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मंदिर या किसी भी शुभ स्थान पर क्यों चढ़ाए जाते हैं 11, 51 या 101 रुपये, ज्योतिष में क्या है 1 संख्या का महत्व

हम अक्सर दान में या किसी भी चढ़ावे के समय जो धनराशि देते हैं उसमें एक का सिक्का जरूर रखते हैं। आइए जानें क्यों कभी भी दान में दी जाने वाली धनराशि में शून्य नहीं आना चाहिए।
Editorial
Updated:- 2024-12-17, 17:09 IST

भारतीय संस्कृति और परंपराओं में हर छोटी-बड़ी चीज के पीछे कोई न कोई अर्थ और धार्मिक मान्यता छिपी होती है। ऐसे ही जब भी कोई व्यक्ति मंदिर या किसी अन्य धार्मिक स्थान पर पूजा-अर्चना करता है या फिर किसी शुभ कार्य की शुरुआत करता है तो कुछ न कुछ धनराशि दान में देता है। अक्सर देखा जाता है कि जब हम मंदिर या किसी अन्य पूजनीय स्थान पर चढ़ावा धनराशि के रूप में चढ़ाते हैं तो उसमें 1 का सिक्का जरूर लगाते हैं।

यूं कहा जाए कि कभी भी आपको दान या चढ़ावा के लिए शून्य की संख्या में पैसे न चढ़ाने की सलाह दी जाती है।  अक्सर हम मंदिर में 11, 21, 51, 101 या 1001 रुपये का दान करते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। पर क्या आपने कभी सोचा है कि इन संख्याओं के पीछे का रहस्य क्या है और आखिर ‘1’ संख्या का ज्योतिष में इतना महत्व क्यों है? आखिर क्यों किसी को शगुन का लिफाफा देते समय उसमें एक का सिक्का अवश्य लगाया जाता है? आखिर क्यों पंडित की दक्षिणा में हमेशा एक का सिक्का लगाना जरूरी समझा जाता है? आइए सेलेब्रिटी एस्ट्रोलॉजर प्रदुमन सूरी से जानें इसके बारे में और 1 संख्या के महत्व के बारे में।

दान में दी जाने वाली राशि में संख्या ‘1’ का महत्व

significance of no 1 in astrology

धार्मिक अनुष्ठानों और दान में अक्सर हम यह देखते हैं कि 10, 50 या 100 रुपये के स्थान पर 11, 51 या 101 रुपये चढ़ाए जाते हैं। इसके पीछे मुख्यत: दो कारण होते हैं –
भारतीय परंपरा में ‘1’ को शुभ और वृद्धि का प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि किसी भी चीज का अंत कभी भी शून्य पर नहीं होना चाहिए, क्योंकि शून्य का मतलब ठहराव होता है। जबकि ‘1’ का अर्थ है नई शुरुआत और सकारात्मकता। यदि आप किसी को दान या चढ़ावे में धनराशि के साथ एक रुपये लगाकर देते हैं तो ये धन में बढ़ोत्तरी का संकेत होता है। धनराशि में संख्या ‘1’ को जोड़ने का एक और अर्थ होता है कि आपका दान या उपहार कभी समाप्त न हो। यह इस भावना को दर्शाता है कि उस कार्य का फल अनंतकाल तक चलता रहे।

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ज्योतिष में ‘1’ संख्या का महत्व

ज्योतिष में प्रत्येक अंक का संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है। ‘1’ संख्या का स्वामी सूर्य ग्रह को माना जाता है। सूर्य को नवग्रहों का राजा कहा जाता है। यह शक्ति, ऊर्जा, आत्मविश्वास और सफलता का कारक ग्रह होता है। इसलिए दान या चढ़ावे में संख्या ‘1’ का जुड़ना दान राशि या शुभ कार्य में सकारात्मक ऊर्जा और उन्नति का प्रतीक माना जाता है।

चूंकि संख्या 1 सूर्य से जुड़ी होती है और सूर्य आत्मा और आत्मविश्वास का प्रतीक माना जाता है। अंक ज्योतिष के अनुसार जिन लोगों का मूलांक 1 होता है यानी जो लोग 1, 10, 19 या 28 तारीख को जन्मे होते हैं, वे स्वाभाविक रूप से नेतृत्व क्षमता वाले होते हैं। ‘1’ का अंक ऊर्जा और निरंतर प्रगति को दर्शाता है। जब हम किसी मंदिर पूजा स्थल पर 11, 51 या 101 रुपये चढ़ाते हैं, तो इसका मतलब होता है कि हम अपनी सकारात्मक ऊर्जा को उस धार्मिक अनुष्ठान या भगवान की सेवा में समर्पित कर रहे हैं।

दान में दी जाने वाली शून्य राशि का अर्थ क्या है?

why we should not give zero in astrology

शून्य का ज्योतिष में विशेष महत्व होता है। शून्य को पूर्णता, शांति और स्थिरता का प्रतीक माना जाता है, लेकिन इसके साथ ही यह ठहराव और निष्क्रियता को भी दर्शाता है।

जब हम किसी राशि को शून्य पर खत्म करते हैं जैसे 10, 100, 1000 या अन्य कोई भी संख्या तो इसका अर्थ यह होता है कि उस कार्य की वृद्धि वहीं रुक गई है। चूंकि यह ठहराव को दर्शाता है और इस बात का प्रतीक है कि जीवन में कोई प्रगति या आगे बढ़ने की संभावना नहीं है।
शून्य का अर्थ भले ही पूर्णता हो, लेकिन शुभ कार्यों में यह ठहराव का प्रतीक बन सकता है, जो ज्योतिष और धार्मिक दृष्टिकोण से शुभ नहीं माना जाता।

इसे जरूर पढ़ें: Lucky Number: कैसा होता है 'भाग्यांक-1' वालों का व्यक्तित्व?

बढ़ती हुई संख्याओं का महत्व

significance of money in astrology

जब हम किसी राशि के अंत में ‘1’ जोड़ते हैं, जैसे  कि 11, 51, 101, 501 या 1001 आए अन्य कोई तो इसका अर्थ होता है वृद्धि और निरंतर प्रगति। इन बढ़ती हुई संख्याओं का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व भी बहुत अधिक होता है। किसी भी संख्या में ‘1’ को जोड़ने का मुख्य अर्थ यह होता है कि किसी भी चीज का अंत न हो, बल्कि वह कार्य अनंत काल तक चलता रहे।

यह दर्शाता है कि व्यक्ति की समृद्धि और सफलता में निरंतर वृद्धि होती रहे। संख्या ‘1’ को शुभ माना जाता है, क्योंकि यह एक नई शुरुआत का प्रतीक है।

किसी भी कार्य में सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार, ‘1’ अंक का स्वामी सूर्य ग्रह है। सूर्य को नवग्रहों का राजा और आत्मा का कारक माना जाता है। यह ऊर्जा, आत्मविश्वास और सफलता का प्रतीक है। जब हम शुभ कार्यों में ‘1’ जोड़ते हैं, तो इसका अर्थ होता है कि हम सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा को अपने जीवन में आमंत्रित कर रहे हैं।

जब भी आप मंदिर में चढ़ावा चढ़ाते हैं तब आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी ऐसी धनराशि दान में न दें जिसमें अंत में शून्य आए। इसके स्थान पर आप 11. 21 या अन्य किसी भी संख्या से जुड़ी धनराशि दान में दे सकते हैं।
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