SP, ASP और DSP में क्या होता है अंतर, जानें किसे मिलती है कौन-सी जिम्मेदारियां?

SP, ASP और DSP के बीच का अंतर बहुत ही कम लोगों को पता होता है। अक्सर लोग पुलिस विभाग के इन पदों को लेकर कंफ्यूज रहते हैं कि किसकी रैंक और पॉवर ज्यादा है। अगर आप भी SP, ASP और DSP के बीच का अंतर जानना चाहती हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है।
Difference Between SP, ASP and DSP

भारत के नागरिकों की सुरक्षा के लिए बॉर्डर पर सेना और राज्यों में लॉ एंड ऑर्डर की जिम्मेदारी पुलिस की होती है। पुलिस केवल लॉ एंड ऑर्डर नहीं मैंटेन करती है, बल्कि देश के नागरिकों की सुरक्षा के लिए 24 घंटे सातों दिन सेवा में तैनात रहती है। लेकिन, क्या आप जानती हैं पुलिस विभाग में भी एक सामान्य कॉरपोरेट कंपनी की तरह अलग और महत्वपूर्ण पद होते हैं, जिनकी जिम्मेदारियां भी अलग होती हैं। जी हां, आज हम पुलिस विभाग के ऐसे ही तीन पदों के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिनके बारे में आपने कई बार सुना होगा। पुलिस प्रशासन के ये पद हैं SP, ASP और DSP।

SP, ASP और DSP तीनों ही कानून व्यवस्था को बनाकर रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन, इन तीनों में क्या अंतर होता है और इनकी क्या-क्या जिम्मेदारियां होती हैं, इसे लेकर बहुत से लोग कंफ्यूज रहते हैं। अगर आप भी पुलिस विभाग की इन तीनों रैंक्स और पॉवर के बारे में जानना चाहती हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है।

SP, ASP और DSP में क्या अंतर होता है?

Who is sp in police department

SP कौन होता है?

SP की अंग्रेजी में फुलफॉर्म सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस और हिंदी में पुलिस अधीक्षक होती है। एसपी यानी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस के पास एक पूरे जिले की कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी होती है। एसपी के जिले में जितने भी पुलिस स्टेशन या थाने होते हैं, वह उन सभी को मैनेज करता है।

सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस, एक आईपीएस अधिकारी होता है। इनकी रैंक भारतीय सेना के सीनियर कैप्टन, मेजर या लेफ्टिनेंट कर्नल के बराबर मानी जाती है।

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ASP कौन होता है?

ASP की फुल फॉर्म असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस होती है। जैसा कि फुल फॉर्म से समझ आ रहा है कि ASP का काम एसपी यानी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस को असिस्ट करना होता है। ASP प्रमुख तौर पर जिले में कानून व्यवस्था बनाकर रखने और अपराध को रोकने में SP की मदद करता है। इस रैंक के लिए भी आईपीएस अफसर की नियुक्ति की जाती है। यह एक राजपत्रित अधिकारी होता है और इसका पद पुलिस उपाधीक्षक यानी DSP के समकक्ष होता है। IPS अधिकारी आमतौर पर चार साल की सर्विस के बाद SP या SSP के पद पर पहुंचते हैं।

DSP कौन होता है?

Who is Dsp in police department

DSP की फुल फॉर्म डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस होती है। यह एक मध्य-स्तर का अधिकारी होता है, जिसे एक खास एरिया का लॉ एंड ऑर्डर संभालने का काम दिया जाता है। जैसे-ट्रैफिक नियंत्रण, क्राइम ब्रांच की देखरेख या अन्य किसी विशेष विभाग की जिम्मेदारी। ASP और SP के आदेश के अनुसार DSP कार्य करता है।

DSP को उत्तर प्रदेश और राजस्थान में CO यानी सर्किल ऑफिसर के तौर पर भी जाना जाता है। वहीं, पश्चिम बंगाल में DSP की रैंक को SDPO या सब डिविजनल पुलिस ऑफिसर के नाम से भी जाना जाता है। यह आईपीएस रैंक का ऑफिसर नहीं होता है। DSP रैंक पर डायरेक्ट या फिर इंस्पेक्टर का प्रमोशन करके नियुक्ति की जाती है। DSP की रैंक पर डायरेक्ट नियुक्ति के लिए राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास करनी होती है।

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कैसे बना जा सकता है SP या ASP?

SP या ASP बनने के लिए पहले UPSC की सिविल सेवा परीक्षा पास करनी पड़ती है। सिविल सेवा पास करने वाले रैंक के आधार पर IAS और IPS चुने जाते हैं। IPS के तौर पर चुने जाने के बाद ट्रेनिंग होती है और फिर ASP के पद पर नियुक्ति होती है। एक्सपीरियंस और प्रमोशन के बाद SP की रैंक मिलती है।

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Image Credit: Freepik and Herzindagi

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