टीनएज वह उम्र होती है, जिसमें बच्चों का बचपन पीछे छूट रहा होता है और वह जवानी की दहलीज में कदम रख रहे होते हैं। इस उम्र में बच्चों का शरीर और सोच, दोनों बदलते हैं। यही वजह है कि टीनएज को जीवन का सबसे जरूरी पड़ाव माना गया है। इस समय बच्चों को सही गाइडेंस के साथ अच्छा-बुरा भी समझाना जरूरी होता है, जिससे आगे चलकर उन्हें किसी परेशानी का सामना न करना पड़े।
अगर आपका भी बेटा 15-16 साल का हो गया है, तो अब समय आ गया है कि उसे कुछ बातें समझा दी जाएं। अक्सर देखा जाता है कि कई लड़के इस उम्र में भटक जाते हैं, गलत संगत में पड़ जाते हैं या छोटी-छोटी बातों पर एग्रेसिव हो जाते हैं। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी होती है कि वह सही समय पर अपने बेटे को अच्छे और बुरे में फर्क करना सिखाएं। आइए, यहां जानते हैं कि बेटे को टीनएज में आने के बाद कौन-सी बातें सिखाना जरूरी हो जाता है।
जब बेटा 15-16 साल का हो जाए तो उन्हें कुछ चीजें बताना और सिखाना जरूरी हो जाती है। क्योंकि, यह उम्र बहुत नाजुक होती है।
सम्मान करना सिखाने के लिए ऐसे तो कोई उम्र नहीं होती है। लेकिन, टीनएज में बच्चों को जो सिखाया जाता है वह उनके साथ जीवनभर रहता है। जब बेटा 15-16 साल का हो जाए तो उसे माता-पिता या घर के सदस्यों की इज्जत करना ही न सिखाएं। बल्कि, उसे सभी का सम्मान करना सिखाएं।
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बेटे को समझाएं कि वह चाहे किसी के विचार से सहमत रहे या नहीं, लेकिन सम्मान करना भूलना नहीं है। वहीं, सबसे जरूरी की बेटे को महिलाओं का सम्मान करना सिखाएं।
आजकल के बच्चों को स्मार्ट फोन या इंटरनेट से दूर नहीं रखा जा सकता है। ऐसे में उन्हें सोशल मीडिया और इंटरनेट से इंट्रोड्यूस कराएं और इसके खतरों के बारे में भी बताएं। बेटे को समझाएं कि सोशल मीडिया या इंटरनेट पर मिलने वाली जानकारी का कैसे इस्तेमाल करना है और कितनी डिटेल्स ऑनलाइन शेयर करनी है। बेटे को साइबरबुलिंग और ऑनलाइन शोषण के बारे में भी जरूर बताएं।
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15-16 साल की उम्र में आने के बाद बच्चों में मेंटल और फिजिकल कई बदलाव आते हैं। ऐसे में वह अपोजिट जेंडर की तरफ भी अट्रैक्ट होते हैं। ऐसे में उन्हें समझाएं कि किस तरह से हेल्दी रिश्ते बनाने हैं और उसमें कितनी लिमिट रखनी है।
कई बार पैरेंट्स घर में डर का माहौल बना देते हैं, जिसकी वजह से बच्चे अपने मन की फीलिंग्स के बारे में नहीं बताते हैं। इसलिए बेटे में डर नहीं बनाएं, बल्कि उसे दोस्त बनाएं जिससे वह खुलकर बात कर सके।
हमारे समाज में यह एक पुराना ट्रेंड देखने को मिलता है कि मर्द को दर्द नहीं होता। जिसकी वजह से लड़के अपने इमोशन्स शेयर नहीं करते हैं। ऐसे में बेटे को फीलिंग्स शेयर करना, सुनना और उन पर बात करना जरूर सिखाएं।
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15-16 का बेटा हो जाए तो उसे फाइनेंशियल एजुकेशन जरूर दें। उसे समझाएं कि पैसा कैसे कमाया जाता है और कैसे बचाया जाता है। बेटे को पॉकेट मनी दें, तो उसे बताएं कि अपने खर्चों का बजट बनाए और फिर खर्च करे। इतना ही नहीं, उसे सेविंग्स करना भी सिखाएं। बेटे को पैसा मैनेज करने की आदत सही रास्ते पर लेकर जाएगी और जीवनभर परेशानी से भी दूर रखने में मदद कर सकती है।
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