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Ahoi Ashtami 2023: क्या आप जानती हैं कौन हैं अहोई माता और यह व्रत बेटों के लिए ही क्यों रखा जाता है?

कार्तिक महीने में पड़ने वाली अहोई अष्टमी को संतान की सफलता के लिए बहुत शुभ माना जाता है और इस दिन माताएं बच्चों की सुख-समृद्धि की प्रार्थना में निर्जला व्रत का पालन करती हैं। 
Editorial
Updated:- 2023-11-04, 13:58 IST

हिंदू धर्म में कुछ विशेष व्रत त्योहारों का अलग महत्व है और इन्हें विधि-विधान से मनाया जाता है जिससे घर में खुशहाली बनी रहे। ऐसे ही व्रत पर्वों में से एक है अहोई अष्टमी का व्रत। यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मनाया जाता है।

इस दिन माताएं अपने बच्चों की अच्छी सेहत के लिए निर्जला उपवास करती हैं और अहोई माता का पूजन करने के बाद व्रत का पारण करती हैं। इस दिन मुख्य रूप से अहोई माता का पूजन किया जाता है और बच्चों की सफलता के लिए पूजन होता है।

इस दिन अहोई माता के लिए विशेष माला बनाई जाती है जिसे स्याहु माला कहा जाता है। यह व्रत इस साल 5 नवंबर को मनाया जाएगा और इसी दिन पूजन करना शुभ होगा। मान्यता अनुसार यह व्रत पुत्रों के लिए किया जाता है। आइए ज्योतिषाचार्य डॉ आरती दहिया से जानें कि कौन हैं अहोई माता और इस दिन पुत्रों के लिए ही पूजन क्यों किया जाता है। 

कौन हैं अहोई माता 

whoi is ahoi mata

अहोई अष्टमी के दिन मुख्य रूप से चांदी की अहोई बनाई जाती है। इस दिन घर को गोबर से लीपा जाता है और कलश स्थापना भी की जाती है। लोग दीवार पर कैलेंडर लगाते हैं या  फिर अहोई माता का चित्र गेरू से बनाते हैं।

अहोई माता का चित्र बनाने के लिए एक पुतली बनाई जाती है जो अहोई माता का प्रतीक होती हैं और उनके चारों ओर उनके 8 बच्चों की आकृतियां बनाई जाती हैं। यह पर्व करवा चौथ के चार दिन बाद मनाया जाता है। इसमें पुत्र की दीर्घायु की कामना में पूजन किया जाता है। 

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अहोई अष्टमी के दिन पुत्र के लिए पूजा क्यों की जाती है 

अहोई अष्टमी के दिन आमतौर पर लोग पुत्र की दीर्घायु के लिए ही पूजा करते हैं और ऐसा माना जाता है कि अहोई माता के साथ भी उनके पुत्रों की ही तस्वीर होती है, इसलिए इस दिन बेटों के लिए पूजन को ज्यादा फलदायी माना जाता है।

हालांकि यह आपकी व्यक्तिगत पसंद पर भी आधारित है और आप बेटियों के लिए भी यह उपवास रख सकती हैं और उनकी दीर्घायु की प्रार्थना कर सकती हैं। व्रत के दौरान माताएं अपने बच्चों को अहोई माता की तस्वीर के पास बैठा कर स्याहु माला धारण करने के साथ पूजन करती हैं और बच्चों की समृद्धि की कामना करती हैं। 

कैसे करें अहोई अष्टमी की तैयारी 

how to do ahoi vrat

  • अहोई अष्टमी के दिन घर के मुख्य आंगन जहां आप पूजन करने जा रही हैं वहां अच्छी तरह से सफाई कर लें। पहले के समय में जब आंगन में कच्ची फर्श होती थी उस समय उसे गोबर से लीपा जाता था। उसी के प्रतीक के रूप में आज भी घर का आँगन या पूजा का स्थान साफ़ करने के बाद गोबर से लीपा जाता है। पूजा के लिए आप भी ऐसा कर सकती हैं। 
  • इसके बाद पूजा के लिए कलश की विधिवत स्थापना करें और देवी अहोई माता का चित्र बनाएं या फिर बाजार से लाए हुए कैलेंडर से पूजा करें। 
  • आप अहोई माता के कैलेंडरको  भगवान् शिव की तस्वीर के साथ रखें क्योंकि अहोई माता को पार्वती जी का स्वरुप माना जाता है। इस दिन अहोई माता की पूजा शिव जी के साथ ही रखनी चाहिए और पूजन करना चाहिए। 
  • पूजा के समय आप अपने साथ बच्चों को जरूर बैठाएं और इस दिन अहोई माता की कथा पढ़ें या सुनें। कथा सुनने के साथ हाथों में अनाज लेकर कथा सुनें और कथा समाप्त होने के बाद अनाज को माता को अर्पित करें।  

क्या अहोई अष्टमी व्रत में पानी पी सकते हैं 

अहोई अष्टमी के व्रत में आपको निर्जला व्रत करने की सलाह दी जाती है और इस दिन पूरे दिन उपवास करने के बाद तारों को देखकर पूजा की होती है और उसके बाद ही जल ग्रहण किया जाता है। 

मान्यता अनुसार बच्चों की खुशहाली के लिए निर्जला व्रत ही करना चाहिए। हालांकि ऐसा हमेशा जरूरी नहीं है कि आपको निर्जला व्रत ही रखना है। यदि आप ऐसा व्रत नहीं रख सकती हैं तो फलाहार व्रत का पालन भी कर सकती हैं। 

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अहोई अष्टमी पर क्या खाना चाहिए

  • वैसे तो ज्योतिष की मानें तो आपको अहोई अष्टमी के दिन दूध और दूध से बना सामान न खाने की सलाह दी जाती है। यही नहीं इस फल और अनाज भी नहीं खाना चाहिए। 
  • इस दिन शाम के समय आप पूजा करके भोजन ग्रहण कर सकती हैं। अहोई अष्टमी के दिन तारे निकलने के बाद ही तारे को अर्घ्य दिया जाता है और पूजन करने के पश्चात अन्न जल ग्रहण किया जाता है। 
  • अहोई अष्टमी के दिन प्रसाद में कई तरह के पकवान बनाए जाते है और वही माता अहोई को अर्पित करने के बाद प्रसाद में ग्रहण किया जाता है। 

यदि आप अहोई अष्टमी के दिन माता अहोई का पूजन करती यहीं और यहां बताई बातों को ध्यान में रखते हुए व्रत करती हैं तो शुभ फलों की प्राप्ति होती है और घर की समृद्धि भी बनी रहती है। 

 

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