करवा चौथ रूप से शादीशुदा महिलाओं का व्रत माना जाता है। इस दिन हर एक सुहागन अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती है। पूरे दिन निर्जला व्रत रखने के बाद महिलाएं चांद को देखकर ही व्रत खोलती हैं। इस पर्व को मुख्य रूप से सुहाग का पर्व माना जाता है।
यह पर्व मुख्य रूप से हिंदू विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र की कामना और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए मनाया जाता है। लेकिन ऐसी मान्यता है कि यदि अविवाहित लड़कियां भी अच्छे वर की तलाश में हैं तो इस व्रत को कुछ नियमों से कर सकती हैं।
वैसे तो हिंदू धर्म शास्त्रों में अविवाहित लड़कियों को यह व्रत करने की मनाही है लेकिन कुछ विशेष नियमों का पालन करते हुए इस व्रत को किया जा सकता है और ये फलदायी भी है। आइए ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें किस तरह से अविवाहित लड़कियों का करवा चौथ व्रत रखना चाहिए और किन नियमों का पालन करते हुए व्रत करना चाहिए।
यदि आप कुंवारी हैं और जल्दी शादी के लिए करवा चौथ का व्रत करना चाहती हैं तो आप इस व्रत को निर्जला न करें। दरअसल करवा चौथ व्रत की मान्यता है कि इस दिन केवल सुहागन महिलाओं को ही निर्जला व्रत रखना चाहिए। यदि कुंवारी लड़कियां इस व्रत को कर रही हैं तो इस दिन फलाहार का सेवन करें और जल का भी सेवन करें। रात्रि में व्रत का पारण करें और अन्न ग्रहण करें।
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ऐसी कुंवारी लड़कियां जिनका विवाह तय हो गया है या जिनकी सगाई हो चुकी है वो अपने भावी पति की लंबी उम्र की कामना लिए हुए निर्जला व्रत कर सकती हैं। इसके अलावा जो लड़कियां शादी की इच्छा हेतु व्रत कर रही हैं वो पूरे दिन अन्न न ग्रहण करें और पार्वती जी का पूजन करें।
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पारम्परिक रूप से करवा चौथ के व्रत में छलनी से चांद (चांद को छलनी से क्यों देखा जाता है) देखने की विशेष परंपरा है। लेकिन यदि किसी लड़की का विवाह नहीं हुआ है और वो करवा चौथ का व्रत कर रही है तो उसे चांद देखने के लिए छलनी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। दरअसल छलनी से चांद देखने की प्रथा केवल सुहागन महिलाओं के लिए है बनाई गई है और पुराणों में भी इसका जिक्र है।
यदि आपकी शादी नहीं हुई है और आप अच्छे वर की कामना में करवा चौथ व्रत कर रही हैं तो इस दिन आपको मुख्य रूप से माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। अविवाहित लड़कियों के लिए चांद देखकर व्रत खोलने या चांद को अर्घ्य देने जैसी कोई बाध्यता नहीं होती है। इस दिन करवा चौथ की कथा भी सुन सकती हैं।
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करवा चौथ की मुख्य रस्मों में से एक है थाली (करवा चौथ की थाली तैयार करने का तरीका) घुमाने और करवा बदलने की रस्म। लेकिन यह दोनों ही रस्में ज्योतिष में शादी के बाद करने की सलाह दी जाती है। इसलिए कुंवारी लड़कियों के लिए यह रस्म वर्जित मानी जाती है। करवे की जगह आप पानी से भरे कलश का इस्तेमाल करें।
यहां बताए नियमों का पालन करके यदि आप करवा चौथ का व्रत करती हैं तो जल्द ही शादी के योग बनने के साथ आपको सुयोग्य वर की प्राप्ति भी होगी। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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