Dev Diwali Aarti 2024: देव दिवाली के दिन करें ये आरती, घर में आ बसेंगे सभी देवी-देवता

Dev Diwali 2024 par Chandra Dev, Shivji or Mata Laxmi ji ki Aarti: जहां एक ओर देव दिवाली के दिन दीये जलाकर देवी-देवताओं का घर में आवाहन किया जाता है तो वहीं, आरती गाकर देवी-देवताओं को प्रसन्न कर उनकी कृपा पाई जाती है।  
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देव दिवाली का पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस साल देव दिवाली 15 नवंबर, दिन शुक्रवार को पड़ रही है। देव दिवाली के दिन सभी देवी-देवताओं की पूजा का विधान है। जहां एक ओर देव दिवाली के दिन दीये जलाकर देवी-देवताओं का घर में आवाहन किया जाता है तो वहीं, आरती गाकर देवी-देवताओं को प्रसन्न कर उनकी कृपा पाई जाती है। ऐसे मेंज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि देव दिवाली के दिन कौन सी आरती करनी चाहिए।

देव दिवाली की आरती

यूं तो देव दिवाली के दिन सभी देवी-देवताओं की आराधना होती है लेकिन इस दिन सभी की आरती करना संभव नहीं है। ऐसे में देव दिवाली के दिन 5 आरतियां मुख्य रूप से करें। ये आरतियां हैं: भगवान विष्णु, भगवान शिव, भगवान कार्तिकेय, माता लक्ष्मी और चंद्र देव।

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भगवान विष्णु की आरती

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय

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भगवान शिव की आरती

जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी ।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा

सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ।
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ।
श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव ओंकारा

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा

त्रिगुणस्वामी जी की आरती जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा।

भगवान कार्तिकेय की आरती

जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला, पाप विदुरा नवनीत चोरा

जय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा, सीता राम राधे श्याम

जय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर, साम्ब सदाशिव उमा महेश्वर

जय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि, महा सरस्वती महा लक्ष्मी

जय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ता, महा काली महा लक्ष्मी

जय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार, जय जय आरती सिद्धि विनायक

सिद्धि विनायक श्री गणेश
जय जय आरती सुब्रह्मण्य, सुब्रह्मण्य कार्तिकेय।

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माता लक्ष्मी की आरती

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता, मैय्या तुम ही जग माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता, मैय्या सुख संपत्ति पाता।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता, मैय्या तुम ही शुभ दाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता, मैय्या सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता, मैय्या वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता, मैय्या क्षीरगदधि की जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता, मैय्या जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥

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चंद्र देव की आरती

ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा ।
दुःख हरता सुख करता, जय आनन्दकारी।

रजत सिंहासन राजत, ज्योति तेरी न्यारी ।
दीन दयाल दयानिधि, भव बन्धन हारी।

जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे।
सकल मनोरथ दायक, निर्गुण सुखराशि।

योगीजन हृदय में, तेरा ध्यान धरें ।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, सन्त करें सेवा।

वेद पुराण बखानत, भय पातक हारी।
प्रेमभाव से पूजें, सब जग के नारी।

शरणागत प्रतिपालक, भक्तन हितकारी।
धन सम्पत्ति और वैभव, सहजे सो पावे।

विश्व चराचर पालक, ईश्वर अविनाशी।
सब जग के नर नारी, पूजा पाठ करें।

ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा।

आप भी इस लेख के माध्यम से देव दिवाली की आरती के बारे में जान सकते हैं।

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image credit: herzindagi

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