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छठ पूजा के दौरान पानी में खड़े होकर व्रती महिलाएं क्यों लगाती हैं एक-दूसरे की नाक से सिंदूर?

छठ पूजा में महिलाओं द्वारा एक-दूसरे की नाक से सिंदूर लगाने की परंपरा काफी पुरानी है और इसके पीछे कई धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। यहां इस परंपरा के कुछ प्रमुख कारण बताए गए हैं।
Editorial
Updated:- 2024-11-05, 16:46 IST

Chhath Puja Sindoor Ritual: छठ पूजा, भारत के विशेषकर बिहार और झारखंड में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। इस त्यौहार में सूर्य देवता की उपासना की जाती है और महिलाएं कठिन व्रत रखती हैं। इस व्रत के दौरान एक अनूठी परंपरा है जिसमें  व्रती महिलाएं एक-दूसरे की नाक से माथे की ओर सिंदूर लगाती हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।

सिंदूर को हिंदू धर्म में पवित्र और शुभ माना जाता है। विवाहित महिलाएं इसे ले सौभाग्य का प्रतीक मानकर लगाती हैं। छठ पूजा के दौरान, महिलाएं सूर्य देवता की पूजा करती हैं और उनसे अपने परिवार की खुशहाली और समृद्धि की कामना करती हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि छठ पर्व पर व्रती महिलाएं जल में खड़े होकर एक दूसरे की नाक से सिंदूर क्यों लगाती हैं। आइए इस लेख में पंडित आचार्य उदित नारायण त्रिपाठी से जानते हैं कि आखिर जल में खड़े होकर क्यों लगाती हैं महिलाएं सिंदूर।

सिंदूर लगाने का क्या है धार्मिक महत्व?

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सिंदूर को हिंदू धर्म में सुहाग और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि सिंदूर लगाने से सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होती है और व्रत सफल होता है। इसके अलावा सिंदूर को शक्ति और ऊर्जा का भी प्रतीक माना जाता है। छठ पूजा के दौरान महिलाएं कठिन व्रत रखती हैं और इस दौरान सिंदूर लगाकर वे अपनी शक्ति को बढ़ाती हैं।

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सांस्कृतिक महत्व

सिंदूर लगाने की परंपरा महिलाओं के बीच एकता और भाईचारे का प्रतीक है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और यह महिलाओं की सांस्कृतिक पहचान का एक अहम हिस्सा है। सिंदूर लगाने के दौरान महिलाएं एक-दूसरे के साथ बातचीत करती हैं, गीत गाती हैं और एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटती हैं।

सामाजिक महत्व और पौराणिक कथाएं

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सिंदूर लगाने की परंपरा महिलाओं को एक साथ लाती है और उनके बीच सामाजिक बंधन को मजबूत करती है। यह परंपरा समाज में महिलाओं की स्थिति को भी दर्शाती है। वहीं सिंदूर लगाने के पीछे की पौराणिक मान्यता यह है कि सिंदूर लगाने से देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

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