जब किसी पुलिस अधिकारी को सस्पेंड किया जाता है, तो यह एक अस्थायी कार्रवाई होती है जिसमें अधिकारी को उसकी ड्यूटी से हटा दिया जाता है। यह निर्णय उस समय लिया जाता है जब अधिकारी के खिलाफ गंभीर आरोप होते हैं या उसके कामकाज में कोई लापरवाही की गई हो या दिया हुआ काम सही समय पर ना किया जाएं। इस कारण से भी पुलिस अधिकारी को सस्पेंड किया जाता है।
ड्यूटी करने का अधिकार
सस्पेंड होने पर अधिकारी को अपने पद से हटा दिया जाता है और उसे किसी भी प्रकार की आधिकारिक जिम्मेदारी निभाने का अधिकार नहीं होता। ऐसे में वह ना तो काम से जुड़ा कोई निर्णय ले सकता है और ना ही कार्रवाई कर सकता है। आपातकालीन स्थिति में भी वह काम नहीं कर सकता है।
पावर ऑफ अरेस्ट
पावर ऑफ अरेस्ट जो पुलिस अधिकारी के पास होता है उनसे वह अधिकार ले लिया जाता है। एक सस्पेंड अधिकारी के पास किसी को गिरफ्तार करने, जांच करने या किसी भी प्रकार की पुलिस कार्रवाई में भाग लेने का अधिकार नहीं होता है।
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प्रमोशन नहीं मिलता
सस्पेंशन के दौरान पुलिस अधिकारी को प्रमोशन और अन्य करियर से जुड़े चीजों का लाभ नहीं मिलता है। इससे उनके करियर और भविष्य पर सीधा असर पड़ता है। इस दौरान उनसे कई सारे मुख्य अधिकार ले लिए जाते हैं।
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हथियार का उपयोग
सस्पेंशन के दौरान पुलिस अधिकारी से सबसे पहले उनका हथियार ले लिया जाता है। इसके साथ ही सस्पेंशन के दौरान अधिकारी को पुलिस वर्दी पहनने का अधिकार भी छीन लिया जाता है।
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