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विश्व के दुर्लभ फूलों में से एक है नीलकुरिंजी फूल, जानिए आखिर क्यों है खास

Neelakurinji Flowers Facts: आपने आजतक बहुत से फूलों के बारे में सुना और देखा होगा। पर इस आर्टिकल में नीलकुरिंजी फूल के बारे में बताया गया है, जो बहुत खास है। आइए जानते हैं कैसे। 

 
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Neelakurinji Flowers Facts: पौधा लगाने के बाद से हम फल और फूल का इंतजार करने लग जाते हैं। मगर क्या आपने कभी ऐसे फूल के बारे में सुना है, दो 12 साल के लंबे अंतराल के बाद खिलता है। इस फूल का नाम है नीलकुरिंजी। दिखने में बेहद ही खूबसूरत नीलकुरिंजी फूल, पूरी दुनिया के दुर्लभ फूलों की सूची में शुमार है। इस आर्टिकल में जानें नीलकुरिंजी फूल से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।

कहां पाया जाता है नीलकुरिंजी फूल? (Which is the best place to see Neelakurinji)

नीलकुरिंजी फूल को कुरिंजी के नाम से भी जाना जाता है। यह दुर्लभ फूल बैंगनी-नीला रंग का होता है और केरल में मुन्नार की हरी-भरी पहाड़ियों में पाया जाता है। खास बात यह है कि यह फूल 12 साल में केवल एक बार ही खिलता है। यह सीज़न जुलाई में शुरू होता है और अक्टूबर तक चलता है।

कहां देख सकते हैं नीलकुरिंजी फूल

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नीलकुरिंजी फूल आपको हर क्षेत्र और राज्य में देखने के लिए नहीं मिलेगा। अन्नामलाई पहाड़ियां एक मुख्य स्थान है, जहां शानदार बैंगनी-नीले नीलकुरिंजी फूल खिलते हैं। इसके अलावा एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान भी मुन्नार में प्रसिद्ध है, जहां यह फूल देखने के लिए मिलता है।

नीलकुरिंजी फूल क्यों है खास

केरल की वन जनजाति के लोगों के लिए यह फूल अनमोल है, क्योंकि वे इस फूल को प्यार का प्रतीक मानते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान मुरुगा ने एक नीलकुरिंजी के फूलों की माला पहनाकर ही विवाह किया था।

शहद भी एक कारण है जो नीलकुरिंजी फूल को खास बनाता हैं। नीलकुरिंजी फूल से ज्यादा दुर्लभ है इसका शहद। इस फूल से निकलने वाले शहद को कुरिंजी थन कहते हैं। चूंकि यह फूल 12 साल में मात्र एक बार खिलता है इसलिए इसका शहद बाजारों में ना के बराबर मिलता है।

अलग-अलग किस्म के होते हैं नीलकुरिंजी फूल

बता दें भारत में सिर्फ एक ही तरह के नीलकुरिंजी फूल नहीं पाए जाते हैं। आपको इस फूल की 40 से ज्यादा प्रकार की किस्में देखने को मिल सकती है। नीलकुरिंजी फूल की कुछ किस्में 16 साल में एक बार भी खिलती हैं।

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Image Credit - Freepik

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