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इन 5 जांबाज़ महिला IPS ऑफ़िसर्स का नाम सुन कर कांप जाते हैं गुंडे-बदमाश

जब भी महिला सशक्तिकरण की बात की जाती है तो किरण बेदी का नाम सबसे पहले लिया जाता है और लिया भी क्यों ना जाए। उन्होंने ही तो सबसे पहले ये भरोसा जताया कि लड़कियां भी आईपीएस ऑफिसर बन सकती हैं। उनकी बहादुरी की बात हो चाहे बेबाकी से बोलने या इंदिरा गांधी की कार उठा लेने वाला किस्सा हो... किरण बेदी पहले भी लड़कियों को प्रोत्साहित करती थीं और आज पांडिचेरी की राज्यपाल बन जाने के बाद भी कर रही हैं। लेकिन किरण बेदी की तरह ही, भारत में और भी लड़कियां IPS ऑफ़िसर बनी हैं जिन्होंने देश का मान भी बढ़ाया और जिनका नाम सुनकर गुंडे-बदमाश भी कांप जाते हैं। 

Gayatree Verma

Her Zindagi Editorial

Updated:- 13 Sep 2017, 15:09 IST

आईपीएस अधिकारी डी रूपा

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इनका नाम हाल ही में चर्चा में रहा जब इन्होंने शशिकला को जेल में मिलने वाली सुविधा की पोल खोली। दरअसल बेंगलुरु की सेंट्रल जेल में बंद एआईएडीएमके प्रमुख शशिकला को वीवीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है। भ्रष्टाचार के आऱोप में जेल में बंद शशिकला के लिए जेल में 2 करोड़ की लागत से एक अलग किचन बनाई गई है। डीआईजी रूपा ने इसी वीवीआईपी ट्रीटमेंट की पोल खोली और इस ईमानदारी का ईनाम उन्हें तबादले के रुप में मिला। लेकिन इसके बाद भी वो अपनी रिपोर्ट से पीछे नहीं हटी।

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डीएसपी श्रेष्ठा ठाकुर

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बुलंदशहर के स्याना में तैनात डीएसपी श्रेष्ठा ठाकुर जैसे दो-तीन ऑफिसर और हो जाएं तो देश से गुंडों की दबंगई अपने आप खत्म हो जाएगी। इन्होंने केवल हेलमेट ना पहनने के लिए (है छोटी सी बात लेकिन कानून तो कानून होता है। वाह!) भाजपा नेता का चालान काट दिया। जिसके कारण बुलंदशहर में कचहरी के सामने ही भाजपा नेताओं और श्रेष्ठा ठाकुर के बीच झड़प हो गई। भाजपा के नेता बार-बार केवल ये कहते रहे कि डीएसपी साहिबा आपका व्यवहार अनुचित है, तो डीएसपी साहिबा ने भी नहले पे दहला मारते हुए ये कह दिया कि अगर किसी को आपत्ति है तो वो सीएम साहब से लिखवा कर लाए कि चेकिंग बंद कर दो। वाह! वाह!

अपराजिता राय

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अपराजिता मतलब हारने वाला नहीं। अपने नाम का मान रखते हुए इस IPS ऑफ़िसर ने पूरे देश का नाम रोशन किया है। ये असम की पहली गोरखा महिला IPS बनीं हैं। ये 2012 में UPSC की परीक्षा पास कर ऑफिसर बनी थी और इतने कम समय में ही इन्हें राष्ट्रीय अवॉर्ड से भी सम्मानित कर दिया गया है। अभी फिलहाल ये पश्चिम बंगाल में पोस्टेड हैं, लेकिन इन्हें दार्ज़लिंग पोस्ट किए जाने की ख़बर आ रही है। आपको शायद मालुम हो कि वहां अलग से गोरखालैंड बनाने की मांग की जा रही है जिस पर शायद लगाम लगाने के लिए ही इनकी पोस्टिंग वहां की गई है। 

संजुक्ता पराशर

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इन्हें तो आप लेडी सिंघम कहकर भी बुलाएंगे तो भी कुछ गलत नहीं होगा। जब इनकी पोस्टिंग असम में थी तब इन्होंने 16 नक्सलवादियों को मौत के घाट उतार दिया था और 64 से ज़्यादा नक्सलियों को गिरफ़्तार भी किया। इनकी बहादुरी और डर के कारण वहां के कई नक्सलियों ने खुद ही असम में सरेंडर भी कर दिया था। 

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मीरा बोरवांकर

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आपने जलगांव सेक्स स्कैंडल केस, इकबाल मिर्ची केस, अबु सलेम केस के बार में तो जरूर सुना होगा। ये केसेस मीरा ने ही सुलझाए थे। नॉर्मल तौर पर क्राईमब्रांच को पुरूषों की जगह माना जाता है। खासकर महाराष्ट्र को क्योंकि ये बड़े से बड़े गैंगस्टर का घर माना जाता है। लेकिन ये महाराष्ट्र की पहली महिला क्राईमब्रांच की ऑफ़िसर बनकर खुद के साथ देश का नाम भी रोसन किया। इसका साथ ही कई बड़े केस भी सुलझाए। उनकी सूझबूझ के कारण ही उन्हें 1997 में राष्ट्रपति मेडल से सम्मानित किया गया।

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