हिंदू धर्म में कुछ विशेष व्रत त्योहारों का अलग महत्व है और इन्हें विधि-विधान से मनाया जाता है जिससे घर में खुशहाली बनी रहे। ऐसे ही व्रत पर्वों में से एक है अहोई अष्टमी का व्रत। यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मनाया जाता है।
इस दिन माताएं अपने बच्चों की अच्छी सेहत के लिए निर्जला उपवास करती हैं और अहोई माता का पूजन करने के बाद व्रत का पारण करती हैं। इस दिन मुख्य रूप से अहोई माता का पूजन किया जाता है और बच्चों की सफलता के लिए पूजन होता है।
इस दिन अहोई माता के लिए विशेष माला बनाई जाती है जिसे स्याहु माला कहा जाता है। यह व्रत इस साल 5 नवंबर को मनाया जाएगा और इसी दिन पूजन करना शुभ होगा। मान्यता अनुसार यह व्रत पुत्रों के लिए किया जाता है। आइए ज्योतिषाचार्य डॉ आरती दहिया से जानें कि कौन हैं अहोई माता और इस दिन पुत्रों के लिए ही पूजन क्यों किया जाता है।
अहोई अष्टमी के दिन मुख्य रूप से चांदी की अहोई बनाई जाती है। इस दिन घर को गोबर से लीपा जाता है और कलश स्थापना भी की जाती है। लोग दीवार पर कैलेंडर लगाते हैं या फिर अहोई माता का चित्र गेरू से बनाते हैं।
अहोई माता का चित्र बनाने के लिए एक पुतली बनाई जाती है जो अहोई माता का प्रतीक होती हैं और उनके चारों ओर उनके 8 बच्चों की आकृतियां बनाई जाती हैं। यह पर्व करवा चौथ के चार दिन बाद मनाया जाता है। इसमें पुत्र की दीर्घायु की कामना में पूजन किया जाता है।
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अहोई अष्टमी के दिन आमतौर पर लोग पुत्र की दीर्घायु के लिए ही पूजा करते हैं और ऐसा माना जाता है कि अहोई माता के साथ भी उनके पुत्रों की ही तस्वीर होती है, इसलिए इस दिन बेटों के लिए पूजन को ज्यादा फलदायी माना जाता है।
हालांकि यह आपकी व्यक्तिगत पसंद पर भी आधारित है और आप बेटियों के लिए भी यह उपवास रख सकती हैं और उनकी दीर्घायु की प्रार्थना कर सकती हैं। व्रत के दौरान माताएं अपने बच्चों को अहोई माता की तस्वीर के पास बैठा कर स्याहु माला धारण करने के साथ पूजन करती हैं और बच्चों की समृद्धि की कामना करती हैं।
अहोई अष्टमी के व्रत में आपको निर्जला व्रत करने की सलाह दी जाती है और इस दिन पूरे दिन उपवास करने के बाद तारों को देखकर पूजा की होती है और उसके बाद ही जल ग्रहण किया जाता है।
मान्यता अनुसार बच्चों की खुशहाली के लिए निर्जला व्रत ही करना चाहिए। हालांकि ऐसा हमेशा जरूरी नहीं है कि आपको निर्जला व्रत ही रखना है। यदि आप ऐसा व्रत नहीं रख सकती हैं तो फलाहार व्रत का पालन भी कर सकती हैं।
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यदि आप अहोई अष्टमी के दिन माता अहोई का पूजन करती यहीं और यहां बताई बातों को ध्यान में रखते हुए व्रत करती हैं तो शुभ फलों की प्राप्ति होती है और घर की समृद्धि भी बनी रहती है।
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