सनातन धर्म में भगवान विष्णु त्रिमूर्ति के तीन प्रमुख देवताओं में से एक हैं। उन्हें ब्रह्मांड का पालनहार और संरक्षक कहते हैं। इतना ही नहीं गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने का विधान है। अगर जातक को किसी भी तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है या फिर कुंडली में गुरुदोष है और विवाह में किसी भी तरह की कोई बाधाएं आ रही है तो भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा विशेष रूप से करनी चाहिए। अब ऐसे में आपको सभी लोग जब भगवान विष्णु की पूजा करते हैं तो उनकी पूजा में उनका कोई एक नाम लेकर पूजा करते होंगे। जैसे कि वासुदेवाय, विष्णु आदि, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान विष्णु की पूजा करने के दौरान उनके विभिन्न नाम लेने चाहिए। लेकिन ऐसा क्यों जरूरी है। इसके बारे में इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
भगवान विष्णु की पूजा में जरूर दोहराएं उनके अलग-अलग नाम
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि अगर आप भगवान विष्णु की पूजा करने के दौरान उनके एक ही नाम लेते हैं तो उनकी पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है। जिस तरह हम किसी को प्रसन्न करने के लिए उनके अलग-अलग नामों से पुकारते हैं, ठीक वैसे ही भगवान विष्णु की पूजा करने के दौरान उनके सहस्त्रनामों को बोलना चाहिए और इतना ही नहीं, विष्णु जी के अलग-अलग नामों का विभिन्न महत्व है और सभी नाम का जाप करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है और जीवन में शुभता और सकारात्मकता का संचार होता है। साथ ही व्यक्ति को उत्तम परिणाम भी मिलने लग जाते हैं।
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भगवान विष्णु की पूजा करने के दौरान सहस्त्रनामों का करें जाप
अगर आप भगवान विष्णु की पूजा कर रहे हैं तो आप उनके विभिन्न नामों का जाप पूरे विधान के साथ करें। इससे भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है।
विष्णु - यह सबसे सामान्य और महत्वपूर्ण नाम है, जिसका अर्थ है "सब में व्याप्त"।
नारायण- इसका अर्थ है "जल में शयन करने वाला", जो सृष्टि के आरंभ में उनके निवास को दर्शाता है।
माधव- यह नाम देवी लक्ष्मी के पति के रूप में विष्णु को इंगित करता है।
केशव- इसका अर्थ है "सुंदर बालों वाला"।
गोविंद - यह नाम विष्णु को "गायों और प्रकृति को प्रसन्न करने वाला" बताता है।
हरि - इसका अर्थ है "दुखों को हरने वाला"।
दामोदर - यह नाम उनके बचपन की एक लीला से जुड़ा है, जब उन्हें रस्सी से बांध दिया गया था।
अच्युत - इसका अर्थ है "जो कभी गिरता नहीं" या "जो स्थिर है"।
अनंत - इसका अर्थ है "जिसका कोई अंत नहीं"।
पुरुषोत्तम - इसका अर्थ है "सर्वोच्च पुरुष"।
त्रिविक्रम - यह उनके वामन अवतार को दर्शाता है, जिसमें उन्होंने तीन पगों में तीनों लोकों को नाप लिया था।
पद्मनाभ - इसका अर्थ है "जिसकी नाभि में कमल है", जिसमें ब्रह्मा का जन्म हुआ था।
हृषिकेश - इसका अर्थ है "इंद्रियों के स्वामी"।
मुकुंद - इसका अर्थ है "जो मुक्ति देता है"।
जनार्दन - इसका अर्थ है "लोगों से प्रार्थना स्वीकार करने वाला"।
श्रीधर - इसका अर्थ है "लक्ष्मी को धारण करने वाला"।
वासुदेव - यह नाम कृष्ण के पिता के रूप में विष्णु को दर्शाता है, जिसका अर्थ है "सब में वास करने वाला"।
जगन्नाथ- इसका अर्थ है "ब्रह्मांड के भगवान"।
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