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Baikunth Chaturdashi 2025 Date: नवंबर में कब है बैकुंठ चतुर्दशी ? यहां जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा की विधि और महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बहुत शुभ माना जाता है और इस दिन शिव जी के साथ विष्णु जी का पूजन करने का विधान है। इस दिन का पूजन व्यक्ति को मोक्ष दिलाता है। आइए जानें इस साल कब है बैकुंठ चतुर्दशी और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
Editorial
Updated:- 2025-11-03, 17:39 IST

कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यह दिन भगवान विष्णु और शिव जी दोनों की उपासना करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। पौराणिक कथाओं की मानें तो इस दिन विष्णु जी भगवान शिव की आराधना करने के लिए काशी पहुंचे थे और उस दिन चतुर्दशी तिथि थी, इसी वजह से आज भी इस पर्व को बैकुंठ चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार पूरे साल में सिर्फ एक यही दिन होता है जब भगवान विष्णु और शिव जी की आराधना एक साथ की जाती है। इस दिन कई लोग उपवास भी करते हैं और दोनों देवों की एक साथ पूजा भी करते हैं। बैकुंठ चतुर्दशी का धार्मिक महत्व इतना ज्यादा है कि इसे मोक्ष प्राप्ति का अवसर भी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजा-पाठ और व्रत करने से भक्तों को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है और जीवन के समस्त पापों का नाश होता है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें कब मनाई जाएगी
बैकुंठ चतुर्दशी और इसका महत्व क्या है?

बैकुंठ चतुर्दशी 2025 कब है?

इस साल बैकुंठ चतुर्दशी 4 नवंबर, मंगलवार को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, चतुर्दशी तिथि आरंभ 4 नवंबर, प्रातः 02:05 मिनट से होगा और इसका समापन 4 नवंबर, रात्रि 10:36 बजे होगा। ऐसे में उदया तिथि की मानें तो बैकुंठ चतुर्दशी 04 नवंबर को ही मनाई जाएगी और इसी दिन श्री हरि का पूजन भगवान शिव के साथ किया जाएगा।

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बैकुंठ चतुर्दशी 2025 शुभ मुहूर्त

इस साल बैकुंठ चतुर्दशी 04 नवंबर, मंगलवार को मनाई जाएगी और इस दिन कई शुभ मुहूर्त मिल रहे हैं। आइए जानें उनके बारे में-  

  • बैकुंठ चतुर्दशी तिथि आरंभ - 04 नवंबर, मंगलवार प्रातः 02:05 बजे से
  • बैकुंठ चतुर्दशी तिथि समाप्त - 04 नवंबर, मंगलवार रात्रि 10:36 PM बजे तक
  • बैकुंठ चतुर्दशी निशिता काल मुहूर्त - 04 नवंबर रात्रि 11:39 से 12:31 तक

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बैकुंठ चतुर्दशी पूजा विधि क्या है?

  • बैकुंठ चतुर्दशी के  दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की पूजा एक साथ की जाती है। इस दिन आप प्रातः जल्दी उठें और स्नान आदि से मुक्त होकर साफ वस्त्रों में पूजा की शुरुआत करें।
  • घर के मंदिर की अच्छी तरह से सफाई करें और सभी भगवानों को स्न्नान कराने के बाद साफ वस्त्र पहनाएं। यदि आप व्रत करती हैं तो भगवान के समक्ष संकल्प लें कि आप व्रत और पूजन पूर्ण श्रद्धा से करेंगी।
  • इसके बाद भगवान विष्णु और भगवान शिव की मूर्ति को एक साफ़ चौकी पर स्थापित करें और पूजा आरंभ करें।
  • विष्णु जी को पीले फूल, तुलसी पत्र, चंदन, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें और भगवान शिव की आक का फूल, धतूरा,शमी पत्ता जैसी सामग्रियां अर्पित करें।
  • 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः' मंत्र और 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप 108 बार करें।
  • इस दिन विष्णु सहस्रनाम और शिव चालीसा का पाठ करना भी बहुत फलदायी माना जाता है। पूरे दिन पूजन करने के बाद आपको रात के समय दीपदान करना चाहिए।
  • इस दिन आपको गंगा नदी के पास घी के 7 दीपक जलाने चाहिए और यदि आप गंगा जी के तट पर दीपदान न कर पाएं तब भी आपको घर में कुछ स्थानों पर दीपदान करना चाहिए। इस दिन आपको मुख्य रूप से घर के प्रवेश द्वार पर दीपक जरूर रखना चाहिए।

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बैकुंठ चतुर्दशी का महत्व क्या है?

कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बैकुंठ चतुर्दशी के नाम से मनाया जाता है। मान्यता है कई इस दिन श्री हरि और शिव जी के मिलन के रूप में भी मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु कशी पहुंचे और उन्होंने मणिकर्णिका घात पर स्नान करने के बाद भगवान शिव का पूजन किया और भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया और कहा कि जो भी इस घाट पर स्नान करेगा वो जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाएगा और मोक्ष या मुक्ति प्राप्त करेगा। ऐसा व्यक्ति इस दुनिया में रहते हुए सांसारिक सुख का भी अनुभव करेगा। आज भी कहा जाता है कि जो लोग काशी में मणिकर्णिका घाट पर स्नान करते हैं, वह मोक्ष प्राप्त करते हैं। यही नहीं बैकुंठ चतुर्दशी का पूजन करने से लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उन्हें समस्त पापों से मुक्ति भी मिलती है।

अगर आप भी बैकुंठ चतुर्दशी के दिन यहां बताई विधि के अनुसार पूजा करेंगी तो आपको पूजन का पूर्ण फल मिलेगा। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। 

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