
कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यह दिन भगवान विष्णु और शिव जी दोनों की उपासना करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। पौराणिक कथाओं की मानें तो इस दिन विष्णु जी भगवान शिव की आराधना करने के लिए काशी पहुंचे थे और उस दिन चतुर्दशी तिथि थी, इसी वजह से आज भी इस पर्व को बैकुंठ चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार पूरे साल में सिर्फ एक यही दिन होता है जब भगवान विष्णु और शिव जी की आराधना एक साथ की जाती है। इस दिन कई लोग उपवास भी करते हैं और दोनों देवों की एक साथ पूजा भी करते हैं। बैकुंठ चतुर्दशी का धार्मिक महत्व इतना ज्यादा है कि इसे मोक्ष प्राप्ति का अवसर भी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजा-पाठ और व्रत करने से भक्तों को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है और जीवन के समस्त पापों का नाश होता है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें कब मनाई जाएगी
बैकुंठ चतुर्दशी और इसका महत्व क्या है?
इस साल बैकुंठ चतुर्दशी 4 नवंबर, मंगलवार को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, चतुर्दशी तिथि आरंभ 4 नवंबर, प्रातः 02:05 मिनट से होगा और इसका समापन 4 नवंबर, रात्रि 10:36 बजे होगा। ऐसे में उदया तिथि की मानें तो बैकुंठ चतुर्दशी 04 नवंबर को ही मनाई जाएगी और इसी दिन श्री हरि का पूजन भगवान शिव के साथ किया जाएगा।

इस साल बैकुंठ चतुर्दशी 04 नवंबर, मंगलवार को मनाई जाएगी और इस दिन कई शुभ मुहूर्त मिल रहे हैं। आइए जानें उनके बारे में-
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कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बैकुंठ चतुर्दशी के नाम से मनाया जाता है। मान्यता है कई इस दिन श्री हरि और शिव जी के मिलन के रूप में भी मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु कशी पहुंचे और उन्होंने मणिकर्णिका घात पर स्नान करने के बाद भगवान शिव का पूजन किया और भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया और कहा कि जो भी इस घाट पर स्नान करेगा वो जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाएगा और मोक्ष या मुक्ति प्राप्त करेगा। ऐसा व्यक्ति इस दुनिया में रहते हुए सांसारिक सुख का भी अनुभव करेगा। आज भी कहा जाता है कि जो लोग काशी में मणिकर्णिका घाट पर स्नान करते हैं, वह मोक्ष प्राप्त करते हैं। यही नहीं बैकुंठ चतुर्दशी का पूजन करने से लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उन्हें समस्त पापों से मुक्ति भी मिलती है।
अगर आप भी बैकुंठ चतुर्दशी के दिन यहां बताई विधि के अनुसार पूजा करेंगी तो आपको पूजन का पूर्ण फल मिलेगा। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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