प्लेन क्रैश हो जाए और ट्रैवेल इंश्योरेंस न हो, तो क्या मिलता है मुआवजा?

12 जून को अहमदाबाद हवाई अड्डे से उड़ान भरने के तुरंत बाद एयर इंडिया की एक फ्लाइट दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस विमान हादसे में 265 लोगों की जान चली गई है, हालांकि अभी मृतकों की सही संख्या की जानकारी नहीं मिल पाई है। ऐसे में मन में सवाल उठता है कि अगर किसी यात्री ने ट्रैवल इंश्योरेंस नहीं कराया होगा, तो क्या उसके परिवार को मुआवजा मिलेगा?
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12 जून 2025 का दिन देश के लिए एक दुखद खबर लेकर आया। एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 ने अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरी, लेकिन टेकऑफ के कुछ ही मिनट बाद प्लेन क्रैश हो गया। ड्रीमलाइनर विमान में पायलट और क्रू मेंबर्स समेत 265 लोगों की जान चली गई। इस घटना के बाद अब सवाल उठ रहा है कि फ्लाइट में सफर करने वाले लोगों के पास अगर ट्रैवल इंश्योरेंस नहीं हुआ, तो क्या उनके परिवार को मुआवजा मिलेगा? आज हम इस आर्टिकल में बताने वाले हैं कि अगर आपने ट्रैवल इंश्योरेंस नहीं लिया है और एयर क्रैश हो जाता है, तो क्या मुआवजा मिलेगा? भारत में इसके लिए क्या कानून है और एयरलाइन्स कितना मुआवजा देती हैं।

कानून क्या कहता है?

अगर कोई पैसेंजर प्लेन क्रैश में घायल हो जाता है या मर जाता है, तो उसके परिवार को मुआवजा मिलना चाहिए। इसके लिए एक इंटरनेशनल कानून मौजूद है, जिसका नाम मॉन्ट्रियल कन्वेंशन 1999 है और भारत भी इस समझौते पर साइन कर चुका है। इस कानून के तहत, एयरलाइंस को हर उस यात्री के परिवार को मुआवजा देना होता है, जिसकी मौत हुई है या गंभीर चोटें आई हैं। चाहें इसमें एयरलाइन्स की गलती हो या नहीं।

कितना मुआवजा मिलता है?

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मॉन्ट्रियल कन्वेंशन 1999 के अनुसार, एयरलाइन को करीब 1.4 करोड़ रुपये (128,821 SDR – Special Drawing Rights) तक की रकम हर मृतक या घायल यात्री के परिवार को मुआवजे के तौर पर देनी होती है। यह रकम तय है और इसे देना कानूनी रूप से जरूरी है।

अगर एयरलाइन की गलती साबित हो जाए?

अगर जांच के बाद साबित हो जाता है कि एयलाइन की लापरवाही की वजह से दुर्घटना हुई है, तो मुआवजे की राशि इससे भी कई गुना ज्यादा हो सकती है। अगर जांच में पता चलता है कि खराब मेंटनेंस, नियमों के उल्लंघन या पायलट की चूक से हादसा हुआ है।

सिर्फ इंटरनेशनल फ्लाइट्स के लिए बना है कानून?

मॉन्ट्रियल कन्वेंशन कानून इंटरनेशनल फ्लाइट्स पर लागू होता है, लेकिन भारत में कई डोमेस्टिक एयरलाइन्स भी DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) के नियमों का पालन करती हैं, जो इस तरह के मुआवजे की सिफारिश करता है। भले ही फ्लाइट में सफर के दौरान यात्री ने ट्रैवल इंश्योरेंस लिया हो अन्यथा नहीं लिया हो। लेकिन, एयरलाइन को मुआवजा देना पड़ता है।

ट्रैवल इंश्योरेंस क्यों जरूरी होता है?

जब आप हवाई यात्रा के लिए निकलते हैं, तो जरूरी नहीं है कि आपके मुताबिक ही सभी चीजें हो। ऐसे में ट्रैवल इंश्योरेंस आपके बहुत काम आता है। यह आपकी फ्लाइट कैंसिल होने, सामान चोरी होने से लेकर मेडिकल इमरजेंसी तक सभी चीजों को कवर करता है।

ट्रैवल इंश्योरेंस से क्या-क्या कवर होता है?

  • अगर प्लेन दुर्घटना में यात्री की जान चली जाती है या गंभीर चोट लगने से विकलांग हो जाता है, तो बीमा कंपनी परिवार को 25 लाख से लेकर 1 करोड़ तक का मुआवजा दे सकती है।
  • इंटरनेशनल या डोमेस्टिक यात्रा के दौरान, अगर किसी यात्री की तबीयत बिगड़ जाती है और वह हॉस्पिटलाइज हो जाता है, तो बीमा कंपनी उसका पूरा खर्च उठाती है।
  • कई बीमा कंपनियां यात्रियों की फ्लाइट कैंसिल होने, सामान चोरी होने और रहने-खाने का खर्च भी उठाती है।

बिना ट्रैवल इंश्योरेंस के भी मिल सकता है मुआवजा? जानिए कैसे

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  • अगर किसी यात्री ने हवाई यात्रा से पहले ट्रैवल इंश्योरेंस नहीं लिया था, तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसकी फैमिली को मदद नहीं मिलेगी।
  • दरअसल, मॉन्ट्रियल कन्वेंशन 1999 के तहत, प्लेन क्रैश होने पर एयरलाइन यात्री की मौत या चोट लगने पर कानूनी रूप से मुआवजा देती है।
  • अगर दुर्घटना बड़ी थी और उसमें जानमाल को हानि हुई है, तो केंद्र और राज्य सरकारें पीड़ित परिवारों को मुआवजा देती हैं।
  • अगर यात्री किसी ऑफिस या कंपनी के काम की वजह से ट्रैवल कर रहा था, तो कंपनी की ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत बीमा कंपनी उसकी फैमिली की आर्थिक मदद करती है।
  • अगर किसी पैसेंजर ने फ्लाइट टिकट क्रेडिट कार्ड से बुक किया था, तो उसमें पहले से ही ट्रैवल इंश्योरेंस शामिल हो सकता है। जिसकी वजह से मृतक का परिवार क्लेम कर सकता है।
  • अगर किसी पैसेंजर ने ट्रैवल एजेंसी से फ्लाइट टिकट बुक की थी, तो कई बार एजेंसियां यात्रियों का बीमा करवा लेती हैं। इसकी जानकारी आपको बुकिंग कन्फर्मेशन के दौरान हो जाती है।

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Image Credit- freepik
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