22 अगस्त 2025 का पंचांग कई मायनों में खास है। आज के दिन भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि दोपहर 11:56 तक रहेगी जिसके बाद भाद्रपद अमावस्या शुरू हो जाएगी। यह अमावस्या पिठोरी अमावस्या के नाम से जानी जाती है जो पितरों के श्राद्ध और तर्पण के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसके अलावा, आज का दिन शुक्रवार होने के कारण देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए भी शुभ है। 22 अगस्त को दोपहर 11:55 बजे के बाद अमावस्या तिथि लगने से यह दिन पूजा-पाठ और दान-पुण्य के लिए बेहद विशेष हो जाता है, खासकर उन लोगों के लिए जो अपने पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं। हालांकि वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि पिठोरी अमावस्या पर अशुभ समय में कोई भी काम न करें और उसके लिए राहु काल का समय पता होना आवश्यक है, जो आप आज के पंचांग में देख सकते हैं।
आज का पंचांग 22 अगस्त 2025
तिथि | नक्षत्र | दिन/वार | योग | करण |
भाद्रपद कृष्णचतुर्दशी/अमावस्या | आश्लेषा | शुक्रवार | वरीयान | शकुनि |
आज सूर्य और चंद्रमा का समय 22 अगस्त 2025
प्रहर | समय |
सूर्योदय | सुबह 05:54 बजे |
सूर्यास्त | शाम 06:53 बजे |
चंद्रोदय | सुबह 4:41 बजे |
चंद्रास्त | शाम 5:54 बजे |
आज का शुभ मुहूर्त और योग 22 अगस्त 2025
मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
ब्रह्म मुहूर्त | सुबह 04:26 बजे से सुबह 05:10 बजे तक |
अभिजीत मुहूर्त | सुबह 11:58 बजे से दोपहर 12:50 बजे तक |
विजय मुहूर्त | दोपहर 02:34 बजे से दोपहर 03:26 बजे तक |
गोधूलि बेला | शाम 06:53 बजे से शाम 07:15 बजे तक |
आज का अशुभ मुहूर्त 22 अगस्त 2025
मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
राहु काल | शाम 06:53 बजे से शाम 07:15 बजे तक |
गुलिक काल | सुबह 07:31 बजे से सुबह 09:08 बजे तक |
यमगंड | दोपहर 03:39 बजे से शाम 05:16 बजे तक |
आज व्रत और त्योहार 22 अगस्त 2025
22 अगस्त 2025 को भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि है, जिसे पिठोरी अमावस्या (Pithori Amavasya) और कुशग्रहणी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है और यह विशेष रूप से पितरों को समर्पित है।
पिठोरी अमावस्या: यह व्रत मुख्य रूप से संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस दिन माता दुर्गा के 64 योगिनियों की पूजा की जाती है। महिलाएं आटा और अनाज से 64 योगिनियों की छोटी-छोटी मूर्तियां बनाती हैं और उनकी विधि-विधान से पूजा करती हैं।
कुशग्रहणी अमावस्या: इस दिन धार्मिक कार्यों के लिए कुश (एक प्रकार की पवित्र घास) को इकट्ठा किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन इकट्ठा की गई कुश वर्ष भर के सभी धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग के लिए पवित्र और शुद्ध मानी जाती है। पितरों के श्राद्ध, तर्पण और अन्य पूजा-पाठ में कुश का विशेष महत्व होता है।
पितरों का श्राद्ध और तर्पण: यह अमावस्या पितृ दोष से मुक्ति पाने और पितरों को प्रसन्न करने के लिए बहुत शुभ मानी जाती है। इस दिन लोग अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म करते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद परिवार पर बना रहता है। इस दिन दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व है।
आज का उपाय 22 अगस्त 2025
22 अगस्त 2025 को भाद्रपद अमावस्या है, जिसे पिठोरी अमावस्या और कुशग्रहणी अमावस्या भी कहा जाता है। यह दिन कई ज्योतिषीय और धार्मिक उपायों के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन किए गए उपायों से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
इस दिन सबसे महत्वपूर्ण कार्य पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना है। अमावस्या के दिन पितर पृथ्वी पर आते हैं। सुबह उठकर पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करें। अगर यह संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और दक्षिण दिशा की ओर मुख करके अपने पितरों को तर्पण दें। तर्पण के लिए हाथ में जल, काले तिल और कुश लेकर अपने पितरों का ध्यान करें और उन्हें अर्पित करें। इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
पीपल के पेड़ में त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) का वास माना जाता है। अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने का विशेष महत्व है। सुबह स्नान के बाद पीपल के पेड़ के नीचे एक दीपक जलाएं और उसकी परिक्रमा करें। ऐसा करने से पितर और देवी-देवता दोनों प्रसन्न होते हैं। इस उपाय से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और शनि दोष का प्रभाव भी कम होता है।
अमावस्या के दिन दान का बहुत बड़ा महत्व है। इस दिन अपनी क्षमता अनुसार अन्न, वस्त्र और धन का दान जरूर करें। आप किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन करा सकते हैं। इस दिन तिल, गुड़, घी, और अनाज का दान करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। दान करने से न केवल पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि इससे पुण्य की प्राप्ति भी होती है।
अमावस्या के दिन काले कुत्ते को सरसों का तेल लगी रोटी खिलाने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और राहु-केतु के अशुभ प्रभाव भी कम होते हैं। ज्योतिष के अनुसार, काला कुत्ता शनि और भैरव का वाहन माना जाता है। इस उपाय से शनि दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या के नकारात्मक प्रभावों से राहत मिलती है और जीवन में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं।
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image credit: herzindagi
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