हर महीने दो एकादशी तिथियां होती हैं, जिनमें से एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में होती हैं। पूरे साल में 12 एकादशी तिथियां मनाई जाती हैं और इन सभी का विशेष महत्व होता है।
अगर हम जून महीने की बात करें तो इस महीने में अपरा एकादशी और निर्जला एकादशी तिथियां पड़ेंगी। इन दोनों तिथियों का अपना अलग महत्व है और इसमें मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
इनमें से अपरा एकादशी ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ती है और निर्जला एकादशी शुक्ल पक्ष में पड़ती है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें दोनों की तिथियों, पूजा के शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में विस्तार से।
अपरा एकादशी की तिथि (Apara Ekadashi Kab Hai)
अपरा एकादशी हिंदुओं के लिए एक विशेष उपवास का दिन है, जो हिंदू महीने 'ज्येष्ठ' के कृष्ण पक्ष की 'एकादशी' तिथि यानी 11वें दिन मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि अपरा एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस एकादशी को 'अचला एकादशी' के नाम से भी जाना जाता है और यह दिव्य और शुभ फल प्रदान करती है।
अपरा एकादशी भगवान विष्णु के त्रिविक्रम रूप की पूजा करने के लिए समर्पित है। इस साल अपरा एकादशी 2 जून, रविवार को मनाई जाएगी।
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अपरा एकादशी शुभ मुहूर्त (Apara Ekadashi Shubh Muhurat)
- इस साल अपरा एकादशी 2 जून, रविवार को मनाई जाएगी। अपरा एकादशी तिथि का आरंभ प्रातः 5 बजकर 4 मिनट पर होगा।
- अपरा एकादशी का समापन- 3 जून, सोमवार प्रातः 2 बजकर 41 मिनट पर होगा।
- इस प्रकार यदि हम उदया तिथि की मानें तो अपरा एकादशी का व्रत 2 जून को ही रखना शुभ माना जाएगा।
- अपरा एकादशी पारण का समय: 03 जून, प्रातः 8:06 से प्रातः 8:24 तक
अपरा एकादशी का महत्व (Apara Ekadashi Significance )
अपरा एकादशी में अपरा' का अर्थ 'असीम' है और ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस व्रत को रखता है उसकी असीमित मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और आर्थिक लाभ होता है। इसी वजह से इसे 'अपरा एकादशी' कहा जाता है।
इस एकादशी का व्रत जीवन के हर क्षेत्र में असीमित लाभ देने के लिए भी किया जा सकता है। अपरा एकादशी का महत्व ब्रह्म पुराण और पद्म पुराण में भी विस्तार से बताया गया है। अपरा एकादशी के दिन यदि आप भगवान विष्णु का पूजन विधि-विधान से करते हैं तो उनका आशीर्वाद मिलता है। ऐसा माना जाता है कि अपरा एकादशी के दिन व्रत रखने से शरीर को समस्त पापों से छुटकारा मिल सकता है।
अपरा एकादशी के दिन कैसे करें विष्णु जी का पूजन (Apara Ekadashi Puja Vidhi)
- अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा और आराधना करने के लिए प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर पूजन शुरू करें।
- पूर्व दिशा में एक चौकी में पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और उसमें भगवान विष्णु की तस्वीर रखें।
- पूजन की शुरुआत दीपक प्रज्ज्वलित करके करें।
- भगवान विष्णु की पूजा तुलसी के पत्तों के साथ चंदन, पान, सुपारी, लौंग, फल और गंगाजल के बिना अधूरी मानी जाती है।
- विष्णु जी की पूजा माता लक्ष्मी के साथ करें और अपरा एकादशी की व्रत कथापढ़ें। पूजन के बाद आरती करें और भोग अर्पित करें।
निर्जला एकादशी कब है (Nirjala Ekadashi Date 2024)
हिंदू धर्म में किसी भी एकादशी तिथि की ही तरह निर्जला एकादशी का भी विशेष महत्व है। इस साल जून के महीने में यह एकादशी ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन 18 जून को मनाई जाएगी।
निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त (Nirjala Ekadashi shubh muhurat)
- निर्जला एकादशी आरंभ -17 जून, सोमवार, प्रातः 4 बजकर 43 मिनट पर होगा
- निर्जला एकादशी समापन- 18 जून, मंगलवार, प्रातः 6 बजकर 24 मिनट पर
- यदि हम निर्जला एकादशी के व्रत की बात करें तो यह उदया तिथि के अनुसार 18 जून, मंगलवार को मनाई जाएगी।
- इसका पारण 19 जून, बुधवार को प्रातः 8 बजे तक किया जाएगा।
निर्जला एकादशी का महत्व (Nirjala Ekadashi significance)
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है और इस दिन लोग अन्न जल ग्रहण किए बिना पूरे दिन का उपवास करते हैं। जो व्यक्ति इस दिन व्रत उपवास करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और आर्थिक लाभ होता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु का पूजन माता लक्ष्मी के साथ करने से व्यक्ति के सभी पाप मिट जाते हैं और मृत्यपरांत मोक्ष की प्राप्ति हेाती है। शास्त्रों की अनुसार जो व्यक्ति निर्जला एकादशी का व्रत रखता है उसे बैकुंठ में स्थान मिलता है।
किसी भी एकादशी की तरह इन दोनों एकादशी तिथियों का भी विशेष महत्व है और इसमें सही तरीके से किया गया पूजन फलदायी होता है।
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