आज के डिजिटल युग में बच्चे गैजेट्स और वर्चुअल दुनिया में ज्यादा समय बिताने लगे हैं। वहीं, कुछ बच्चों में शर्मीलापन और सामाजिक मेलजोल से कतराना एक आम समस्या बन गई है। माता-पिता अक्सर इस बात को लेकर चिंतित रहते हैं कि उनका बच्चा दोस्तों के साथ घुलमिल नहीं पाता है और पार्टी या सोशल गैदरिंग में अकेला रहता है। इतना ही नहीं, कुछ बच्चे तो घर के अंदर ही रहना पसंद करते हैं। यह शर्मीलापन कभी-कभी बच्चों के आत्मविश्वास को कम कर देता है और उनके सामाजिक विकास में बाधा डालता है। अगर आपका बच्चा भी अपनी ही दुनिया में खोया रहता है और सामाजिक मौकों पर असहज महसूस करता है, तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसके लिए यह समझना जरूरी है कि हर बच्चा अलग होता है और कुछ बच्चों को दूसरों से घुलने-मिलने में थोड़ा ज्यादा समय लगता है। अच्छी बात यह है कि सही पेरेंटिंग टिप्स और थोड़ी कोशिश से आप अपने शर्मीले बच्चे को कम समय में ही एक सामाजिक रूप से एक्टिव बना सकती हैं। उससे जबरदस्ती किए बिना आत्मविश्वास के साथ सामाजिक होने में मदद कर सकती हैं। तो आइए कुछ ऐसे प्रभावी और प्रैक्टिकल टिप्स के बारे में जानते हैं, जो आपके बच्चे को खुलकर जीने और सामाजिक बनने में सहायता कर सकते हैं।
शर्मीले बच्चों को अचानक से किसी बड़ी भीड़ या अनजान माहौल में धकेलने से वे और ज़्यादा घबरा सकते हैं। उन्हें छोटे और आरामदायक सामाजिक माहौल में ढालना शुरू करें। शुरुआत में, परिवार के करीबी सदस्यों या उन दोस्तों के साथ खेलने के लिए प्रोत्साहित करें जिनसे वे सहज महसूस करते हैं। किसी ऐसी गतिविधि में शामिल करें, जहां कम बच्चे हों। इसके लिए आप उन्हें कोई छोटी आर्ट क्लास, म्यूजिक क्लास या स्पोर्ट्स ग्रुप आदि में शामिल कर सकते हैं, जहां बच्चे एक-दूसरे को बेहतर तरीके से जान सकें।
बच्चों को सामाजिक होने के अवसर देना महत्वपूर्ण है, लेकिन उन्हें जबरदस्ती मजबूर न करें। बच्चों से पूछें कि वे किसके साथ खेलना पसंद करेंगे, या कौन सी गतिविधि उन्हें पसंद है। जब उनके पास चुनाव का विकल्प होता है, तो वे ज़्यादा सहज महसूस करते हैं। यदि वे किसी पार्टी में जाने से हिचकिचा रहे हैं, तो कुछ देर उनके साथ रुकें और उन्हें धीरे-धीरे घुलने-मिलने दें। बाद में आप थोड़ी देर के लिए दूर हो सकती हैं। उनसे सीधे यह न पूछे की तुम खेलोगे या नहीं, बल्कि बच्चों से हमेशा उनका मन और पसंद पूछना चाहिए कि तुम्हें आज क्या खेलने का मन है। इस तरह के खुले सवाल पूछें, जो उन्हें बात करने के लिए प्रोत्साहित करें।
शर्मीले बच्चों को अक्सर पता नहीं होता कि सामाजिक स्थितियों में कैसे व्यवहार करें। घर पर ही रोल प्ले करें। उन्हें सिखाएं कि नमस्ते कैसे करते हैं, अपना परिचय कैसे देते हैं, दूसरों से सवाल कैसे पूछते हैं या खेल में कैसे शामिल होते हैं। आप खुद भी सामाजिक अवसरों पर आत्मविश्वास के साथ व्यवहार करें। बच्चे अपने माता-पिता को देखकर सीखते हैं। उन्हें बताएं कि मुस्कुराना, आंख से आंख मिलाना और सीधे खड़े होना कितना महत्वपूर्ण है।
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जब बच्चे अपनी पसंद की गतिविधि में शामिल होते हैं, तो वे स्वाभाविक रूप से अधिक सहज और बातूनी होते हैं। यदि आपके बच्चे को ड्रॉइंग पसंद है, तो उसे ड्रॉइंग क्लास में डालें। यदि उसे किताबें पसंद हैं, तो किसी बुक क्लब में शामिल करें। समान रुचि वाले बच्चों के साथ मेलजोल बढ़ाने से उन्हें दोस्त बनाने में आसानी होगी।
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