ट्रैजडी क्वीन मीना कुमारी की जिंदगी किसी फिल्मी कहानी की तरह है। 1 अगस्त 1933 को पैदा हुई मीना कुमारी बचपन से ही फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ गई थीं। 38 साल की उम्र में मीना कुमारी का निधन हो गया था। उनकी जिंदगी एक खुली किताब की तरह रही जिसे सभी ने पढ़ा। मीना कुमारी की कुछ रेयर तस्वीरें हमने इकट्ठा की हैं। उनके जन्मदिन पर उनकी तस्वीरों को देखने के साथ जानिए उनके बारे में कुछ फैक्ट्स।
मीना कुमारी की नानी हेम सुंदरी टैगोर असल में रवींद्रनाथ टैगोर के छोटे भाई की बेटी थीं। पति की मृत्यु के बाद उन्होंने एक ईसाई से शादी कर ली थी और दो बेटियों को जन्म दिया था जिसमें से एक मीना कुमारी की मां थीं।
बतौर चाइल्ड एक्टर मीना कुमारी को अपनी पहली सैलेरी 25 रुपए मिली थी। डायरेक्टर विजय भट्ट ने 'लेदरफेस' नामक फिल्म में 1939 में उन्हें कास्ट किया था।
1952 में आई फिल्म बैजू बांवरा में मीना कुमारी ने लीड रोल निभाया था। इस फिल्म के लीड कैरेक्टर्स को क्लाइमैक्स के लिए नदी में डूबने का सीन फिल्माना था और असल में मीना कुमारी लगभग डूब ही गई थीं, पर समय रहते उन्हें किसी ने बचा लिया। हिंदुस्तान लिवर ने इसके बाद मीना कुमारी को कई ऐड ऑफर किए और वो कैलेंडर गर्ल भी बनीं। ये सब कुछ बैजू बांवरा की सक्सेस के बाद ही हुआ और इसके बाद उन्होंने अपनी जिंदगी की कुछ सबसे हिट फिल्मों में काम किया।
13 साल की उम्र तक उन्होंने 'लेदरफेस, अधूरी कहानी, पूजा, एक ही भूल, नई रोशनी, कसौटी, विजय, गरीब, प्रतिज्ञा, बहन और लाल हवेली' फिल्मों में काम किया था।
मीना कुमारी ने अधिकतर विजय भट्ट की फिल्मों में काम किया है। शुरुआती दौर में विजय भट्ट को मीना बहुत पसंद थीं और महजबीन बानो नाम उन्हें बहुत लंबा लगता था। इसके बाद फिल्म 'एक ही भूल' की शूटिंग के दौरान 1940 में विजय भट्ट ने उन्हें बेबी मीना कहकर पुकारना शुरू किया। यही नाम टीनएज तक आते-आते मीना कुमारी बन गया।
कमाल अमरोही के बेटे ताजदार अमरोही ने एक आर्टिकल में ये लिखा था कि उनकी छोटी अम्मी (मीना कुमारी) ने उनके बाबा (कमाल अमरोही) को ये बताया था कि लोग रास्ते में उनके बालों को लेने की कोशिश करते हैं ताकि तावीज बनाए जा सकें। मीना कुमारी के इस किस्से का जिक्र एक इंटरव्यू में भी किया गया है।
1957 में आई फिल्म 'शारदा' जिसमें मीना कुमारी ने पहली बार राज कपूर के साथ काम किया था। मीना कुमारी ने इस फिल्म के लिए कई अवॉर्ड जीते और उन्हें पसंद किया गया। इसके बाद लगातार ऐसी ही फिल्में मीना कुमारी ने कीं जैसे 'सहारा, चिराग कहां रौशनी कहां, चार दिल चार राहें, भाभी की चूड़ियां, दिल अपना और प्रीत पराई, साहिब बीवी और गुलाम, पाकीजा' आदि। लगातार ऐसी फिल्मों के कारण उन्हें ट्रैजडी क्वीन कहा जाने लगा। कहते हैं कि मीना कुमारी को रोने के लिए ग्लिसरीन की जरूरत नहीं होती थी।
कमाल अमरोही की फिल्म 'पाकीजा' हिंदी सिनेमा की उन फिल्मों में से एक है जिनपर बहुत लंबे समय तक काम हुआ है। इस फिल्म को 1958 में बनाना शुरू किया गया था और ये 1972 में प्रिमियर हुई थी।
बहुत ही कम लोग ये जानते हैं कि मीना कुमारी ने बतौर प्लेबैक सिंगर भी काम किया है। उन्होंने 1945 तक चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर गाने गाए। फिल्म 'बाहें' में उनका गाना आया था। बड़े होने पर मीना कुमारी ने 'दुनिया एक सराय, पिया घर आजा, बिछड़े बालम, पिंजरे के पंछी' आदि फिल्मों में गाने गाए। आपको यकीन नहीं होगा लेकिन मीना कुमारी का एक गाना पाकीजा फिल्म में भी था हालांकि, उसे फिल्म में न इस्तेमाल कर अलग से एल्बम में रिलीज किया गया था।
मीना कुमारी सिर्फ एक्ट्रेस और प्लेबैक सिंगर ही नहीं थीं बल्कि एक उम्दा शायर भी थीं। वो नाज़ नाम से कविताएं लिखती थीं। इतिहासकार और क्रिटिक फिलिप्स बाउंड और डेजी हसन ने इस बारे में लिखा था कि मीना कुमारी खुद को अपनी पब्लिक इमेज से अलग करने के लिए नाज़ नाम का सहारा लेती थीं।
मीना कुमारी एक लेजेंड थीं और उनकी कहानी हमेशा उनके फैन्स के दिल में रहेगी। अगर आपको ये स्टोरी पसंद आई हो तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।