मुगल बादशाह की जंग से लेकर चूड़ी बाजार की चमक तक, यहां पढ़ें कैसे पड़ा ‘फिरोजाबाद’ का नाम?

फिरोजाबाद का नाम अकबर के शासनकाल में बदला गया था। पहले इस शहर का नाम यहां के राजा के नाम पर रखा गया था, लेकिन 1566 में इसका नाम बदल दिया गया।
why firozabad is called the city of glass know historic story behind its name
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यमुना नदी के किनारे बसा फिरोजाबाद बड़े पैमाने पर अपने व्यापार के लिए जाना जाता है। इस शहर का इतिहास बहुत समृद्ध और प्राचीन है। 1541 में राजा चंद्रसेन ने यहां शासन किया था। इसके बाद 1566 में अकबर का शासन रहा था। अकबर के समय यहां के हालात संघर्ष और लूटपाट से भरा हुए था। कुछ सालों बाद अकबर ने अपने मंसबदार फिरोजशाह को यहां भेजा, जिसके आने के बाद इस नगर का नाम बदलकर फिरोजाबाद रख दिया गया। तभी से इस शहर का नाम ‘फिरोजाबाद’ ही पड़ गया।

फिरोजाबाद क्यों फेमस है?

फिरोजाबाद अपनी ऐतिहासिक धरोहर के साथ-साथ कांच की कलाकारी के लिए भी जाना जाता है। यह अपने समृद्ध कांच उद्योग के लिए पूरे देश में फेमस है। यहां से सबसे ज्यादा चूड़ियों का उत्पादन होता है। माना जाता है कि भारत के कुल उत्पादन में से 46% उत्पादन चूड़ियों का फिरोजाबाद से ही होता है। यहां आज से लगभग 120 साल पहले ही चूड़ियां बनना शुरू हुई थी।

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शुरू से फिरोजाबाद नहीं था इसका नाम

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पहले इस जगह पर राजा चंद्रसेन का राज हुआ करता था। उस समय यह जगह ‘चंद्रवाड़’ के नाम से जानी जाती थी, लेकिन जब यहां अकबर का शासन शुरू हुआ, तो यहां का नाम बदल गया। बाद में इसका नाम फिरोजाबाद रखा गया। यही कारण है कि इसे भारत के अनोखे शहर में से एक माना जाता है।

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राजा चंद्रसेन का किला

अगर आप इस जगह के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाहती हैं, तो राजा चंद्रसेन का किला देखने जा सकती है। इस किले को चंद्रवार का किला भी कहा जाता है। किले की खूबसूरती देखकर आप इस जगह के समृद्धि इतिहास का पता लगा सकती हैं। राव चंद्रसेन का जन्म 1541 हुआ था। उन्हीं के नाम से इस किले का नाम भी रखा गया है। फिरोजाबाद के बाद के इतिहास को राजा चंद्रसेन के नाम से ही जाना जाता है। राव चंद्रसेन कभी भी अकबर की अधीन नहीं रहना चाहते थे, इसलिए उन्होंने उनके आगे हार कभी स्वीकार नहीं की, जिसके चलते उन्हें जीवन भर संघर्ष करना पड़ा था।

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image credit- freepik

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