कौन हैं निमिषा प्रिया, जिन्हें यमन में दी जाएगी फांसी? आखिर क्यों केरल से आई भारतीय नर्स को विदेश में मिल रही है सजा-ए-मौत?

केरल की नर्स निमिषा प्रिया यमन में अपना मेडिकल क्लिनिक खोलने के लिए गई थीं, लेकिन अब वहां की अदालत ने उन्हें सजाए मौत देने का फैसला लिया है।आखिर निमिषा ने ऐसा क्या किया? क्यों एक भारतीय महिला को विदेशी सरजमीन पर फांसी की सदा दी जाएगी। आइए जानते हैं 
  • Aiman Khan
  • Editorial
  • Updated - 2025-07-09, 21:06 IST
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सोशल मीडिया पर इन दोनों एक नाम तेजी से वायरल हो रहा है। वह नाम है निमिषा प्रिया। निमिषा केरल की रहने वाली एक नर्स हैं, जो यमन की जेल में इस वक्त बंद है। जानकारी के मुताबिक निमिषा को 16 जुलाई को फांसी दी जानी है। उन पर एक यमनी नागरिक की हत्या का आरोप है। यह मामला काफी सालों से चल रहा है, लेकिन आखिरकार यमन के राष्ट्रपति रशद अल अलीमी ने उनकी मौत की सजा पर अंतिम मुहर लगा दी है। आइए सिलसिलेवार तरीके से जानते हैं इस बारे में।

सबसे पहले इसे हम कानूनी दावपेच से हटकर समझते हैं। निमिषा विदेश में एक सपना लेकर गई थीं। अपने दम पर कुछ बनना चाहती थीं। उन्होंने यमन में मेडिकल क्लिनिक खोलने का सपना देखा था और उसे बखूबी पूरा भी किया। लेकिन यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती। यहां से निमिषा के उलझन की शुरुआत होती है

क्या है पूरा मामला?

निमिषा की मुलाकात यमन में रहने वाले अबदो दो महदी से होती है। शुरुआत में महदी क्लीनिक खोलने में मदद करने का वादा करता है, लेकिन समय के साथ यह वादा अलग ही रूप लेने लगा। मदद का वादा जबरदस्ती और उत्पीड़न में बदलने लगा। आपको मालूम हो कि यमन में कानूनी रूप से कोई भी विदेशी नागरिक तब तक व्यापार नहीं कर सकता है, जब तक उसके साथ कोई स्थानीय पार्टनर ना हो। इसी नियम के तहत निमिषा ने यमन के नागरिकता महदी को अपना बिजनेस पार्टनर बनाया था

Nimisha Priya execution news

महदी की दोस्ती निमिषा पर भारी पड़ने लगी। महदी न सिर्फ उसे परेशान करता था बल्कि जबरदस्ती खुद को उसकी दूसरी पत्नी घोषित करने में लगा हुआ था। वह उसे बार-बार परेशान करता, पैसे मांगता। जब सारी हदें पार हो जाती, तो निमिषा पुलिस के पास जाती है और कुछ वक्त के लिए महदी को जेल भी होती है। लेकिन जेल से लौटने के बाद वह निमिषा का पासपोर्ट जप्त कर लेता है।

विदेशी जमीन पर जहां की कानून भाषा, रिश्ते और समाज के मायने सब कुछ अलग है। वहां भारतीय महिला का पासपोर्ट छिन जाना सिर्फ डॉक्यूमेंट खोना नहीं है बल्कि यह उसकी सुरक्षा, आजादी पर ग्रहण लगने जैसा है।

पासपोर्ट ना होने का मतलब आप बेहतर समझते होंगे। जैसे

  • बिना पासपोर्ट के वह अपने देश नहीं लौट सकती ।
  • वह कानूनी मदद नहीं ले सकती।
  • उसे हर वक्त यह डर सताए कि अगर किसी ने उसे पासपोर्ट मांग लिया तो वह खुद को कैसे साबित करेगी।

पासपोर्ट पाने के लिए दिया बेहोशी वाला इंजेशन और फिर...

जानकारी के मुताबिक निमिषा विदेशी सरजमीन पर किसी से भी मुकाबला करने में सक्षम नहीं थी, तो उसने पासपोर्ट वापस लेने के एक अलग तरीका निकाला। निमिषा प्रिया ने मेहदी को बेहोशी का इंजेक्शन दिया। लेकिन यह बेहोशी से कहीं चार कदम आगे बढ़ गया। इंजेक्शन की डोज ज्यादा हो गई और महदी की मौत हो गई। इसके बाद जो हुआ वह चौंकाने वाला और वाकई भयावह है।

महदी की मौत के बाद निमिषा ने अपने ऊपर मंडराते खतरे को देखते हुए बॉडी को ठिकाने लगाने की योजना बनाई। उसने अपनी यमनी सहयोगी हनन के साथ मिलकर शव को ठिकाने गाने लगाने की कोशिश की। दोनों ने मिलकर महदी के शरीर को टुकड़ों में काटा और पानी की टंकी में डाल दिया।लेकिन इसके बावजूद भी निमिषा का गुनाह छुप ना सका। 2018 में निमिषा को मौत की सजा सुनाई गई और उनके साथ ही हनन को उम्र कैद हुई।

निमिषा प्रिया और उनके परिवार ने सजा के खिलाफ खूब हाथ पर मारे। कई स्तरों पर रहम की अपील की, लेकिन उन्हें हर जगह से निराशा हाथ लगी और अब उनके फांसी की तारीख तय कर दी गई है। 16 जुलाई को उन्हें फांसी दी जाएगी।

इस एक तरीके से अब भी बच सकती हैं निमिषा प्रिया

nimisha priya

यह तो साफ है कि यमन का कानून अपनी सख्ति के लिए जाना जाता है। लेकिन फिर भी एक रास्ता है जिससे निमिषा की जान बच सकती है, ब्लड मनी....जिसे दियात कहा जाता है। इस सिस्टम के तहत अगर पीड़ित परिवार मुहावजे की रकम लेकर दोषी को माफ करने को तैयार हो जाए तो मौत की सजा को रोका जा सकता है।

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निमिषा प्रिया केस पर मेरी राय

निमिषाप्रिया ने जो किया वह इंसानियत कानून और नैतिकता तीनों के हिसाब से गलत था। इसमें कोई दो राय नहीं है। लेकिन क्या हमें सिर्फ उसे अपराध को देखना चाहिए या अपराध किन हालातो में किए गए हैं उसे भी समझना चाहिए? आखिर कौन सी ऐसी वजह हो गई थी,कि एक पढ़ी-लिखी महिला ऐसा करने पर मजबूर हो गई।

निमिषा प्रिया ने जो किया वह गलत था, लेकिन उसके पीछे का डर घबराहट और अपनी जान बचाने की कोशिश को पूरी तरह से अनदेखा करना भी शायद ठीक नहीं होगा। क्योंकि वह लगातार परेशान थी, उसने पुलिस कंप्लेंट भी किया था। अगर आपके साथ अंजान शहर में भी कोई ऐसा करे, तो शायद आपको सारे रास्ते बंद नजर आने लगेंगे, वह तो फिर भी सरहद पार थी।

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Image Credit: Freepik

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