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Why panchbali karma is done during pitru paksha

Pitru Paksha 2022: आखिर क्यों पिंडदान के बाद किया जाता है पंचबली कर्म?

इस लेख में हम आपको बताएंगे कि पिंडदान के बाद पंचबली कर्म करने का क्या महत्व होता है। 
Editorial
Updated:- 2022-09-21, 13:46 IST

पितृपक्ष के दिनों में पिंडदान करने का महत्व सबसे अधिक माना जाता है। पिंडदान को पूरे विधि-विधान के साथ करा जाता है। आपको बता दें कि पितृपक्ष के दिनों में पंचबली कर्म करने का भी विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इसके साथ ही पंचबली कर्म के कई सारे महत्व भी होते हैं।

क्या होता है पंचबली कर्म?

Pitrupaksha

आपको बता दें कि पितृपक्ष के दिनों में पंचबली कर्म करने का मतलब पंचबली भोग को विधि-विधान के साथ करने का होता है। पंचबली भोग को लगाने से परिवार पर पितरों की विशेष कृपा बनी रहती है। पंचबलि भोग के बारे में गरुड़ पुराण में भी बताया गया है। पंचबलि भोग को पितृपक्ष में पांच तरह के जीवों को भोग लगाने के लिए करा जाता है।

आपको बता दें कि हर जीव को भोग लगाने के पीछे अलग-अलग कारण भी होते हैं। पंचबलि भोग के बिना श्राद्ध कर्म को पूरा नहीं माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन पांच जीवों के द्वारा ही हमारे पितर भोजन करते हैं।

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कौन से पांच जीवों को लगाया जाता है भोग?

आपको बता दें कि पंचबली भोग में पांच तरह के जीवों को भोग लगाने की बात कई हिन्दू शास्त्रों में भी बताई गई है। पंचबली भोग का पहला भोग गो बलि कहा जाता है और यह भोग गाय के लिए निकाला जाता है। इसके बाद दूसरा भोग कुत्‍तों के लिए निकाला जाता है जिसको कुक्कुर बलि कहा जाता है। फिर तीसरा भोग कौए के लिए निकाला जाता है और उसे काक बलि कहा जाता है।

इसके बाद चौथा भोग देव बलि कहा जाता है और वह भोग सभी देवताओं के लिए निकाला जाता है। इसके बाद पांचवां भोग चीटियों के लिए निकाला जाता है जिसे पिपीलिकादी बलि कहा जाता है।

अंत में देवताओं का भोग जल में प्रवाहित करा जाता है। इन सभी भोग को ग्रंथों के अनुसार बताए गए मंत्र को बोलकर निकाला जाता है और एक-एक करके सारे भोग को सभी जीवों को दिया जाता है।

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पंचबली भोग का महत्व क्या होता है?

धार्मिक मान्यता के अनुसार पितृपक्ष के दिनों में पंचबली भोग के बिना श्राद्ध पूरा नहीं माना जाता है और इसको नहीं करने से पितरों की आत्मा को शांति नहीं मिलती है क्योंकि उनका भोग अधूरा रह जाता है।

इस वजह से पंचबली भोग को पितृपक्ष में विधि-विधान के साथ करना चाहिए ताकि पितरों को संतुष्टि मिल सके।

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