चित्रगुप्त भगवान की पूजा किस दिन करनी चाहिए?

हिंदू धर्म में चित्रगुप्त की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि इनकी पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को लाभ हो सकता है। अब ऐसे में इनकी पूजा किस दिन करना शुभ माना जाता है। इसके बारे में इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
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चित्रगुप्त भगवान हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता हैं, जो खासतौर पर यमराज के सहायक के रूप में माने जाते हैं। उन्हें लेखन, लेखा-जोखा, और कर्मों का हिसाब रखने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। उनका कार्य जीवों के अच्छे और बुरे कर्मों का लेखा-जोखा रखना होता है, ताकि वे यमराज के पास सटीक जानकारी भेज सकें, जो फिर आत्माओं का न्याय करते हैं।
चित्रगुप्त का रूप आमतौर पर एक व्यक्ति के रूप में होता है, जिनके पास लेखनी और पुस्तक होती है, जिसमें लोगों के कर्मों का विवरण लिखा जाता है। वह यमराज के दरबार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और मृत्यु के बाद आत्माओं के भाग्य का निर्धारण करने में मदद करते हैं। अब ऐसे में भगवान चित्रगुप्त की पूजा किस दिन करना शुभ माना जाता है। इसके बारे में इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

गुरुवार के दिन करें भगवान चित्रगुप्त की पूजा

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भगवान चित्रगुप्त की पूजा विशेष रूप से गुरुवार के दिन किया जाता है। भगवान चित्रगुप्त को लेखन का देवता माना जाता है। वे सभी मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। इसलिए, व्यापारी, लेखक और अन्य पेशेवर लोग उनकी पूजा करते हैं। व्यापारी वर्ग मानता है कि चित्रगुप्त जी की पूजा करने से उनके व्यापार में वृद्धि होती है और लेखों में शुद्धता बनी रहती है। विद्यार्थी और शिक्षक भी चित्रगुप्त जी की पूजा करते हैं ताकि उन्हें बुद्धि और विद्या की प्राप्ति हो। मान्यता है कि चित्रगुप्त जी हमारे सभी कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। इसलिए, उनकी पूजा करने से हम अपने कर्मों के प्रति जागरूक होते हैं और अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित होते हैं।

चित्रगुप्त भगवान की पूजा करने के नियम क्या हैं?

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चित्रगुप्त भगवान की पूजा विशेष रूप से कृष्ण पक्ष के द्वादशी तिथि को की जाती है। यह दिन विशेष रूप से चित्रगुप्त पूजन के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा, अन्य दिन भी चित्रगुप्त की पूजा की जा सकती है। चित्रगुप्त की मूर्ति को पूजा स्थान पर रखकर पूजा करें। दीपक, धूप, फूल, फल, कर्पूर, चंदन, जल, पंचामृत, और प्रसाद आदि सामग्री रखें। ताम्र पत्र पर उनके नाम का लेखन किया जाता है, और साथ ही साथ अच्छे कर्मों का संकल्प किया जाता है। सबसे पहले भगवान चित्रगुप्त का ध्यान और आह्वान करें। फिर उनका मंत्र जप करें: "ऊं चित्रगुप्ताय नमः"।

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भगवान चित्रगुप्त का पूजन करने के बाद, अपने जीवन में किए गए अच्छे कार्यों का लेखा-जोखा सोचकर अपने पापों को नष्ट करने की प्रार्थना करें।
चित्रगुप्त भगवान की पूजा करने के दौरान कुछ लोग व्रत भी रखते हैं। इसलिए अपनी क्षमतानुसार व्रत रखकर नियमों का पालन अवश्य करें।

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Image Credit- HerZindagi

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