वर्कप्लेस और घर पर अन्याय के खिलाफ चुप्पी तोड़ो

घर और ऑफ़िस में दुर्व्यवहार की शिकार होने वाली महिलाएं अपने अधिकारों से जुड़े कानूनों की जानकारी पाकर अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ़ आवाज़ उठा सकती हैं।

 
Saudamini Pandey

हमारे देश की महिलाओं ने बड़ी-बड़ी चुनौतियों का सामना करते हुए बुलंदियों को छुआ है। रानी लक्ष्मी बाई, रजिया सुल्तान, इंदिरा गांधी,कस्तूरबा गांधी जैसे महान शख्सीयतों की आज भी मिसालें दी जाती हैं, तो सानिया मिर्जा, सायना नेहवाल, प्रियंका चोपड़ा, ऐश्वर्या राय जैसी महिलाएं आज के समय की महिलाओं को प्रेरणा देती हैं। लेकिन इस प्रगति की राह पर चलते हुए भी महिलाओं के सामने कई तरह की मुश्किलें पेश आती हैं।

चाहें वर्कप्लेस हो या फिर घर, उन्हें दोनों ही जगह पर गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जागरूकता बढ़ने के चलते महिलाओं की स्थितियों में सुधार अवश्य आया है, लेकिन आज भी ऐसी कई महिलाएं हैं, जो अपने अधिकारों के बारे में नहीं जानतीं। वर्कप्लेस पर होने वाले अनुचित व्यवहार और घर से जुड़ी समस्याएं जैसे कि पैतृक संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलना, घरेलू हिंसा, दहेज के लिए हिंसा जैसी कई समस्याएं हैं, जिनके कारण महिलाओं की स्थिति काफी खराब हो जाती है। अगर हर महिला इस बात से वाकिफ हो कि वर्कप्लेस और घर पर उसे किस तरह के अधिकार हासिल हैं, तो वह निश्चित रूप से अपने साथ होने वाले दुर्व्यवहार के लिए आवाज उठा सकती है, मदद की गुहार कर सकती है और अपने बेहतर भविष्य के लिए मुश्किल से मुश्किल स्थितियों का मजबूती से सामना कर सकती हैं।

इस बात को बखूबी समझा आईटीसी विवेल ने, तभी तो उन्होंने महिलाओं को जागरूक बनाने के लिए एक खास मुहिम की शुरुआत की। इसके तहत उन्होंने हाउसवाइव्स और वर्किंग महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों से अवगत कराने का जिम्मा उठाया। कानूनी भाषा समझने में काफी मुश्किल होती है, इसीलिए उन्होंने वीडियो के जरिए बहुत सरल और सहज तरीके से महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में सजग बनाने की कोशिश की है। इस बारे में आईटीसी विवेल का एक फेसबुक लाइव भी देखने को मिला था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट की वकील करुणा नंदी ने महिला अधिकारों के बारे में काफी डीटेल में बात की थी। इस दौरान करुणा नंदी ने महिलाओं को खुद पर होने वाले अत्याचर के खिलाफ लड़ी जाने वाली लड़ाई के लिए भी रास्ता दिखाया। आज के समय में जब देश में महिलाओं के साथ हो रही ज्यादती और रेप जैसी अनगिनत घटनाएं सामने आ रही हैं, आईटीसी विवेल की यह मुहिम महिलाओं को जागरूक बनाने के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है।

आईटीसी विवेल के वीडियो की बात करें तो इसमें दिखाया गया है कि वर्कप्लेस और घर में सामने आने वाली इस समस्याओं से महिलाएं किस तरह से निपट सकती हैं और उनके लिए किस तरह के कानूनी प्रावधान हैं। आइए सुप्रीम कोर्ट की वकील करुणा नंदी से इस बारे में जानते हैं-

वर्कप्लेस की समस्या

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महिलाएं अक्सर अपने मेल बॉसेस के हाथों अनुचित व्यवहार की शिकार होती हैं। जरूरत से ज्यादा करीब आना, अंगों को छूने की कोशिश करना, अनुचित तरीके से देखना, सेक्शुअल जोक्स, यह सब इस तरह के अनुचित व्यवहार का हिस्सा है। यह भी देखने में आता है कि मेल बॉसेस डरा-धमका कर महिलाओं को उनकी ज्यादती बर्दाश्त करने के लिए कहते हैं। काम करने वाली हर महिला को यह बात पता होनी चाहिए कि हर दुकान, हर फैक्ट्री, हर कार्यस्थल पर छेड़छाड़ की जांच होने के लिए कानूनन एक समिति होनी जरूरी है। महिलाओं का कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013 के तहत गठित शिकायत कमेटी में आप अपनी शिकायत दर्ज करा सकती हैं। 

इसके लिए आप सीधे पुलिस में भी शिकायत कर सकती हैं। इंडियन पीनल कोड धारा 354A, 509 के तहत किसी भी तरह की भद्दी टिप्पणी, सेक्स के लिए आमंत्रण, न्यूड वीडियो या फोटो दिखाना या यौन संबंध के लिए इशारे करना कानूनन अपराध है। 

घरेलू हिंसा

बहुत सी महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार होती हैं। पति बिना किसी गलती के उन्हें पीटते हैं या टॉर्चर करते हैं। इससे बचाव के लिए महिलाएं घरेलू हिंसा कानून, 2005 की शरण ले सकती हैं। इसके तहत उन्हें अपना गुजारा चलाने के लिए पति की तरफ से खर्च मिलता है, घर में रहने का अधिकार मिलता है और घरेलू हिंसा को रोकने का भी अधिकार मिलता है।

दहेज उत्पीड़न

दहेज के लिए भी हमारे देश की लाखों महिलाओं को अत्याचारों का सामना करना पड़ता है। दहेज लोभी पति या ससुराल वाले अगर महिला पर दहेज की मांग के लिए दबाव बनानते हैं, दुर्व्यवहार करते हैं या हिंसा करते हैं तो महिला इंडियन पीनल कोड, 1860 की धारा 498ए के तहत क्रिमिनल केस कर सकती है। 

जन्म पूर्व बच्चे का लिंग जानना

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हालांकि जन्म से पहले बच्चे का लिंग जानना कानून अवैध करार दे दिया गया है, लेकिन अभी भी अवैध तरीके से देश के कई हिस्सों में यह पता लगाए जाने की कोशिश होती है कि जन्म लेने वाला बच्चा लड़का है या लड़की और लड़की का पता लगने पर गर्भवती महिला पर तुरंत गर्भपात कराए जाने का दबाव बनाया जाने लगता है। इस स्थिति में महिलाओं को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि पूर्व गर्भधान और प्रसव निदान अधिनियम, 1994 के तहत अगर पति या ससुराल वाले बच्चे का लिंग जानने के लिए दबाव डालते हैं और टेस्ट कराते हैं तो उन्हें तीन साल की जेल हो सकती है। 

पैतृक संपत्ति में महिलाएं भी पुरुष संतान के बराबर की हकदार

कुछ समय पहले तक घर के मुखिया का निधन होने पर महिलाओं को संपत्ति से बेदखल कर दिया जाता था या फिर भाइयों और रिश्तेदारों द्वारा महिलाओं को पूर्वजों की संपत्ति का वारिस बनाए जाने में अड़चनें पैदा की जाती थीं। लेकिन अब कानूनन महिलाओं को पैृतक संपत्ति में पुरुष संतान के बराबर का हिस्सेदार माना गया है। हिंदू महिला का संपत्ति पर अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत हिंदू महिला या लड़कियों को अपने माता-पिता या पारिवारिक संपत्ति में बराबर का अधिकार मिलता है। गौरतलब है कि साल 2005 के बाद पैदा हुई लड़कियां इस प्रावधान के तहत पैतृक या पारिवारिक संपत्ति में अपना हिस्सा लेने के लिए दावा कर सकती हैं। 

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