आखिर इस मंदिर में क्यों होती है यमराज की पूजा? जानें

एक ऐसा मंदिर है जहां पर यमराज की पूजा की जाती है और वहां पूजा करने से मनुष्य को कई दिव्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से।  
dharamraj temple in mathura

हिन्दू धर्म में यमराज की पूजा करना वर्जित माना गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि यमराज की पूजा करने से मृत्यु की प्राप्ति होती है। असल में जिस प्रकार किसी भी देवी-देवता की आराधना करने पर उनके दर्शा होते हैं या फिर उनसे दिव्या फलों की प्राप्ति होती है। वहीं, यमराज की अगर पूजा की जाए तो इससे वह मृत्यु का वरदान देते हैं क्योंकि उनके आधीन यही है।

इसी कारण से माना गया है कि यमराज अगर जीते-जी दिख जाएं या फिर उनका आभास व्यक्ति को होने लगे तो यह अनिष्ट का संकेत है, लेकिन ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें एक ऐसा मंदिर बताया जहां पर यमराज की पूजा की जाती है और वहां पूजा करने से मनुष्य को कई दिव्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से।

कहां होती हा यमराज की पूजा?

उत्तरप्रदेश के मथुरा में स्थित है विश्राम घाट। ये वही विश्राम घाट है जहां श्री कृष्ण ने कंस का वध करने के बाद विश्राम किया था। इसी विश्राम घाट पर स्थापित है यमराज का मंदिर। इस मंदिर को यमुना-यमराज मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में मां यमुना चतुर्भुज रूप में हैं और यमराज प्रसन्न एवं आशीर्वाद मुद्रा में हैं।

mathura yamraj mandir ki manyata

इस मंदिर को लेकर यूं तो मान्यता ये है कि इस मंदिर में यम द्वितीया यानी कि भाई दूज के दिन यमुना और यमराज की पूजा करने से भाई-बहन का रिश्ता मजबूत होता है और भाई पर आया कैसा भी संकट टल जाता है, लेकिन इस मंदिर का महत्व सिर्फ एक पर्व या एक मान्यता तक सीमित नहीं है। इस मंदिर का महत्व कई अधिक है।

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असल में पौराणिक कथा कहती है कि यमुना से मिलने यमराज भाई दूज के दिन पहुंचे थे और यमुना माता ने उन्हें 56 भोग खिलाया था जिससे प्रसन्न होकर यमुना और यम की साथ में पूजा का वरदान यमराज ने दिया था, लेकिन इस मंदिर की एक और कथा कहती है कि यमराज का मंदिर श्री कृष्ण के वरदान से विश्राम घाट में निर्मित हुआ था।

mathura yamraj mandir ki katha

कहते हैं कि जब श्री कृष्ण कंस के वध के बाद विश्राम घाट में आराम कर रहे थे तब यमराज वहां पहुंचे थे। यमराज की इच्छा थी कि वह श्री कृष्ण के दर्शन करें, लेकिन ब्रह्मा जी ने पहले ही ये विधित कर दिया की यमराज किसी भी जीवित मनुष्य के सामने तभी जाएंगे जब उसकी मृत्यु का समय आया हो, ऐसे में यमराज दुखी हो गए।

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तब श्री कृष्ण ने स्वयं यमराज को अपने पास बुलाया था और यमराज को यह वरदान दिया था कि जिस श्रद्धा भाव से कृष्ण दर्शन के लिए यमराज आतुर थे उससे प्रसन्न होकर उन्हें यह वरदान मिलता है कि पूरे विश्व में एक मात्र यही ऐसा मंदिर होगा जहां यमराज की भी पूजा होगी और यम पूजन से मृत्यु नहीं बल्कि जीवन काल में वृद्धि होगी।

mathura yamraj mandir ka itihas

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image credit: herzindagi

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