स्नान-दान का मुहूर्त और महत्व क्या है।

पिठोरी अमावस्या 2025 कब है?

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि 22 अगस्त, शुक्रवार के दिन सुबह 11:55 बजे से शुरू है और 23 अगस्त, शनिवार के दिन सुबह 11:35 बजे समाप्त होगी।

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चूंकि अमावस्या का व्रत मध्यकाल में रखा जाता है, इसलिए पिठोरी अमावस्या का स्नान-दान 22 अगस्त यानी कि आज है। साथ ही, आज के दिन राहु से जुड़े उपाय करना भी लाभकारी है।

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पिठोरी अमावस्या स्नान-दान मुहूर्त 2025

पिठोरी अमावस्या यानी कि आज के दिन स्नान-दान से लेकर पूजा तक के लिए शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं। इसके अलावा, अमावस्या तिथि पर चूंकि भगवान शिव की पूजा करने का विधान है। ऐसे में प्रदोष काल भी बन रहा है।

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:06 बजे से सुबह 04:50 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:35 बजे से दोपहर 12:26 बजे तक
  • स्नान-दान मुहूर्त: सुबह 11:55 से अगले दिन 23 अगस्त, सूर्योदय तक
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 02:09 बजे से दोपहर 03:01 बजे तक
  • प्रदोष काल मुहूर्त: शाम 06:53 बजे से रात 09:06 बजे तक

पिठोरी अमावस्या का महत्व

पिठोरी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मानसिक शांति मिलती है। दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है जिससे जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।

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इसके अलावा, इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से कालसर्प दोष और शनि दोष जैसे अशुभ ग्रहों के प्रभाव कम होते हैं। ऐसा माना जाता है कि शिव पूजा और दान से सौभाग्य, समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

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Image credit: herzindagi

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FAQ

  • भाद्रपद अमावस्या को पिठोरी अमावस्या क्यों कहते हैं?

    इस दिन मां पार्वती ने 64 योगिनियों के साथ मिलकर भगवान गणेश की पूजा की थी। इसी वजह से इसे पिठोरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।
  • पिठोरी अमावस्या के दिन क्या दान करें? 

    पिठोरी अमावस्या के दिन तिल का दान करना शुभ माना जाता है। 
  • पिठोरी अमावस्या के दिन किस पेड़ की पूजा होती है?

    पिठोरी अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा होती है।
  • पिठोरी अमावस्या पर क्या नहीं करना चाहिए?

    पिठोरी अमावस्या पर कोई भी अशुभ काम नहीं करना चाहिए, जैसे कि झगड़ा करना, झूठ बोलना, और किसी को नुकसान पहुंचाना।
  • पिठोरी अमावस्या पर कौन से मंत्र का जाप करें?

    पिठोरी अमावस्या पर 'ॐ पितृ देवतायै नमः' मंत्र का जाप करें।